फिर से 300 प्लस के लक्ष्य पर काम करने की तैयारी में है भाजपा , कर्नाटक और तेलंगाना में भी परिवारवाद बनेगा भाजपा का हथियार,

चार राज्यों की बड़ी चुनावी जीत को यूं तो सीधे तौर पर 2024 के महासमर से जोड़ा जा रहा है। लेकिन भाजपा उससे पहले दक्षिण में कर्नाटक, तेलंगाना और पश्चिम में गुजरात में ऐसी ही जीत हासिल कर फिर से 300 प्लस के लक्ष्य पर काम करने की तैयारी में है। इस क्रम में विकास जहां सबसे बड़ा मुद्दा होगा, वहीं परिवारवाद हमेशा निशाने पर रहेगा।

अगले एक साल के अंदर यूं तो हिमाचल प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में ही चुनाव होने हैं, लेकिन माना जा रहा है कि पिछली बार की तरह इस बार भी तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस समयपूर्व चुनाव कराना चाहती है। ऐसी स्थिति में वहां भी 2024 से पहले ही चुनाव होंगे। रोचक तथ्य है कि इन चार में से तीन राज्यों में भाजपा की ही सरकार है जिसे दोहराने की चुनौती है।
हिमाचल प्रदेश में हाल में हुए उपचुनावों में भाजपा को शिकस्त मिली थी जो अच्छे संकेत नहीं हैं। गुजरात में पिछली बार भाजपा की जीत बहुत आसान नहीं रही थी, जबकि कर्नाटक में सरकार गठन के लिए जोड़तोड़ का हिसाब बिठाना पड़ा था। फिलहाल कांग्रेस की जो स्थिति है उसमें गुजरात को लेकर पार्टी आश्वस्त है, जबकि कर्नाटक में भरोसा है कि विकास के साथ-साथ परिवारवाद का मुद्दा रंग दिखाएगा।
उत्तर प्रदेश हो या पंजाब, परिवारवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत सभी नेता ही हमलावर नहीं थे, बल्कि इसे लेकर जनता का भी रोष दिखा। परिवारवादी पार्टियों का कुनबा ध्वस्त हो गया। पार्टी नेताओं को भरोसा है कि परिवारवाद के खिलाफ यही गुस्सा कर्नाटक में भी काम आएगा जहां जदएस पर परिवार का कब्जा है। पिछले दिनों में जदएस अपने गढ़ में भी कमजोर होता दिख रहा है और भाजपा की कोशिश होगी कि इस गढ़ पर कब्जा किया जाए।
ध्यान रहे कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने सत्ता संभालते ही इसका संकेत भी दे दिया था और चार राज्यों के परिणाम के बाद बाद दैनिक जागरण से बातचीत में भी परिवारवादी पार्टियों पर हमला किया था। तेलंगाना में भी सत्ताधारी टीआरएस जहां पूरी तरह पिता, पुत्र और पुत्री के नाम से जानी जाने लगी है। वहीं, जिस तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भाजपा पर हमलावर हैं उससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा खड़ी हो गई है। यानी टीआरएस का किला दरकना शुरू हुआ तो उसे हासिल करना भाजपा के लिए आसान होगा। इसके लिए परिवारवाद को ही निशाना बनाया जाएगा।