बीजेपी ने 80 में से 80 लोकसभा सीट जीतने का टारगेट रखा है, जातीय जनगणना की काट खोजेंगे पार्टी के दिग्गज

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 80 में से 80 लोकसभा सीट जीतने का टारगेट रखा है। इसके लिए रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है। एक ओर विपक्षी दलों का बनता गठबंधन और दूसरी ओर जातीय जनगणना की मांग। इन दोनों मुद्दों से कैसे निपटा जाए, इसके लिए बीजेपी ने गुरुवार को दिल्ली में यूपी के नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह तमाम नेताओं के साथ जीत को लेकर मंथन करेंगे।
शाह के 2014 में यूपी के प्रदेश प्रभारी रहते हुए पहली बार बीजेपी ने सूबे में 73 सीटों पर विजय पताका फहराई थी। अपना दल सहयोगी दल था। तब अकेले बीजेपी ने 80 में से 71 सीट जीती थी। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में अब तक के सबसे बड़े सपा-बसपा गठबंधन को हराते हुए 64 सीटों पर सहयोगी दलों के साथ चुनाव जीता था।
जिसमें से अकेले बीजेपी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में यूपी में एक बार फिर बड़ी जीत की रणनीति तैयार करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली में बड़ी बैठक करेंगे। यही वजह है कि बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंचे। साथ ही, यूपी के बड़े नेता भी दिल्ली पहुंच चुके हैं।
दरअसल, विपक्षी दल लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। एक ओर, कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना को लेकर हस्ताक्षर अभियान शुरू करने जा रही है। दूसरी ओर राहुल गांधी ने भी कहा है कि कांग्रेस के केंद्र की सत्ता में आने पर पूरे देश में जातीय जनगणना करवाई जाएगी। सपा और बसपा समेत बीजेपी के सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी ने भी जातीय जनगणना की मांग की है।
ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे विपक्ष के इन दावों के बीच प्रदेश के सबसे बड़े मतदाता वर्ग को साधा जाए। उत्तर प्रदेश में अगर 2014 से हुए किसी भी चुनाव को देखा जाए तो OBC समुदाय ने एकतरफा बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है। लिहाजा इसी समुदाय को साधने को लेकर दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय में गुरुवार की दोपहर 3:30 बजे से बैठक होगी।
दिल्ली में गुरुवार को होने वाली बैठक कितनी महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता हैं कि लखनऊ में दलित सम्मेलन जिसे की गुरुवार को ही होना था, उसे टाल दिया गया है। इसके पीछे की वजह ये है कि प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण नेता इस बैठक में मौजूद रहेंगे। गृहमंत्री उन्हें विपक्ष के जातीय जनगणना की मांग से कैसे निपटा जाए और ओबीसी समुदाय को अपने पाले में लाने का मंत्र देंगे।
उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय में कई जातियां आती हैं। ऐसे में जातीय जनगणना की मांग विपक्ष के साथ बीजेपी के सहयोगी दल भी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में कैसे इस ओबीसी समुदाय की तमाम जातियों को साधा जाए। इस पर मंथन होगा।
बीजेपी विश्वकर्मा योजना के जरिए ओबीसी समुदाय तक ये संदेश देने की कोशिश करेगी कि तमाम पिछड़ी जातियों के हित की चिंता उसे है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं। जब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पहली बार नरेंद्र मोदी का नाम तय हुआ था तो उन्होंने अपने गृह राज्य गुजरात से चुनाव लड़ने की बजाय उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट को चुना था। केंद्र की सत्ता में बीजेपी ने लगातार दो बार शासन किया। अब तीसरी बार जीत के लिए तैयारी शुरू कर दी है।