भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक दिवसीय बिहार दौरे पर आएंगे। पार्टी नेताओं के अनुसार पहले उन्हें तीन दिवसीय बिहार दौरे पर आना था। लेकिन उनके कार्यक्रम में अब संशोधन हो गया है। जानकारी के अनुसार रविवार को पटना आने के बाद वे सीधे गया जाएंगे।
पार्टी नेताओं के अनुसार आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी बिहार दौरा होने के आसार हैं। इनमें से कुछ नेताओं की वर्चुअल जनसभा तो कुछ बिहार आकर मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में गोलबंद करेंगे।
पीएम मोदी के भाषण पर होंगी सभी की निगाहें
बिहार की राजनीति में बीते कुछ दिनों में काफी परिवर्तन देखने को मिले हैं। लोजपा ने एनडीए से तो अपना नाता तोड़ लिया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लगातार अपनी आस्था दिखा रही है। चिराग पासवान इन दिनों अक्सर कहते दिख रहे हैं कि चुनाव के बाद बिहार में लोजपा और भाजपा साथ मिलकर सरकार बनाएगी। क्या चिराग जैसा सोचते हैं, वही सोच पीएम मोदी की भी है? इस तरह के सवाल इन दिनों बिहार की फिजां में गूंज रही है। इसलिए हर किसी की निगाहें पीएम मोदी और अमित शाह के बयानों पर होंगी।
बिहार बीजेपी लगातार दिखा रही नीतीश कुमार में आस्था
लोजपा के कार्यकर्ता भले ही ‘मोदी से बार नहीं, नीतीश से खैर नहीं’ का नारा बुलंद करते आ रहे हैं, लेकिन बिहार बीजेपी ने साफ-साफ कह दिया है कि बिहार में एनडीए के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं। उनका नेतृत्व जिसे स्वीकार है, वहीं एनडीए का साझेदार बनेगा। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू के सीटों की संख्या खुछ भी आए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे।
वहीं रविवार को एक दिवसीय बिहार दौरे पर आ रहे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा गया में पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे। इसके बाद वे पटना होते हुए वापस नई दिल्ली लौट जाएंगे। चुनाव होने की आधिकारिक घोषणा के बाद भाजपा अध्यक्ष का यह पहला बिहार दौरा है। इसके पहले वे सितम्बर में पार्टी के आत्मनिर्भर बिहार अभियान का विधिवत शुभारंभ करने के मौके पर पटना आए थे।
जेपी नड्डा के लिए बड़ा चुनाव
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए भी बिहार का चुनाव बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस चुनाव के पहले उन्होंने अपनी टीम का गठन कर पूरी तरह संगठनात्मक कामकाज को अंजाम दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी जनवरी में ही संभाल ली थी और उसके बाद दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन, उस चुनाव की रणनीति उनके अध्यक्ष बनने से पहले ही तय हो गई थी। अब बिहार का चुनाव उनकी पहली बड़ी परीक्षा है।