बिहार चुनाव 2020: राजनीति के धुरंधर व पिता की अनुपस्थिति में युवा नेता तेजस्‍वी और चिराग के दम-खम की परीक्षा

बिहार में आज 28 अक्‍टूबर को पहले चरण के मतदान में तेजस्वी यादव और चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं के दमखम की परीक्षा हो जाएगी। तेजस्‍वी और चिराग दोनों ही युवा नेता पहली बार अपने-अपने पिता लालू प्रसाद यादव और स्‍वर्गीय राम विलास पासवान की अनुपस्थिति में पार्टी और पूरे चुनाव की बागड़ोर संभाले हुए हैं। दोनों ही युवा ग्‍लैमरस कॅरियर छोड़कर अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने राजनीति में आए हैं। तेजस्‍वी यादव राजनीति में आने से पहले क्रिकेटर थे तो चिराग बॉलीवुड में एक्‍टर बनने की राह पर थे। दोनों के ही पिता राजनीति के धुरंधर रहे हैं। लालू प्रसाद प्रसाद यादव को कभी ‘गरीबों का मसीहा’ कहा जाता था तो रामविलास पासवान को ‘ मौसम विज्ञानी’ के तौर पर जाने जाते रहे।
16 जिलों की जिन 71 सीटों पर मतदान होगा, वहां लोजपा के 42 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसी इलाके से पिछली बार (2015 के चुनाव में) राजद के 27 विधायक जीतकर आए थे। पहली बार विधानसभा चुनाव में अपने गठबंधन का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव के लिए भी पहला दौर बेहद महत्वपूर्ण है। दलों के हिसाब से देखें तो पहले चरण में राजद के सबसे ज्यादा 25 विधायक हैं। दूसरे नंबर पर जदयू है, जिसके 23 विधायक हैं। भाजपा के 13 और कांग्रेस के आठ विधायक हैं।
दोनों गठबंधनों के बीच कड़ी टक्कर है। कई सीटों पर लोजपा भी चुनौती दे रही है। उसके तीन दिग्गज प्रत्याशियों की साख भी दांव पर है। दिनारा सीट से राजेंद्र सिंह, सासाराम से रामेश्वर चौरसिया और जगदीशपुर से भगवान सिंह कुशवाहा हैं।
पहले चरण में परख तेजस्वी यादव के दमखम की होनी है। लालू प्रसाद के बिना महागठबंधन की प्रचार कमान अकेले संभाल रहे तेजस्वी को राजद की सीटें बरकरार रखना बड़ी चुनौती है। उन्हें पिछली बार 27 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन उपचुनाव में दो सीटों से नियंत्रण खो चुके हैं। अभी 25 सीटों को बचाए रखना है। महागठबंधन में रहते हुए पिछली बार जदयू ने भी पहले चरण की सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। उसके कब्जे में अभी 23 सीटें हैं।
विधान सभा चुनाव के शुरू होने के पहले से ही तेजस्‍वी को लालू को साए से निकालकर स्‍वतंत्र युवा नेता के रुप में पहचान बनाने की रणनीति पर पार्टी आगे बढ़ी । महागठबंधन में जिन्‍हें तेजस्‍वी का नेतृत्‍व मंजूर न था , उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया। लालू प्रसाद यादव तक टिकट की आस में भले ही रांची तक दौड़़ लगाते रहे हो , मगर अंतिम निर्णय के लिए लालू यादव ने स्‍वयं तेजस्‍वी को ही अधिकृत किया। हालांकि चुनावी पोस्‍टरों से लालू यादव की तस्‍वीरें गायब रहने पर तेजस्‍वी को काफी किरकिरी का भी सामना करना पड़ा। बावजूद तेजस्‍वी पूरे कांफिडेंस के साथ ‘बदलाव की बयार, अबकी बार युवा सरकार’ के नारे के साथ चुनावी जंग में जोर-आजमाइश करने में जुटे हुए हैं।
वहीं विधान सभा चुनाव के करीब एक साल पहले ही लोजपा के संस्‍थापाक व पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने पार्टी की बागडोर चिराग के हाथों में सौंपना शुरू कर दिया था। विधान सभा चुनाव के ऐन पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर महत्‍वपूर्ण फैसले के लिए भी एम्‍स, दिल्‍ली में भर्ती राम विलास पासवान ने ट्वीट कर कहा था कि चिराग जो भी फैसला लेंगे, मैं पूरी तरह उनके साथ हूं। पिता के अस्‍पताल में भर्ती रहने और बाद में उनके स्‍वर्गवास के बाद भी कई बार महत्‍वपूर्ण निर्णयों के मौके पर चिराग भावुक हुए , मगर ‘मैंने पिता से सीखा है लड़कर जीतना, शेर का बच्‍चा हूं, अकेले ही जंगल चीरने निकला हूं ‘, जैसे प्रेरित करनेवाले नारों के साथ चिराग भी चुनावी रण में डट गए ।
बता दें कि पहले दौर में महागठबंधन की ओर से राजद के 42 प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस के हिस्से में 21 सीटें हैं। माले भी आठ सीटों पर भाग्य आजमा रही है। इसी तरह राजग की तरफ से जदयू के सबसे ज्यादा 35 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा के 29 और हम के छह प्रत्याशी लड़ रहे हैं। एक सीट वीआइपी को भी मिली है। बिहार में राजग से नाता तोड़कर लोजपा भी 42 सीटों पर अलग दास्तान लिखने के लिए व्यग्र है। मायावती से तालमेल कर उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने 43 प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा भी 27 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। लोजपा ने 42 सीटों में से 35 वैसी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जहां से जदयू मैदान में है। बाकी छह हम और एक वीआइपी के खिलाफ भी प्रत्याशी है।

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आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