- राजस्थान में आज से विधानसभा का सत्र
- भाजपा लाएगी अविश्वास प्रस्ताव
- कांग्रेस भी ला सकती है विश्वास प्रस्ताव
राजस्थान में कांग्रेस के भीतर शुरू हुई लड़ाई अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच का दंगल बन चुका है. सचिन पायलट गुट और अशोक गहलोत कैंप एक हो गया है और आज से विधानसभा सत्र की शुरुआत हो रही है. भारतीय जनता पार्टी ने सत्र में गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है, तो सीएम गहलोत खुद विश्वास प्रस्ताव लाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में आज से शुरू हो रहे सत्र में दोनों पार्टियां फिर आमने-सामने आ सकती हैं.
हाथ मिले, क्या दिल मिलेंगे?
करीब एक महीने की बगावत के बाद सचिन पायलट वापस जयपुर लौटे. गुरुवार की शाम को सचिन पायलट, अशोक गहलोत की मुलाकात हुई. दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया, फोटो खिंचवाई लेकिन चेहरे के भाव ना पता चल सके क्योंकि दोनों ने मास्क पहना हुआ था. कांग्रेस ने बैठक में भाजपा को हराने का संदेश दिया और बीजेपी पर ही सरकार गिराने का आरोप लगा दिया.
हालांकि, अशोक गहलोत ने ये भी कहा कि अगर 19 विधायक साथ ना आते, तो भी वो बहुमत साबित कर देते. लेकिन अब सबकुछ भुलाकर आगे बढ़ेंगे. साफ है कि पार्टी आलाकमान के कहने पर भले ही अभी दोनों साथ आए हों, लेकिन तल्खी अभी भी बरकरार है. बीजेपी के अविश्ववास प्रस्ताव के जवाब में सीएम अशोक गहलोत ने खुद ही विश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह दी है.
बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में विलय करने वाले विधायकों का केस अभी अदालत में है. इस बीच बसपा ने एक बार फिर अपने विधायकों से व्हिप जारी कर कांग्रेस के खिलाफ वोट करने को कहा है.
सत्र में भाजपा खोलेगी मोर्चा
विधानसभा सत्र की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाकर करेगी. बीजेपी ने गुरुवार को विधायकों संग बैठक की, जिसमें दिल्ली से गए नेता, वसुंधरा राजे और अन्य लोग शामिल हुए. वसुंधरा ने इस दौरान अशोक गहलोत सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी में फूट डालने की कोशिश की जा रही है. बैठक के बाद ही बीजेपी की ओर से प्रस्ताव लाने की बात कही गई.
क्या कहता है विधानसभा का आंकड़ा?
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं यानी बहुमत के लिए 101 का आंकड़ा चाहिए. लेकिन, कांग्रेस में बीते दिनों मची उथलपुथल से ये आंकड़ा मुश्किल दिख रहा था हालांकि अब दोनों गुट साथ आ गए हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास अपने 107 मिलाकर कुल 125 विधायकों का समर्थन है, जबकि बीजेपी के पास कुछ 75 विधायकों का समर्थन है.