योग फाउंडेशन के जरिए लोगों को योग सिखा रही हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस अनु अग्रवाल

अनु अग्रवाल एक ऐसी बॉलीवुड एक्ट्रेस जो 90 के दशक में सेंसेशन बन गई थीं। आज इनका 55वां जन्मदिन है। फिल्म ‘आशिकी’ से इन्हें इतनी जबरदस्त पॉपुलैरिटी मिली कि इनके टॉप एक्ट्रेस बनने की भविष्यवाणी होने लगी। फिल्ममेकर्स इन्हें अपनी फिल्म में साइन करने के लिए उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे और नोटों के बैग भरकर उनसे मिलने जाते थे लेकिन ये सब जल्द ही एक बुरे सपने में बदल गया। अनु जिस तेजी से सक्सेस की ओर बढ़ रही थीं, उतनी ही तेजी से वो नीचे आ गईं।
दरअसल, एक रोड एक्सीडेंट ने अनु के जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल दी थी। वो लंबे समय तक कोमा में रहीं, चेहरा खराब हो गया लेकिन इसके बावजूद अनु ने हार नहीं मानी और एक नई शुरुआत की। इस दौरान उन्हें अध्यात्म से भी काफी मदद मिली। संन्यासिन की तरह जिंदगी काटी। अब अपने योग फाउंडेशन के जरिए लोगों को योग सिखा रही हैं।
अनु का जन्म 11 जनवरी,1969 को हुआ था। उनकी परवरिश नई दिल्ली में हुई। अनु ने अपने स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग शुरू कर दी थी। जब वो आठवीं क्लास में थीं तो उन्होंने एक थिएटर ग्रुप बनाया था। इसमें उन्होंने न सिर्फ प्ले में एक्टिंग की बल्कि उन्हें डायरेक्ट भी किया। दसवीं क्लास में आते-आते वो स्क्रिप्ट भी लिखने लगी थीं लेकिन बोर्ड एग्जाम के चलते उन्हें ये सब छोड़ना पड़ा।
उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी की पढ़ाई की जिसमें वो गोल्ड मेडलिस्ट थीं। इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी। वो पार्ट टाइम बतौर वीजे भी काम करती थीं। इसी दौरान उन्हें दूरदर्शन के एक टीवी सीरियल ‘बहाने’ में काम मिला। ये 1988 की बात थी। इसी दौरान महेश भट्ट की उन पर नजर पड़ी और उन्होंने उन्हें फिल्म ‘आशिकी’ में रोल ऑफर कर दिया।एक इंटरव्यू में अनु ने फिल्म ‘आशिकी’ में कास्ट होने के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, ‘एक यंग लड़की के तौर पर, मैं बहुत कुछ करना चाहती थी। मैंने 1988 के आसपास दिल्ली छोड़ दिया और मुंबई शिफ्ट हो गई। यहां मैं अकेली रहती थी।
मेरे पिता ने कहा था, अगर तुम्हें अपने लाइफ जीनी है तो तुम्हें हर चीज के लिए जिम्मेदार होना पड़ेगा। मुंबई में मुझे इंडिया की पहली सुपरमॉडल के तौर पर सोसाइटी मैगजीन के कवर पर छपने का मौका मिला। इस कवर के लिए मुझे मिलाजुला रिस्पांस मिला। मैं मॉडलिंग के लिए पेरिस जाने ही वाली थी जब महेश भट्ट ने मुझे ‘आशिकी’ ऑफर की। तब मैं जुहू में पृथ्वी थिएटर के पास पेइंग गेस्ट के तौर पर रहा करती थी। जिस दिन ‘आशिकी’ रिलीज हुई। उस दिन की सुबह एक सरप्राइज पार्टी के जैसी थी। लोग मेरे फ्लैट की बिल्डिंग के आसपास की हर जगह, हर खिड़की, हर बालकनी से मेरा नाम ‘अनु-अनु’ पुकार रहे थे और मेरे घर की तरफ देख रहे थे। रातोंरात मेरी जिंदगी बदल गई थी।
‘आशिकी’ में मेरे ज्यादा डायलॉग नहीं थे। मुझे आंखों से ज्यादा एक्सप्रेस करना था। लेकिन एक डायलॉग था जिसमें वुमन एम्पावरमेंट की बात थी। ये डायलॉग था-मैं अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं। इसने बतौर फिल्म हीरोइन मेरी असली ख्वाइश जाहिर कर दी थी। मेल अटेंशन मेरे लिए कभी बड़ी प्रॉब्लम नहीं थी। लेकिन आशिकी के बाद ये और ज्यादा बढ़ गई। इसके लिए मैं ‘आशिकी’ में निभाए अपने किरदार के लिए बहुत आभारी हूं।
