मतदान की तारीख निकट आने के साथ-साथ प्रमुख दलों के चुनावी मुद्दे भी अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं। मंगलवार को असम के लिए जारी संकल्प पत्र में भाजपा ने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी एनआरसी (नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन) जैसे मुद्दे पर लुकाछिपी का खेल कतई नहीं खेलेगी। संकल्प पत्र जारी होने के साथ ही इस मुद्दे पर भाजपा फिर फ्रंटफुट पर आ गई है।
बुधवार को दरंग जिले के सिपाझार में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से ठीक एक दिन पहले संकल्प पत्र में एनआरसी का मुद्दा प्रमुखता से उठने के मायने अहम हैं। दरअसल जिस सिपाझार कस्बे में प्रधानमंत्री की रैली होने जा रही है, वह दरंग जिला मुख्यालय मांगलडोई से मात्र 15 किमी दूर है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां एनआरसी की सूची में हजारों लोग बाहर हो गए थे। अब भी बड़ी संख्या में लोगों के नाम सूची में नहीं हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री जब मांगलडोई आए थे, तब उनका भाषण एनआरसी पर ही केंद्रित था। पीएम की रैली से पार्टी को दरंग व उदलगिरी जिलों में बड़ी उम्मीद है, क्योंकि यहां घुसपैठियों की समस्या को लेकर भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने हैं।
एनआरसी पर लोगों की राय अलग-अलग है। उदलगिरी के महताब अली कहते हैं कि भाजपा केवल उन घुसपैठियों के खिलाफ है, जो अवैध रूप से यहां की संपदा व संसाधनों पर कब्जा किए हुए हैं। इस बात में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। शाहिद की राय इससे अलग है। उनका कहना है कि भाजपा घुसपैठियों की आड़ में हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है। वहीं, भाजपा के अपने तर्क हैं। भाजपाइयों का कहना है कि हम सिर्फ घुसपैठियों के विरोध की बात कर रहे हैं। यह मुसलमान के विरोध का सवाल नहीं है।
पीएम की सिपाझार रैली की कमान हरियाणा भाजपा के पास रही। हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला पूरे असम में होने वाली पीएम की रैलियों की कमान संभाले हुए हैं। लोकसभा व विधानसभा स्तर पर अलग से जिम्मेदारी है। मंगलडोई लोकसभा के प्रभारी होने के नाते हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव के पास सिपाझार रैली की कमान है। सिपाझार विधानसभा के प्रभारी का जिम्मा बाढ़डा के विधायक सुखविंद्र सिंह मांढी के पास है।
अरविंद यादव ने असम के स्थानीय नेताओं के साथ पीएम की रैली से पहले मंगलवार को बैठक की। अरविंद का मानना है कि पीएम की रैलियों का असर पूरे असम में है। मोदी से पहले किसी भी पीएम ने पूर्वोत्तर के राज्यों को इतना महत्व नहीं दिया। असम मोदी में भविष्य की उम्मीदें देख रहा है। बता दें कि असम में 27 मार्च, 1 अप्रैल व 6 अप्रैल को तीन चरणों में चुनाव हैं।