भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) से संपर्क किया है और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को मंत्रिमंडल में शामिल करने की पेशकश की है। इस कदम को रणनीतिक के रूप में देखा जा सकता है। आपको बता दें कि अमित फिलहाल विधायक या एमएलसी नहीं है। इसका बावूज मंत्री बनाने का निर्णय शिवसेना में ठाकरे परिवार के प्रभाव को कम करने की एक और कोशिश हो सकती है। भाजपा ने हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को स्वीकार किया है।
बीजेपी का अमित ठाकरे पर दांव शिवसेना को चोट पहुंचाने के लिए है। इससे महाराष्ट्र की भगवा पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। बीते कुछ वर्षों में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को शिवसेना की कमान संभालने के लिए तैयार किया गया है। ऐसे में अमित को कैबिनेट में लाने के कदम को आदित्य के लिए सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। अमित और आदित्य दोनों को युवा नेताओं के रूप में पेश किया जा रहा है ताकि वे युवाओं को अपने खेमे में ला सकें।
एमएनएस नेताओं का दावा है कि उन्हें ऐसे किसी प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी। भाजपा नेता भी चुप्पी साधे रहे। हालांकि मनसे की तरफ से खबर आ रही है कि राज ठाकरे ने शायद इस ऑफर को ठुकरा दिया है। इसकी फिर से आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अमित ठाकरे को मंत्रालय में लाने की योजना बनाई है। वह बुधवार को राज ठाकरे से एक ‘शिष्टाचार’ बैठक करने वाले थे। हालांकि, बाद में बैठक स्थगित कर दी गई है।
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। इससे शिवसेना पर से उद्धव ठाकरे का कंट्रोल हटने की भी नौबत आ गई है। मंगलवार को शिवसेना को उस समय बड़ा झटका लगा जब पार्टी की प्रवक्ता और पूर्व पार्षद शीतल म्हात्रे शिंदे खेमे में शामिल हो गईं। म्हात्रे के शिंदे खेमे में शामिल होने से शिवसेना के कई पूर्व बीएमसी पार्षद शिंदे खेमे में शामिल हो सकते हैं। इससे पार्टी पर उद्धव के नियंत्रण पर एक बड़ा सवालिया निशान लग सकता है।