पहले दो चरण की सीटों के लिए उत्तर प्रदेश में अधिकतर दलों ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और अंदरूनी तौर पर आकलन का दौर तेज हो गया है। फिर से 300 पार का नारा दे रही भाजपा का मानना है कि इन दो चरणों की 113 सीटों में से पार्टी 83 सीटें जीतेगी। यानी कृषि कानून विरोधी आंदोलन का कोई असर नहीं होगा और पार्टी पिछली बार से कम सीटें नहीं जीतेगी। बताया जा रहा है कि 22 तारीख तक रैलियों पर लगे प्रतिबंध खत्म होने के बाद भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश में ही डटेंगे और पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से लड़ाने का फैसला किया ही नहीं गया था। अयोध्या मुद्दा जरूर है और वह रहेगा। वहां से किसे लड़ाया जाए, इसका सही समय पर फैसला हो जाएगा। वह पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं के असर को भी नजरअंदाज करते हैं। उनका कहना है कि भाजपा में हर जाति का नेतृत्व तैयार होने लगा है और छोड़कर जाने वाले नेता इसी से परेशान थे। वह दूसरी पार्टियों में गए हैं, लेकिन कार्यकर्ता भाजपा के साथ हैं
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि परिवार से किसी एक को ही टिकट दिया जाएगा। सांसदों के बेटों के लिए टिकट की बहुत कम संभावना है। ध्यान रहे कि स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से अपने बेटे के लिए भी टिकट मांगने की बात सामने आ रही थी। मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव भाजपा में आती हैं तो उन्हें भी मनमानी सीट पर टिकट मिले, इसकी संभावना कम है। बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी से गठबंधन की उम्मीद भी नहीं है।
दरअसल, चेहरा और सीट केवल जिताऊ होने की शर्त पर ही दिया जाएगा। रैलियों पर प्रतिबंध ने नेताओं को रोक रखा है, लेकिन बताया जाता है कि उसके बाद भाजपा के बड़े केंद्रीय नेता मैदान में कूदेंगे। अब तक थोड़े सीमित रहे शाह भी पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। रैलियों के अलावा रोड शो भी होगा।
पंजाब और उत्तराखंड को लेकर भी भाजपा उत्साहित है। उत्तराखंड में धामी सरकार के कामकाज से पार्टी जहां संतुष्ट है, वहीं पंजाब में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है। पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मुद्दा चर्चा में है। लोग कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे तर्क को गलत मान रहे हैं और चाहे-अनचाहे यह चुनावी मुद्दा बन जाएगा।