बिनोद कुमार के कैरेक्टर में ऐसा घुसा कि मां तक नहीं पहचान पाईं, ‘जुबली’ के लिये तीन फ़िल्मे छोड़ चुके हैं

बात करते हैं अपारशक्ति खुराना कि उन्होंने काफी कुछ बताया, की किस तरह से कैरेक्टर में घुस जाते थे, वह सब पूरे होने पर उन्होंने मेकर विक्रमादित्य मोटवाणी को खासी रचनात्मक आजादी दी। जिसकी वजह से आज से सीरीज लोगों को काफी पंसद आ रही है। खुद मैंने इस सीरीज की खातिर तीन फिल्में छोड़ी थीं। अगर इसका सीजन 2 बनता है और फिर से मुझे फिर से तीन फिल्में छोड़नी पड़े तो मैं वो करूंगा।
पहली बात तो यह कि इस कैरेक्टर को बहुत समय लेकर बनाया गया है। जिस तरह की पैराडाइम शिफ्ट यानी आमिर खान साहब की फिल्मों से आता रहा है, वैसा कर पाने में यह सीरीज भी सफल हुआ है। मैं जब भी कोई किरदार करता हूं तो ढूंढता हूं कि हम दोनों में कॉमन पॉइंट क्या हो सकते हैं? यहां यूनीक कॉमन पॉइंट था कि मैं जब 21-22 साल का था तो मन था कि होस्टिंग करूं। तो मैंने तब ढेर सारे चैनल्स को ईमेल किए। लेकिन वो नहीं हो पाया। फिर एक म्युजिक चैनल ने कहा कि कास्टयूम डिपार्टमेंट में जगह खाली है। वहां वह काम करते हुए आगे मुझे होस्टिंग करने के मौके मिले। तो बिनोद दास की तरह ही मेरी जॉब किसी और चीज की रही, मगर मैं ऑडिशन देता रहा और अब यहां हूं। वो चीज मेरे लिए बिनोद दास की रूह को आत्मसात करने में सहायक रही।
मैं इसे बहुत बड़े कॉम्पिलमेंट के तौर पर देखूंगा। अयान और अंधाधुंध में जो परफॉर्मेंस आयुष्मान की रही है, वो मेरी फेवरेट भी हैं। इसमें विक्रम सर का बहुत बड़ा हाथ है। मैं अगर तेज डायलॉग डिलिवरी करता तो वो कहा करते कि 10 फीसदी टोन स्लो कर दे। तेज चलता तो कहते कि वॉक की स्पीड स्लो कर दे।
हालांकि जो मैंने पहले बताया, वही मेरा मोटिवेशन था। लोगों को यह शो बहुत पसंद आया है। तभी मुझे मैसेज आए कि यह तो फिल्मों का बाइबिल सरीखा बन चुका है। वेब सीरीज के लिहाज से एक मिसाल कायम हुई है। पर मेरी जिंदगी का मलाल यह रहेगा कि मैं इस सीरीज की इस काबिलियत का क्रेडिट नहीं ले सकता। इसके हकदार विक्रमादित्य मोटवाणी हैं।
राजकुमार राव से मैं कहा करता था कि मैं कॉमेडी के अलावा भी कुछ कर सकता हूं। उन्होंने सजेस्ट किया था कि वह चीज करना हो तो विक्रमादित्य मोटवाणी के जाकर लिटरली चरणों में गिर जा। वही तुझे अंतरंगी चीजें करवा लेंगे। तो मैं उन्हें फॉलो करता रहा। साथ ही मुझे कास्टिंग एजेंसी से कॉल आया। मैंने पहली बार देखा है मैंने कि तीन बार ऑडिशन हुआ है एक ही चीज के लिए।आखिरी वाला ऑडिशन तो प्रॉपर लाइट, कैमरा, कास्टयूम के साथ हुआ। फुकरे के रायटर हैं विपुल विग। मेरी पहली फिल्म उनके साथ थी।