परवीन बाबी का फोटो देख वियतनाम से भारत आए थे बॉब क्रिस्टो, जानिए पूरी कहानी

मिस्टर इंडिया फिल्म का एक सीन है। जिसमें एक अंग्रेज भगवान हनुमान की मूर्ति से मार खाते हुए जय बजरंग बली के नारे लगाता है। ये शख्स बॉब क्रिस्टो हैं। वहीं, अमिताभ के फेमस डायलॉग- हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है। इस डायलॉग में अमिताभ से लड़ने वाले शख्स भी बॉब ही हैं। कई फिल्में कीं, कई बड़े रोल निभाए, लेकिन इनके चाहने वाले कम और इनसे नफरत करने वाले ज्यादा हैं।

इसके बावजूद इनकी असल जिंदगी इतनी रोमांचक रही है कि इन पर एक मसाला फिल्म बन सकती है। सिडनी में जन्मे बॉब क्रिस्टो मस्कट के लिए ऑस्ट्रेलिया से निकले थे, लेकिन वीजा न मिलने पर इन्हें भारत में रुकना पड़ा था।

मजबूरी में भारत पहुंचे बॉब क्रिस्टो उस जमाने की सबसे मशहूर एक्ट्रेस परवीन बाबी को मैगजीन में देखकर उनके दीवाने हो गए। उनसे मुलाकात के लिए ऐसे रुके कि फिर वापस ही नहीं गए। परवीन से मिलने का उनका ख्वाब पूरा तो हुआ, लेकिन बिना मेकअप की एक्ट्रेस को देखकर ये भड़क गए। बॉब फिल्मों में विलेन बने और 200 फिल्में कीं।
1938 में बॉब का जन्म सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान पिता इन्हें जर्मनी ले आए, जहां इनकी परवरिश दादी और बुआ ने की। बॉब ने कुछ समय के लिए थिएटर में काम किया, लेकिन उन्होंने इसमें करियर नहीं बनाया। बॉब ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसी में करियर भी बनाया।
थिएटर के दिनों में बॉब को हेल्गा नाम की लड़की से पहली नजर का प्यार हुआ। बॉब 20 साल के हैंडसम लड़के थे और हेल्गा 19 साल की थीं। दोनों ने 50 के दशक के आखिर में शादी कर ली, जिससे दोनों के तीन बच्चे डॉरिस, मोनिक, निकोल हुए। एक दिन सफर से लौटने के बाद हेल्गा बॉब को लेने एयरपोर्ट आने वाली थीं, लेकिन पहुंचने से पहले ही उनका एक एक्सीडेंट में निधन हो गया। हेल्गा की मौत से बॉब बुरी तरह टूट गए थे। बॉब ने बच्चों को यूएस भेज दिया, जहां उनके दोस्त ने बच्चों को रखा
1974 के आस-पास बॉब इंजीनियरिंग यूनिट के इंचार्ज बनकर वियतनाम सेना में भर्ती हुए। एक दिन माइन में ट्रक ड्राइव करते हुए इनका ट्रक एक बम पर चढ़ा और बम फट गया। ट्रक में बैठे बॉब बुरी तरह जख्मी हुए, लेकिन उनकी जान बच गई। 1975 में जंग खत्म होने के बाद बॉब वियतनाम में ही फिल्म मेकिंग से जुड़े छोटे-मोटे काम करने लगे।
फिल्म मेकिंग करते हुए बॉब की मुलाकात पैट कैली से हुई, जो मोरक्को के राजा किंग हसन की शिप चुराने का सीक्रेट ऑपरेशन प्लान कर रहा था। दोनों इस मिशन के लिए साथ हो गए, जिससे दोनों अमीर हो सकते थे। मिशन शुरू होता उससे पहले ही कैट का एक प्लेन क्रेश में निधन हो गया
बॉब क्रिस्टो ने सेना से जुड़कर कई रिस्की काम किए और अपनी जिंदगी जोखिम में डाली। इनके कई मिशन बेहद कामयाब थे। कई शिप बचाईं और कई पर कब्जा किया, लेकिन जब उन्होंने 3 अंग्रेजों के हाथों एक ब्लैक आदमी की हत्या होते देखी तो उनका मन बदल गया। उन्होंने सेना छोड़ दी।
एक्ट्रेस परवीन बाबी की एक तस्वीर टाइम मैगजीन के कवर पर छपी थी, जिसे देखते ही बॉब उन्हें पसंद करने लगे। कुछ समय बाद बॉब ने सिविल इंजीनियरिंग की नौकरी के लिए मस्कट, ओमान का वर्क परमिट ले लिया। वीजा मिलने में समय लग रहा था तो ये कुछ समय के लिए भारत आ गए।
बॉब भारत आए तो उनकी परवीन से मिलने की इच्छा फिर जाग गई। मुंबई पहुंचे तो चर्चगेट पर उन्हें एक फिल्म यूनिट दिखी। उस समय डायरेक्टर प्रेम कपूर अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। बॉब ने उनसे कहा कि मुझे परवीन बाबी से मिलना है तो प्रेम कपूर ने आश्वासन दिया कि एक दिन मिला देंगे। वीर नरीमन रोड के एक टी-हाउस में बातचीत में उन्हें पता चला कि यूनिट का कैमरामैन जुबैर खान, परवीन बाबी से अगले दिन फिल्म द बर्निंग ट्रेन के सेट पर मिलेगा, जहां फिल्म का मुहूर्त है।