‘आशिकी’ की रिलीज के बाद अनु को लेकर फैंस में जबरदस्त क्रेज था जिसकी गवाह अनु एक बार खुद बनी थीं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘एक बार मैं मरीन ड्राइव की तरफ जा रही थी, वहां बहुत जाम लगा हुआ था। मुझे देखते ही भीड़ अचानक से रुक गई, सिग्नल ग्रीन होने के बावजूद भी भीड़ नहीं हटी। अचानक लोगों की भीड़ मेरी कार की तरफ दौड़ी। उस दिन मैं कार में अकेले थी और मेरा ड्राइवर भी छुट्टी पर था। अचानक लोग मेरी कार की विंडो पर हाथ मारने लगे, ये देखकर मैं बेहद डर गई। मुझे लगा कि कहीं भीड़ मेरी कार को नुकसान न पहुंचा दे।
हजारों लोग मेरी कार पीट रहे थे, उनका हाथ मुझ पर पड़ जाता तो पता नहीं क्या होता। ये ऐसा पागलपन था। मैं किसी तरह से कार के दूसरे दरवाजे से निकली, दौड़कर टैक्सी पकड़ी और अपनी कार वहीं छोड़कर वहां से निकल गई। मैं ताज होटल में डिनर के लिए जा रही थी, वहां मेरी मीटिंग थी। बाद में मेरे ड्राइवर ने मेरी कार वहां से पिक की और घर पहुंचाई।’
1996 के बाद वो फिल्मी दुनिया से गायब हो गईं। अनु ने इस बारे में एक इंटरव्यू में कहा था, 1994 में मैंने फिल्में साइन करनी बंद कर दी थी। मैं विदेश चली गई थी और 1996 में एक हॉलीवुड एजेंसी मुझे साइन करने वाली थी। मैं बहुत एक्साइटेड थी लेकिन मैं अपने सेल्फ डेवलपमेंट पर भी फोकस करना चाहती थी इसलिए मैंने 1997 में बिहार स्कूल ऑफ योग ज्वाइन कर लिया। इससे मेरी लाइफ ट्रांसफॉर्म हो गई।
1999 में हुए एक रोड एक्सीडेंट ने अनु की लाइफ बदल दी। अपने साथ हुए हादसे के बारे में बात करते हुए अनु ने कहा था, ‘मेरे साथ मुंबई में एक कार एक्सीडेंट हुआ था। इस हादसे से ना सिर्फ उनकी याददाश्त चली गई थी, बल्कि वो पैरालाइज्ड भी हो गई थीं। लगभग 29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब अनु होश में आईं, तो वह खुद को पूरी तरह से भूल चुकी थीं। याददाश्त खो चुकीं अनु के लिए ये उनका पुनर्जन्म ही था कि लगभग 3 साल तक चले लंबे ट्रीटमेंट के बाद उनकी याददाश्त वापस आ गई।’
इस बारे में अनु ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘ये समय केवल टफ ही नहीं था बल्कि उस दौरान जीने और मरने का सवाल उठ गया था। मैं कोमा में थी। सवाल रिकवरी का नहीं था बल्कि इस बात का था कि क्या मैं सर्वाइव कर पाऊंगी और अगर बच गई तो मुझे पैरालिसिस हो जाएगा।
मैं 29वें दिन कोमा से बाहर आ गई जो कि एक चमत्कार ही था जिसके बाद पूरी तरह से बिस्तर पर थी। मेरी आधी बॉडी पैरालाइज्ड थी और मैं बेहद ट्रॉमा से गुजर रही थी। किसी ने नहीं सोचा था कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो पाऊंगी लेकिन पॉजिटिव रही।
जब मैं कोमा में थी तो मुझे कुछ अलग एक्सपीरिएंस हुए। मुझे अंदर से ये भरोसा था कि मैं सर्वाइव कर जाऊंगी। मुझे याद है जब मैं कोमा से उठी तो मुझे एक न्यू बोर्न बेबी की तरह लग रहा था लेकिन मुझे बाउंस बैक करने में लंबा वक्त लग गया, बल्कि कई साल लग गए।’
अनु ने कहा था, ‘अब मुझे कोई सर्जरी की सलाह नहीं देता मगर जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था तो लोग इस बारे में मुझे कहते थे। एक्सीडेंट के बाद मेरी कई सर्जरी हुई थीं क्योंकि मेरी कई हड्डियां टूट चुकी थीं और मेरी बॉडी के प्रॉपर फंक्शन के लिए ये जरूरी था ताकि मैं सर्वाइव कर पाऊं। कोई भी सर्जरी आपको ट्रॉमा देती है और आपकी बॉडी पर असर डालती है तो पैसे देकर फिर कॉस्मेटिक सर्जरी क्यों करवाना। मुझे लगता है कि कॉस्मेटिक सर्जरी प्लास्टिक होती है और मुझे ऐसी कोई भी बदलाव पसंद नहीं जो कि नेचर के विरुद्ध हो।’
‘आशिकी’ से मिली कामयाबी के बाद अनु ने बॉलीवुड में दोस्त नहीं बनाए और न ही उन्हें बॉलीवुड पार्टियों में कोई दिलचस्पी थी। वो एंग्लो इंडियन जैज म्यूजिशियन रिक के साथ रिलेशनशिप में थीं लेकिन ‘आशिकी’ की रिलीज के बाद ये रिश्ता टूट गया।
