केंद्र सरकार ने लोकसभा में 3 अगस्त को स्पष्ट किया है कि देश का जो भी नागरिक हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म को नहीं मानता है, उसे अनुसूचित जाति वर्ग का नहीं माना जा सकता। ऐसे लोगों को अनुसूचित जातियों की भलाई के चलाई जा रही केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए। धर्म बदलकर ईसाइ बनने वाले भी इसका लाभ नहीं ले सकते।
यह जानकारी सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री ए नारायणस्वामी ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी। दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 जुलाई को एक आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक अनुसूचित जातियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ परिवर्तित होकर ईसाई बन चुके अनुसूचित जाति के लोगों को भी मिलेगा। केंद्र का इस मसले पर कहना है कि आंध्र प्रदेश सरकार की योजना पर केंद्र से मिलने वाले लाभ लागू नहीं होते।
आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म अपनाने वाले 80% SC
ऑप इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले 80 फीसदी लोग अनुसूचित जाति से हैं। ये लोग 1977 के आदेश के जरिए मिलने वाली सभी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाते हैं। इसमें आवास, फ्री बिजली से लेकर लोन मिलने तक की योजना शामिल है।
हालांकि, राष्ट्रपति के द्वारा जारी किए गए 1950 के आदेश में कहा गया है कि सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म को मानने वाले ही हिंदू माने जाएंगे। अनुसूचित जाति का नागरिक यदि इन धर्मों का पालन करता है तो वह वह अनुसूचित जाति का नहीं रह जाएगा। इसलिए वह अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभ को लेने का हकदार नहीं है।