BJP ने जिस फॉर्मूले के दम पर गुजरात में 156 सीटें जीतीं, वही फॉर्मूला अब पार्टी कर्नाटक में भी आजमाने वाली है। इसके तहत करीब 30% विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। टिकट उनके कटेंगे, जिनकी सर्वे में रिपोर्ट निगेटिव आई है। यहां गुजरात की तरह CM नहीं बदला जा रहा, क्योंकि अब चुनाव में तीन महीने ही बचे हैं। ये तय है कि BJP जीती और सत्ता में लौटी तो भी बसवराज बोम्मई को फिर से CM नहीं बनाया जाएगा।
चुनाव से पहले प्रदेश संगठन में भी बड़ा बदलाव होने जा रहा है। BJP के एक सीनियर लीडर के मुताबिक, कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष समेत उनकी पूरी टीम को जल्द हटाया जाएगा। इसका मकसद लोगों तक ये मैसेज पहुंचाना है कि पुराने लोगों को हटाया जा रहा है और नए लोग लाए जा रहे हैं।
कर्नाटक में BJP सरकार भारी एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही है। अभी जो सर्वे रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनमें पार्टी को सिर्फ 60 से 70 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए।
इधर कांग्रेस के लिए चिंता की बात ये है कि सर्वे में उसे भी बहुमत मिलता नहीं दिख रहा। कांग्रेस को 80 से 90 सीटें मिलने की उम्मीद है। ऐसे में BJP की एक बार फिर सत्ता में लौटने की उम्मीद बरकरार है। अगर BJP ऐसा कर पाती है तो यह कर्नाटक के 37 साल के इतिहास में पहली बार होगा कि कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आएगी।
BJP के एक सीनियर लीडर ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि संगठन में बदलाव और टिकट काटने के फैसले के पीछे 3 सर्वे हैं। गृहमंत्री अमित शाह, कर्नाटक सरकार और संगठन ने अपना अलग-अलग सर्वे करवाया है। ये सभी रिपोर्ट्स PM मोदी के ऑफिस में पहुंच चुकी हैं।
इस महीने के आखिर या फरवरी के पहले हफ्ते तक वहां से आदेश मिल जाएंगे कि इस स्ट्रैटजी के तहत चुनाव लड़ना है। ये साफ है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ही मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कामकाज से खुश नहीं हैं। कर्नाटक में सरकार एक भी बड़ा काम पूरा नहीं कर पाई।
पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा को जल्द ही इलेक्शन कैम्पेन कमेटी का हेड बनाए जाने का ऐलान किया जा सकता है। हालांकि वे पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक, 79 साल के येदियुरप्पा अपने बेटों के लिए रास्ता बनाना चाहते हैं। उन्होंने इस बार BJP को 130 सीटें जिताने का टारगेट रखा ह
सीनियर लीडर ने यह भी बताया कि अब तक जैसे संकेत हैं, उसमें सरकार आई तो बोम्मई मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाएंगे, ये कंफर्म है। कौन होगा, ये कोई नहीं जानता। लीडरशिप से कोई ऐसा नाम सामने आ सकता है, जो सबको चौंका दे। हालांकि, अभी जो हालात हैं, उसमें सरकार बनना मुश्किल लग रहा है।
अगस्त 2019 में पार्टी ने नलिन कुमार कटील को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था। उन्होंने येदियुरप्पा की जगह ली थी। लेकिन कटील के बयानों ने पार्टी को फायदे की जगह नुकसान ही पहुंचाया। हाल में उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं को लव जिहाद के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए न कि सड़क और सीवेज की समस्याओं पर। उन्होंने यह भी कहा कि आप लव जिहाद को रोकना चाहते हैं तो इसके लिए हमें BJP की जरूरत है।
उनके इस बयान के बाद कांग्रेस को BJP पर हमलावर होने का मौका मिला। कांग्रेस ने कहा कि BJP देश को बांटने की कोशिश कर रही है। BJP के सीनियर लीडर ने बताया कि येदियुरप्पा सबको लेकर चल रहे थे। हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी उन्हें पसंद कर रहे थे। इसीलिए कर्नाटक में BJP सरकार बना पाई, लेकिन कटील खुले तौर पर जिस तरह से बयानबाजी कर रहे हैं, उससे PM मोदी भी खुश नहीं हैं।
मोटे तौर पर कर्नाटक को 6 रीजन में बांटा जाता है। इसमें बेंगलुरु अर्बन, ओल्ड मैसूर, कित्तूर कर्नाटक (पहले मुंबई कर्नाटक), कोस्टल कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक और सेंट्रल कर्नाटक शामिल हैं। बेंगलुरु अर्बन की 28 सीटों में से BJP 2018 में सिर्फ 11 सीटें जीत पाई थी। इसी तरह ओल्ड मैसूर की 66 सीटों में से सिर्फ 15 सीटों पर जीत मिली थी।