इस बारे में अनु ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हमारी शादी होने वाली थी लेकिन बॉलीवुड में आने के बाद कई लिंकअप्स की अफवाहों ने हमारे रिश्ते को तोड़ दिया। हम अब भी टच में हैं।
क्या अनु को लाइफ में सिंगल रहने का गम है? इस सवाल पर उन्होंने कहा था, हां, कुछ मौकों पर लगता था लेकिन फिर मैंने सेल्फ लव प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। साथ ही मैं तब से फाइनेंशियली और इमोशनली इंडिपेंडेंट हूं जब मैं टीनएजर थी। योग ने मुझे ये सिखा दिया कि आप अकेले आएं हैं और आप अकेले जाएंगे।’
करियर पर ब्रेक को लेकर अनु ने कहा था, ‘मैं अपने बारे में बड़ी मिसअंडरस्टेंडिंग क्लियर करना चाहती हूं कि एक्सीडेंट के बाद मेरे करियर में ठहराव नहीं आया था। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री छोड़ने के पीछे की वजह कभी भी एक्सीडेंट नहीं था। मैं उससे बहुत पहले फिल्मों में काम करना बंद कर चुकी थी।
1996 तक कुछ हिट फिल्में करने के बाद मेरा वर्ल्ड टूर का मन था और मेरी ये बात सुनकर मेरे असिस्टेंट को लगा कि मुझे साइकेट्रिस्ट की जरूरत है। सच में ये वो टाइम था जब प्रोड्यूसर मेरे घर बैग भरकर पैसे ला रहे थे मुझे अपनी फिल्म में काम करवाने के लिए।
दरअसल, मुझे शुरू से ही लग रहा था कि मैं बॉलीवुड टाइप नहीं हूं। आजकल सब कान्स फिल्म फेस्टिवल की बात करते हैं, मेरे फिल्मी करियर छोड़ने से पहले मुझे याद है कि मैं तब कान्स में अपनी फिल्म ‘द क्लाउड डोर’ शोकेस कर चुकी थी, जब बाकी सब के लिए फ्रांस बहुत दूर था और लोग कान्स फेस्टिवल के बारे में इंडिया में खास जानते तक नहीं थे।’
एक्सीडेंट के बाद अनु का झुकाव पूरी तरह से अध्यात्म की तरफ हो चुका था। इस बारे में अनु ने एक इंटरव्यू में कहा था, जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद मेरी स्पिरिचुअल जर्नी और ज्यादा बढ़ गई। कुछ समय बाद, मैंने संन्यास ले लिया था और अपना सिर मुंडवा लिया था। मैंने अपना घर और मेरे पास जो कुछ भी था,वो बेच दिया ताकि मेरे ऊपर कोई बोझ न रहे। सबकुछ मिटाने के बाद ही आप कुछ नया क्रिएट कर सकते हो।
अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में बात करते हुए अनु ने कहा था- ‘जब मैं संन्यासी की जिंदगी जी रही थी, तब हम वहां 5 डिग्री तापमान में रहा करते थे। वहां पर कोई गीजर नहीं होता था, मेरे पास सिर्फ मेरा एक बैग, 2 जोड़ी कपड़े हुआ करते थे और स्वेटर हुआ करता था। मैंने कई साल उन्हीं कपड़ों के साथ गुजारे हैं। हमारी पहली क्लास सुबह 4:30 पर शुरू होती थी। मुझे 2:30 बजे उठना पड़ता था।’
अनु ने आगे कहा- वहां पर हमें बेहद ठंडे पानी से नहाना पड़ता था। इस कारण उन दिनों मेरे हाथ-पैर जम जाया करते थे। मुझे वहां हमेशा वुलन कैप लगानी पड़ती थी, जिससे मैं ठंड से बची रह सकूं। उन दिनों मेरे सिर पर बाल नहीं थे। इन सबके बावजूद भी वो दिन बेहद पीसफुल और यादगार थे। मैं उस दौर में लग्जरी लाइफ से बहुत दूर थी।’ ये लाइफ स्टार की लाइफ से बिल्कुल अलग थी।
अनु ने 9 साल पहले योग फाउंडेशन शुरू किया था। वो हर जरूरतमंद को योग सिखाना चाहती हैं। अनु ने इस बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि इस फाउंडेशन के जरिए वो उन लोगों तक योग पहुंचाना चाहती हैं जो कि तंगी से जूझ रहे हैं या फिर डिप्रेशन में हैं। वो अब तक ढाई लाख लोगों को अपने फाउंडेशन के जरिए योग सिखा चुकी हैं। इस योग फाउंडेशन से ज्यादातर बच्चे और महिलाएं जुड़ी हैं।
अनु के मुताबिक, उन्हें अब फिल्मों के ऑफर भी आने लगे हैं। वो फिल्मों की स्क्रिप्ट भी पढ़ रही हैं। इसके अलावा वो OTT पर भी काम करना चाहती हैं। वो हॉलीवुड की फिल्में भी करना चाहती हैं।