हिंदी फिल्मों से पहले ही बॉब हॉलीवुड फिल्मों के सेट पर छोटे-मोटे काम कर चुके थे।
हिंदी फिल्मों से पहले ही बॉब हॉलीवुड फिल्मों के सेट पर छोटे-मोटे काम कर चुके थे।
परवीन बाबी को बिना मेकअप देखकर उड़ाया था मजाक

अगले दिन बॉब कैमरामैन के साथ चले गए। सेट पर पहुंचे तो पीछे से एक आवाज सुनाई दी, बॉब समझ गए कि यही परवीन हैं। पलटकर देखा तो चेहरा देख चौंक गए। पास गए और कह दिया, आप परवीन नहीं हैं, जबकि वही मशहूर एक्ट्रेस परवीन थीं। बॉब ने मैगजीन निकाली और कहा, ये लड़की परवीन है, आप नहीं। परवीन शॉक थीं।

परवीन बाबी हंस पड़ीं, लेकिन मसला समझ चुकी थीं। दरअसल, परवीन की ग्लैमरस तस्वीर मैगजीन में थी, जबकि वो बिना मेकअप सामने खड़ी थीं। हंसते हुए उन्होंने कहा, मैगजीन के कवर में मैं मेकअप में हूं और पूरी तरह गेटअप में हूं। जब मैं शूटिंग नहीं करती तो मैं बिना मेकअप के होती हूं। अब मुहूर्त से पहले मुझे मेकअप के लिए जाना पड़ेगा।