BJP के सीनियर लीडर के मुताबिक, ओल्ड मैसूर की स्थिति पर अमित शाह नाराज हैं। उन्होंने वहां के नेताओं को फटकार लगाई और पूछा कि वहां राजनीति करने वाले विपक्षी पार्टियों के नेता भ्रष्टाचार में डूबे हैं, फिर भी आप महज 15 सीटें ही क्यों जीत पाए। ये भी कहा कि वहां दूसरी पार्टियों के साथ सांठगांठ करके राजनीति क्यों की जा रही है।
शाह की फटकार के बाद ओल्ड मैसूर में जो नेता अब तक विपक्षी पार्टियों के साथ सांठगांठ करके राजनीति कर रहे थे, वे रडार पर आ गए हैं। मुंबई कर्नाटक रीजन की 44 में से 26 सीटें BJP के पास हैं।
कोस्टल कर्नाटक की 19 में से 16 BJP ने जीतीं, क्योंकि यहां हिंदुत्व का एजेंडा मजबूत है। हैदराबाद कर्नाटक रीजन की 40 में से 15 सीटें और सेंट्रल कर्नाटक की 27 में से 21 सीटें पार्टी ने जीती थीं। ओल्ड मैसूर सबसे बड़ा रीजन है, लेकिन वहीं पार्टी की हालत बहुत खराब है, इसलिए इस बार यहां सबसे ज्यादा ताकत लगाने की तैयारी है।
ओल्ड मैसूर या साउथ कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय का वर्चस्व है, जिसकी राज्य की आबादी में 15% हिस्सेदारी है। ये आबादी मांड्या, हासन, मैसूर, तुमकुर, कोलार और चिक्काबल्लापुर जिलों में असर रखती है। मांड्या में 50% से ज्यादा वोक्कालिगा हैं।
दक्षिण कर्नाटक जनतादल सेकुलर का गढ़ भी है। पूर्व PM एच.डी. देवेगौड़ा और कांग्रेस के सीनियर लीडर सिद्धारमैया का यहां काफी प्रभाव है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां 27 और JD (S) ने 25 सीटें जीतीं थीं। BJP को तब सिर्फ 4 सीटें मिली थीं।
भारत की सिलिकॉन वैली माने जाने वाले बेंगलुरु में ज्यादातर मिडिल क्लास और पढ़े-लिखे युवा पेशेवर वोटर हैं। कर्नाटक के इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 के मुताबिक, बेंगलुरु में प्रति व्यक्ति आय 5.41 लाख रुपए है, जो सबसे निचले पायदान वाले जिले कलबुर्गी से 5 गुना ज्यादा है। यहां BJP और कांग्रेस बराबरी के मुकाबले में रही हैं। 2013 में कांग्रेस को 13 और BJP ने 12 सीटें जीती थीं।
माइनिंग बेल्ट होने के बावजूद ये रीजन आर्थिक तौर पर पिछड़ा है। 16 हजार करोड़ के माइनिंग घोटाले से चर्चा में आए रेड्डी बंधु और कांग्रेस का गढ़ रहा बेल्लारी इसी रीजन में है। सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव बेल्लारी से ही लड़ा था।
बंजारा समुदाय की इस रीजन में अच्छी खासी आबादी है। PM मोदी ने 19 जनवरी को रैली कर समुदाय के 52,000 लोगों को पट्टा दिया था। इस रीजन में बीदर, बेल्लारी, कलबुर्गी, कोप्पल, रायचूर और यादगिर जिले आते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बीदर जिले से ही हैं।
कांग्रेस BJP पर इस रीजन को हिंदुत्व की लैबोरेटरी बनाने के आरोप लगाती रही है। 2018 के चुनाव में BJP ने अपने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ और अनंत हेगड़े से प्रचार करवाया था। हिंदूवादी संगठन श्रीराम सेना का प्रभाव इसी इलाके में हैं। 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 19 सीटों में से 14 जीती थीं। तब येदियुरप्पा के नई पार्टी बनाने से BJP के वोट बंटे हुए थे।सेंट्रल कर्नाटक में लिंगायत समुदाय दावणगेरे में एक निर्णायक भूमिका में रहता है, वहीं चित्रदुर्ग में यही स्थिति धार्मिक मठ की होती है। येदियुरप्पा सेंट्रल कर्नाटक के शिवमोगा से ही आते हैं। इस वजह से BJP का शिवमोगा और चिकमंगलूर जिलों में दबदबा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 15 सीटें जीती थीं
महाराष्ट्र की सीमा से लगा ये रीजन लिंगायत समुदाय के दबदबे वाला है। यहां पानी की कमी बड़ी समस्या है। 2004 और 2008 में इस रीजन में येदियुरप्पा का दबदबा था, लेकिन 2013 में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की।
एक इंडिपेंडेंट एजेंसी ने रीजन में कांग्रेस को 27 से 28 सीटें और BJP को 14 से 16 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। महाराष्ट्र के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस रीजन का नाम 2021 में मुंबई कर्नाटक से बदलकर कित्तूर कर्नाटक कर दिया था।