भाजपा अब हैदराबाद के ग्रामीण इलाकों में जमा रही अपनी जड़ें

भाजपा के लिए राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने की कड़ी चुनौती है। सत्तारूढ़ टीआरएस और विपक्षी कांग्रेस के बीच भाजपा ने हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति बनाई हुई है। दरअसल, भाजपा अपनी लड़ाई तो टीआरएस के साथ रख रही है, लेकिन दूसरे नंबर पर आकर सत्ता की सीधी लड़ाई में आने में मुख्य बाधा कांग्रेस है। ऐसे में भाजपा को खुद को और ज्यादा मजबूत करना होगा।
भाजपा के मिशन दक्षिण में कर्नाटक के बाद तेलंगाना सबसे ऊपर है। यही वजह है कि पार्टी ने यहां की राजनीतिक परिस्थितियों में न सिर्फ खुद को ढालना शुरू किया है, बल्कि स्थानीय नेतृत्व के साथ आगे बढ़ने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना भी शुरू किया है। कार्यकारिणी की बैठक के पहले भाजपा के विभिन्न केंद्रीय नेताओं ने राज्य की 119 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर 48 घंटे का प्रवास कर बूथ स्तर तक अपना संदेश पहुंचाया है।
इसके अलावा उसके राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आए विभिन्न राज्यों से जुड़े प्रमुख नेताओं ने यहां पर रहने वाले बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, बंगाल, असम, पंजाब समेत 14 राज्यों के लोगों के समूहों के साथ संवाद किया है। इन बैठकों में कहा गया है कि भाजपा को मजबूत करने से न केवल डबल इंजन की सरकार मिलेगी, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों और तेलंगाना के बीच रोजगार, व्यापार और सामाजिक रिश्ते तेजी से बढ़ेंगे।
दरअसल, भाजपा के सामने अभी भी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों तक मजबूत पहुंच बनाने की कड़ी चुनौती है। यहां के सामाजिक समीकरणों में भाजपा का संगठन शहरी क्षेत्रों में तो काफी सक्रिय है, लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कांग्रेस और तेलंगाना आंदोलन से जुड़े जुड़ी टीआरएस की स्थिति काफी मजबूत है। कांग्रेस केंद्रीय स्तर पर भले ही कमजोर दिखती हो, लेकिन तेलंगाना में उसकी प्रभावी स्थिति अभी भी बरकरार है। ऐसे में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को अगले विधानसभा चुनाव में कौन चुनौती देगा, इसे लेकर भाजपा कांग्रेस में काफी जद्दोजहद है।
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी का प्रभाव हैदराबाद तक ही सीमित है। उससे पूरे राज्य की राजनीति प्रभावित नहीं होती है, लेकिन हैदराबाद में औवेसी और भाजपा के बीच संघर्ष देखने को मिल सकता है। दरअसल औवेसी जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर लगातार भाजपा का विरोध कर रहे हैं, उससे वह खुद की जमीन बचाए रख सकते हैं। इसके अलावा, औवेसी के लिए कांग्रेस व टीआरएस दोनों के साथ जाने के रास्ते खुले हैं।