देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणी कर धार्मिक भावना को ठेस पंहुचाने के सात साल पुराने मामले में प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर एक दिन पूर्व गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। गुरुवार को आदेश का क्रियान्वयन सुलतानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। लखनऊ में बसपा की एक जनसभा में साल 2014 में पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने गौरी गणेश पर अभद्र टिप्पणी कर शादी व्याह में उनका पूजन नहीं करने का आह्वान किया था।अधिवक्ता अनिल तिवारी ने इसी मामले में भादवि की धारा 295- ए के तहत में कोर्ट में परिवाद दायर किया। जिसमें साल 2016 में उन्हें विचारण के लिए तलब किया गया था। इस आदेश को स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी जिस पर लखनऊ बेंच ने उनकी हाजिरी पर रोक लगा दी थी। परिवादी अधिवक्ता की मांग पर बुधवार को पूर्व मंत्री के हाजिर न होने के कारण सुनवाई 24 जनवरी के लिए नियत कर उन पर फिर वारंट जारी करने का आदेश दिया गया। बाद में कोर्ट ने आदेश संशोधित करते हुए हाईकोर्ट से जारी स्टे की अपडेट मंगाने का आदेश देते हुए गिरफ्तारी वारंट के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया।