बीजेपी ने अपने 51 प्रत्याशियों में 9 केंद्रीय मंत्री उतरे हैं वहीं चार नए चेहरों को भी जगह दी गई

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को प्रत्याशियों के नाम की पहली सूची जारी करती है जिसमें ज्यादातर बीजेपी के पुराने सेटिंग सांसद ही है। इसके साथ भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना नया फार्मूला तैयार कर लिया है तमाम पार्टियों के कयासों से इतर बीजेपी ने अपनी सूची जारी की जिसमें एंटी इनकॉनवेंसी, परिवारवाद और उम्र सीमा को आधार नहीं बनाते हुए टिकट जारी किया गया।सूची में जहां बीजेपी ने अपने 51 प्रत्याशियों में 9 केंद्रीय मंत्री उतरे हैं वहीं चार नए चेहरों को भी जगह दी गई है
किसी भी चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी अपने कैंडिडेट को लेकर सर्वे करवाती है और उसे सर्वे के आधार पर या तय करती है कि आगे की चुनाव में उसे टिकट देना है या फिर किनारा कासना है इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में भी लोकसभा की 80 सीटों पर कई सर्व कारण जिम बहुत से ऐसे नाम भी जिम बहुत से ऐसे नाम है जिनकी क्षेत्र में अच्छी छवि नहीं रही है उनको लेकर माहौल भी उनके क्षेत्र में 50-50 कर रहा है जिसके आधार पर प्रदेश के कई बड़े बीजेपी नेताओं को यह लग रहा था कि बीजेपी इनका टिकट काट सकती है लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा जारी किए गए 51 प्रत्याशियों के नाम में ज्यादातर वे नाम भी शामिल हैं जिनको लेकर उनके ही क्षेत्र में एंटी इन कनवेसी की स्थिति थी लेकिन बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए उनको पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
पहला नाम अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का है जिनको लेकर उनके क्षेत्र में काफी एंटी कन्वेंशन देखने को मिली। सूत्रों की माने तो अमेठी के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल को पिछले साल सितंबर माह में बंद कर दिया गया था आरोप यह था कि एक महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी जिसके बाद अस्पताल में ताला बंद करवा दिया गया था जिसको लेकर वहां की जनता में भी काफी नाराजगी देखने को मिली थी वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी कहा था कि यह राजनीतिक बदले के सिवा और कुछ भी नहीं है। माहौल पूरी तरह से स्मृति ईरानी के विरुद्ध हो गया था लेकिन बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए स्मृति ईरानी को अमेठी से चुनाव लड़वाने की तैयारी की है।
बीजेपी के सर्वे के आधार पर दिनेश लाल यादव निरहुआ पर भाजपा ने एक बार फिर से विश्वास जताते हुए आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया है बीजेपी के विशिष्ट सूत्रों की माने तो सर्वे में दिनेश लाल यादव को लेकर भी आजमगढ़ में माहौल 50-50 प्रतिशत का रहा था लेकिन चुकी आजमगढ़ यादव और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है और कई सालों से सपा की सीट के तौर पर इसको देखा जाता था लेकिन उपचुनाव में मिली जीत के बाद एक बार फिर से दिनेश लाल यादव पर भाजपा ने विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी लखीमपुर में माहौल कुछ ज्यादा अच्छा नहीं रहा साल 2021 में अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के द्वारा प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा उसके बाद उसके बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी और कुल आठ लोगों की इस हिंसा में मौत भी हुई थी। वही लखीमपुर के तुकुनिया कांड में भी केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर आप है कि उन्होंने एक व्यापारी के बेटे प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी जिसको लेकर माहौल पूरी तरीके से टेनी के खिलाफ था लेकिन बीजेपी ने विश्वास जताते हुए एक बार फिर से अजय मिश्रा को मैदान में उतारा है।मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर की रिपोर्ट भी सर्वे में कुछ खास अच्छी नहीं थी लेकिन जाति समीकरण को साधने के लिए बीजेपी ने एक बार फिर से कौशल किशोर पर विश्वास जताते हुए उन्हें प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं पिछले साल सितंबर माह में कौशल किशोर के घर पर भाजपा कार्यकर्ता विनय श्रीवास्तव की गोली मारकर हत्या की गई थी और जिस पिस्टल से हत्या की गई थी वह संसद के बेटे विकास किशोर की बताई जा रही थी जिसको लेकर भी माहौल पूरी तरह से कौशल किशोर के विरोध में था।लेकिन सूत्रों की माने तो मोहनलालगंज से बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा ना होने के कारण एक बार फिर से इन्हें जगह दी गई है।
डुमरियागंज से सांसद जगदंबिका पाल को लेकर भी बीजेपी ने एक बार फिर से भरोसा जताते हुए लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। साल 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए जगदंबिका पाल को लेकर इस बार फिर से बीजेपी ने सर्वे कराया था जिसमें इनको लेकर भी एंटी इन कनवेसी का माहौल दिखा लेकिन बीजेपी ने सर्वे से हटकर जगदंबिका पाल को एक बार फिर से प्रत्याशी घोषित किया।
