बिहार चुनाव: आरा विधानसभा सीट पर इस बार बदल गए हैं समीकरण, यहां सड़क जाम व जल-जमाव बड़े मुद्दे

बिहार में त्योहार के इस मौसम में चुनावी पर्वों की धूम ज्यादा दिख रही है। भोजपुर के विधान सभा चुनावों में इस बार कई सीटों पर कांटे की टक्कर है। जिले के 7 विधानसभा क्षेत्र संदेश, बड़हरा, तरारी, आरा, अगिआंव, जगदीशपुर, शाहपुर में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी सहित निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में कमर कस चुके हैं। यहां 28 अक्टूबर यानी बुधवार को पहले चरण में ही वोटिंग हो जाएगी। आरा विधानसभा सीट की बात करें तो फिलहाल यहाँ से राजद के मोहम्मद नवाज आलम विधायक हैं। मुद्दाें की बात करें तो आरा विधानसभा क्षेत्र में सड़क जाम, बिजली के जर्जर तार, जलजमाव व टूटी सड़कों से आम जनता को निजात दिलाना मुख्य मुद्दे हैं।
आरा विधानसभा में बीजेपी ने अमरेन्द्र प्रताप सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। बता दें कि पिछले चुनाव में अमरेंद्र प्रताप केवल 666 वोट से हार गए थे और राजद के प्रत्याशी अनवर आलम की जीत हुई थी। अमरेन्द्र प्रताप सिंह यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। आरजेडी ने इस बार अपने सिटिंग विधायक अनवर आलम का टिकट काटकर महागठबंधन का फर्ज निभाते हुए भाकपा माले के हार्डकोर सदस्य क्यामुद्दीन अंसारी को टिकट दिया है। इस तरह बीजेपी उम्मीदवार के लिए यहां जीत काफी हद तक आसान थी, पर अंत समय में हाकिम प्रसाद निर्दलीय नामांकन करके मैदान में कूद गए। इससे वोट बंटने के आसार बढ़ गए हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद एक साथ थे पर इस बार पार्टी के समीकरण में बदलाव से खास अंतर पड़ सकता है। 2000 से 2010 तक यहां पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से विधायक रहे अमरेंद्र प्रताप सिंह को पिछले चुनाव में मात्र 666 वोट से हार मिली थी और राजद के प्रत्याशी नवाज आलम को इसका फायदा मिल गया था। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं।
मुख्य उम्मीदवार : भाजपा ने अमरेंद्र प्रताप सिंह पर भरोसा किया है। महागठबंधन के सीट बंटवारे में राजद ने अपने सिटिंग विधायक का टिकट काटकर इस बार लेफ्ट के हिस्से में दी है। यहां से भाकपा माले ने कयामुद्दीन अंसारी को प्रत्याशी बनाया है। उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा से प्रवीण सिंह मैदान में हैं तो जाप से ब्रजेश कुमार सिंह को टिकट दिया गया है।
1951 में आरा विधानसभा सीट अपने अस्तित्व में आई थी। इसके बाद से इस सीट पर 1969 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। 1969 में कांग्रेस को हार मिली और सोशलिस्ट पार्टी आई। 1972 के बाद कांग्रेस कभी यहां वापस नहीं आ सकी। पहले लोकदल, फिर जनता पार्टी और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी सीट जीत हासिल करती रही। चार बार लगातार जितने के बाद भाजपा को पिछले चुनाव में इस सीट से हार मिली थी। इस बार के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के लिए यहां जीत काफी हद तक आसान थी, पर अंत समय में हाकिम प्रसाद निर्दलीय नामांकन करके मैदान में कूद गए। इससे वोट बंटने के आसार बढ़ गए हैं।
चुनावी मुद्दे: आरा विधानसभा का मुख्य मुद्दा सड़क जाम, बिजली के जर्जर तारों से मुक्ति और जलजमाव के साथ-साथ टूटी सड़कों से आम जनता को निजात दिलाना मुख्य मुद्दा है।

आंकड़े एक नजर में:

कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या 177520

कुल महिला मतदाताओं की संख्या 149966

थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 6

दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 1463

कुल मतदान केंद्रों की संख्या 467

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आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