यूं तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि लद्दाख में शुरू हुई भारत व चीन के सैनिकों की वापसी प्रक्रिया में भारत ने एक इंच भी जमीन नहीं खोई है लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मानने को तैयार नहीं दिख रहे। यही कारण है कि कांग्रेस-भाजपा में इस मसले को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई। शुक्रवार को एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार ने चीन को भारत की जमीन पर कब्जा करने की छूट दे दी। राहुल के बेतुके आरोपों पर तीखा पलटवार करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को सेना देख रही है। राहुल ने उसका अपमान किया है।
पूर्व सैनिकों के कुछ वीडियो को टैग करते हुए नड्डा ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस काल में ही चीन ने 43 हजार हेक्टेयर भारतीय भूमि पर कब्जा किया था। सैनिकों को बहादुरी से लड़ने से रोका था और अब सेना पर सवाल खड़े कर रही है। वहीं राहुल ने कहा कि पैंगोंग झील के इलाके में फिंगर चार के बजाय भारतीय सैनिकों के फिंगर तीन तक सीमित रहने से साफ है कि सैनिकों की वापसी के इस समझौते में भारत ने कैलास रेंज में अपने बहादुर सैनिकों के हाथ आई रणनीतिक बढ़त को गंवाया है।
राहुल ने कहा कि एलएसी के मौजूदा गतिरोध को लेकर सरकार का रुख यह था कि अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करनी है। सरकार इसी पर बात कर रही थी। लेकिन राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने जो बयान दिया है, उससे साफ है कि यथास्थिति को सरकार भूल गई और चीन के सामने झुक गई। इस सवाल का जवाब प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को देना होगा कि भारतीय भू-भाग चीन को क्यों सौंपा गया?
राहुल ने सवाल किया कि रणनीतिक लिहाज से अहम इलाकों डेपसांग, गोगरा और हॉट स्पि्रंग से चीनी पीछे क्यों नहीं हटे हैं? ऐसे में हमारे सैनिकों को कैलास रेंज से पीछे हटाने से भारत को क्या हासिल हुआ है? कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि चीन को अपनी जमीन सौंपने की बात कहने से बचने के लिए प्रधानमंत्री ने खुद के बजाय रक्षा मंत्री से संसद में बयान दिलाया।
भाजपा की ओर से जवाबी हमला बहुत तेज था। नड्डा ने कहा कि यह आश्चर्य नहीं कि पूरी स्थिति स्पष्ट किए जाने के बावजूद राहुल गांधी की ओर से सेना पर सवाल क्यों खड़ा किया जा रहा है? दरअसल कांग्रेस ने कभी भी सेना पर भरोसा नहीं किया और सेना को भी कांग्रेस नेतृत्व पर भरोसा नहीं रहा।
नड्डा ने कुछ पूर्व सैनिक अधिकारियों के बयान और वीडियो भी ट्वीट किए, जिसमें उनकी ओर से आरोप लगाया गया था कि संप्रग काल में वे पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहते थे। लेकिन महीनों इंतजार के बावजूद मंजूरी नहीं मिली।
नड्डा ने रिटायर्ड एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा का एक साक्षात्कार भी ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2008 में उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व और तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी से मंजूरी लिए बगैर ही लद्दाख में दौलतबेग ओल्डी को फिर से एक्टीवेट किया था, क्योंकि वह जानते थे मंजूरी नहीं मिलेगी। इससे पहले चार बार भी कुछ अधिकारियों ने मंजूरी मांगी थी जो फाइलों में दब गई थी।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