महेंद्र नाथ पांडे को भाजपा ने एक बार फिर से चंदौली से सांसद उम्मीदवार बनाया है पांडे को लेकर चंदौली की जनता में भी काफी नाराजगी देखने को मिली थी । और बीजेपी के विशिष्ट सूत्रों की माने तो पार्टी के अंदर भी इनको लेकर माहौल कुछ ठीक नहीं चल रहा था और यह कहा भी जा रहा था कि इस बार महेंद्र नाथ पांडे की जगह चंदौली से बीजेपी एक नए ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतर सकती है लेकिन सारे प्रयासों से इतर बीजेपी ने एक बार फिर से भरोसा जताते हुए उनको पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया।
यूपी में बीजेपी के कुल पांच ऐसे मौजूदा सांसद हैं जिनकी उम्र 75 वर्ष से ज्यादा की हो चुकी है जिसको लेकर यह माना जा रहा था कि इस बार बीजेपी इनका टिकट काट सकती है जिसमें मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी, बरेली से संतोष गंगवार, कानपुर से सत्यदेव पचौरी और बहराइच से अक्ष्यवार लाल गौड़ शामिल है जिनकी उम्र 75 वर्ष से ज्यादा की हो चुकी है और पार्टी के विशिष्ट सूत्रों की माने तो पार्टी का शुरू से यह एजेंडा भी रहा है कि युवा लोगों को ही मैदान में उतरना है और 75 वर्ष से ज्यादा की आयु सीमा के लोगों को टिकट नहीं देनी है लेकिन बीजेपी की पहली सूची में इन पांच सीटों में से एक सीट मथुरा पर प्रत्याशी का नाम घोषित हो चुका है और एक बार फिर से 75 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद भी हेमा मालिनी को टिकट दिया गया है।बीजेपी की बीजेपी की उत्तर प्रदेश की 51 लोकसभा सीटों में प्रत्याशियों की सूची में जहां एक तरफ उम्र सीमा और एंटी इनकनवेसी को आधार नहीं बनाया गया वहीं दूसरी तरफ परिवारवाद से भी बीजेपी इतर नहीं रही और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष निपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को पार्टी ने श्रावस्ती से उम्मीदवार बनाया है।
भारतीय जनता पार्टी ने पिछली लोकसभा चुनाव में हारी हुई 14 सीटों में से चार सीटों पर पार्टी ने नए चेहरों को मौका दिया है। हरि हुई चारों सीटों पर भाजपा ने जाति समीकरण को साधते हुए पार्टी के उम्मीदवार तय किए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व प्रधान सचिव निपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को श्रावस्ती से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को श्रावस्ती लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। और इस सीट से बसपा के राम शिरोमणि वर्मा ने जीत हासिल की थी। वही बीजेपी ने देवीपाटन मंडल कि स्वास्थ्य लोकसभा सीट से सकेत मिश्रा को टिकट देकर मंडल की अन्य तीन सीटों पर भी निशाना सदा है वैसे तो सकेत मिश्रा देवरिया के रहने वाले हैं लेकिन श्रावस्ती में उनका ननिहाल है इसलिए श्रावस्ती को ही अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के तौर पर चुनाव भी है।
2019 लोकसभा चुनाव में अंबेडकर नगर सीट पर बीजेपी को हर का सामना करना पड़ा था और बसपा प्रत्याशी रितेश पांडे ने इसी सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन कुछ दिनों पहले ही रितेश पांडे ने बसपा सुप्रीमो मायावती को पत्र लिखकर प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया और भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन कर लिया। वैसे रितेश पांडे राजनीतिक घराने से आते हैं इनके पिता राकेश पांडे सपा से विधायक हैं। रितेश पांडे पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार मुक्त बिहार को हराकर चुनाव में जीत हासिल की थी इनका नाम बिजनेस सर्वे में देश के 539 में संसद में 19वें स्थान पर दे रहा है।
2019 लोकसभा चुनाव में हारी हुई जौनपुर सीट पर भाजपा ने कृपा शंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जौनपुर में जाति समीकरण को सजाते हुए कृपा शंकर सिंह को उम्मीदवार के तौर पर चुना गया है। इसमें कॉन्ग्रेस को छोड़ बीजेपी ने शामिल हुए थे। उनकी ज्यादातर राजनीति महाराष्ट्र में ही रही है महाराज सरकार में 2004 में या राज्य मंत्री रहे हैं 2011 में मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सिंह ने संभाली थी। वैसे सियासत के साथ ही विवादों में भी कृपा शंकर सिंह का नाम रहा है आय से अधिक संपत्ति रखने का और 2G घोटाले में इनके बेटे का नाम भी शामिल था। भगत सिंह 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे और भाजपा ने उनके गृह जनपद से इस बार उन्हें उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है।
बीजेपी को नगीना सीट पर हर का सामना करना पड़ा था। ओम कुमार 2017 और 22 में भाजपा के टिकट से बिजनौर के नहटौर सीट से विधायक हैं। लेकिन बिजनौर की नगीना सेट पर 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा के गिरीश चंद ने भाजपा के डॉक्टर यशवंत सिंह को डेढ़ लाख वोटो से कराया था। यही कारण है कि बीजेपी ने यशवंत सिंह पर दोबारा दावा न खेलते हुए ओम कुमार को प्रत्याशी बनाया है। वैसे ओम कुमार 2022 विधानसभा चुनाव में महज 258 वोटो से ही जीत हासिल कर विधायक बने है।