परवीन बाबी के कहने पर भारत में रुककर बन गए एक्टर

पहली मुलाकात की शुरुआत भले ही अटपटी थी, लेकिन इसी दौरान दोनों की दोस्ती हो गई। दोस्ती होने पर परवीन ने बॉब को फिल्मों में काम दिलवाया। 1978 की फिल्म अजीब दास्तान से बॉब फिल्मों में आए। संजय खान ने इनका टैलेंट पहचान कर 1980 की फिल्म अब्दुल्ला में इन्हें विलेन का रोल दिया। इन्हें विलेन के रोल से पहचान मिली और करीब 200 फिल्में कीं। इनमें सुपरहिट फिल्में कुर्बानी (1980), कालिया (1981), नास्तिक (1983), मर्द (1985), मिस्टर इंडिया (1987), रूप की रानी चोरों का राजा (1993), गुमराह (1993) शामिल हैं।
एक दिन बॉब क्रिस्टो दोस्त संजय खान के साथ रंजीत के घर पार्टी में गए। यहां कुछ समय बाद प्रेम चोपड़ा, शत्रुघ्न सिन्हा, सुभाष घई और कुछ अन्य लोग भी आए। दोस्त मिले तो शराब की बोतलें भी खुलीं। कुछ समय बाद संजय खान और शत्रुघ्न के बीच बहस होने लगी और गर्मागर्मी का माहौल बन गया। पार्टी में मौजूद ज्यादातर लोग शत्रुघ्न के साथ खड़े थे, लेकिन बॉब ने दोस्त संजय को सपोर्ट किया। अचानक माहौल इतना बिगड़ गया कि एक आदमी किचन से संजय को मारने के लिए चाकू ले आया। बॉब ने उस इंसान से चाकू छीन ली और उसे होश में रहने को कहा। कुछ समय बाद संजय और बॉब, रंजीत का घर छोड़कर निकल गए। संजय का बंगला रंजीत के बंगले के बाजू में था।
बॉब घर पहुंच कर सोए ही थे कि सुबह 5 बजे संजय खान का कॉल आया। उन्होंने कहा गन लेकर घर आ जाओ। बॉब बिना सवाल किए उनके घर पहुंच गए। घर पहुंचे तो संजय ने बताया कि रंजीत के घर से उनके बंगले पर गोलियां चली हैं। गेट से भी किसी ने उनके घर की तरफ दो गोलियां मारी हैं। किसी ने उनके गार्ड को थप्पड़ मारा है। पुलिस को बुलाया गया और जांच की गई। उजाला हुआ तो दोनों दिलीप कुमार के घर उनकी सलाह लेने पहुंच गए। इस सिलसिले में सुभाष घई को एक दिन जेल में भी गुजारना पड़ा। फिल्म इंडस्ट्री के कुछ सीनियर्स ने संजय खान और दूसरे लोगों के साथ मीटिंग कर इस मामले को खत्म किया था।
1980 की फिल्म अब्दुल्ला में साथ काम करने से संजय खान और बॉब की गहरी दोस्ती हो गई। एक बार संजय खान को स्विट्जरलैंड से 50 हजार डॉलर मंगवाने थे, लेकिन वो बिजी होने पर जा नहीं सके। संजय को बॉब पर इतना भरोसा था कि उन्हें ही जाने को कहा। बॉब भी दोस्त की खातिर अकेले ही निकल गए।
जब ये बात संजय के दोस्त विधु विनोद चोपड़ा को पता चली तो उन्होंने खूब नाराजगी जाहिर की। कहा कि इतनी बड़ी रकम के लिए ऐसे ही किसी को भेज दिया है। देख लेना पैसे मिलते ही वो फरार हो जाएगा और सारे पैसे लुट जाएंगे।
विधु ने संजय से 100 पाउंड की शर्त लगाई और कहा वो नहीं लौटेगा। संजय को ऐसा भरोसा था कि उन्होंने भी 500 पाउंड की शर्त लगाई और कहा बॉब जरूर आएंगे। जब बॉब लौटने वाले थे तो उन्होंने लंदन एयरपोर्ट से संजय को कॉल किया। संजय ने उन्हें बता दिया कि उनके आने या ना आने पर 500 पाउंड की शर्त है। संजय ने बॉब से कहा कि जब फ्लाइट लैंड करे तो तुम लॉबी में बहुत देर बाद आना। इससे विधु को लगेगा कि वो शर्त जीत गए, लेकिन फिर उन्हें सच्चाई पता चलेगी। बॉब ने ऐसा ही किया। जब बॉब, विधु के सामने आए तो वो शॉक हो गए थे।
लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार बॉब तमिल फिल्म की शूटिंग करने स्टूडियो गए थे। स्टूडियो खाली नहीं था तो बॉब अपने सीन का इंतजार करने बाहर ही खड़े रहे। जैसे ही उनकी बारी आई तो डायरेक्टर ने अपने असिस्टेंट से कहा जाओ बॉब क्रिस्टो को ले आओ। कान का कच्चा असिस्टेंट बाहर आकर बाबू कृष्णा, बाबू कृष्णा चिल्लाने लगा।

बॉब वहीं पास में खड़े थे, लेकिन वो समझ नहीं पाए कि बाबू कृष्णा नाम चिल्लाने वाला आदमी उनकी ही तलाश कर रहा है। जब उसने चिल्लाना बंद नहीं किया तो बॉब गए और उन्होंने पूछा किसे बुला रहे हो। तब बात समझ आई कि वो दरअसल बॉब क्रिस्टो को ही बाबू कृष्णा पुकार रहा था। उसने सफाई भी दी कि तमिल में बॉब को भी बाबू ही कहेंगे। जब ये बात डायरेक्टर को पता चली तो वो भी खूब हंसे।
नजर आए।
200 फिल्मों के अलावा बॉब क्रिस्टो ने द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान और द ग्रेट मराठा जैसे टीवी शो में भी अभिनय किया है। अहमद शाह अब्दाली के रूप में उन्हें खूब पसंद किया गया था। 2003 के बाद बॉब ने फिल्मों में काम करना छोड़ दिया। पहली पत्नी हेल्गा की मौत के बाद बॉब ने नरगिस नाम की महिला से दूसरी शादी की थी, जिससे उन्हें एक बेटा सुनील था। फिल्मों से दूर होते ही ये योगा टीचर बन गए। 2003 के बाद से ही इन्होंने कभी इंडस्ट्री से कोई ताल्लुक नहीं रखा, हालांकि इनके बयान सामने आते रहे
जब बॉब क्रिस्टो को फिल्मों में लाने वालीं परवीन बाबी का 20 जनवरी 2005 को निधन हुआ तो बॉब ने यकीन ही नहीं किया। वो आखिरी समय तक यही कहते रहे कि परवीन ने जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या की है। 72 साल की उम्र में 20 मार्च 2011 को बॉब का भी हार्ट अटैक से निधन हो गया।