चुनाव सुधारों के लिए लंबे समय से उठ रही मांगों को देखते हुए सरकार एक बार फिर से सक्रिय हुई है। समझा जा रहा है कि चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। चुनाव सुधार के जिन अहम बिंदुओं पर तेजी से काम चल रहा है, उनमें फर्जी मतदान और वोटर लिस्ट में दोहराव रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने, देश में एक ही मतदाता सूची तैयार करने, जिसका इस्तेमाल लोकसभा और विधानसभा चुनावों से लेकर पंचायत चुनावों तक होगा और चुनाव आयोग को और शक्तियां देने जैसे कदम शामिल हैं।
इसके अलावा मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए नए युवा मतदाताओं को साल में चार बार मौका देने और महिला प्रतिरक्षा कार्मिकों को बराबरी का अधिकार देने की भी तैयारी है। यह भी संभव है कि सरकार बहुत जल्द इस संबंध में कोई घोषणा कर दे।
चुनाव सुधारों को लेकर हाल ही में कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने कई अहम बैठकें कई सुझाव दिए हैं जिसमें चुनाव आयोग की उन सिफारिशों को प्रमुखता दी गई है, जिसमें चुनाव सुधार की दिशा में मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने, कामन वोटर लिस्ट तैयार करने, रिमोट वोटिंग आदि विषय मुख्य रूप से शामिल हैं
इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसमें बदलाव हो सकता है। आयोग ने कानून मंत्रालय से प्रतिरक्षा मतदाताओं से संबंधित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रविधान में पत्नी शब्द को पति/पत्नी से बदलने के संस्तुति की है।
प्रस्तावित विधेयक का एक और प्रविधान युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तिथियों पर मतदाता के रूप में नामांकन करने की अनुमति देगा। अभी तक, हर साल पहली जनवरी को या उससे पहले 18 साल के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति है। चुनाव आयोग अधिक योग्य लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति देने के लिए कई कट-आफ तारीखों पर जोर दे रहा वर्तमान में, किसी विशेष वर्ष में होने वाले चुनाव के लिए, केवल वही व्यक्ति मतदाता सूची में नामांकित होने के लिए पात्र हैं, जो उस वर्ष की पहली जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि इस उद्देश्य के लिए निर्धारित पहली जनवरी की कट-आफ तारीख कई युवाओं को एक विशेष वर्ष में होने वाली चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित करती है।
इसके साथ ही चुनाव के दौरान झूठे हलफनामे दाखिल करने वालों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने, चुनाव में तय सीमा से ज्यादा पैसा खर्च करने आदि के मामलों के लिए कड़े नियम बनाने की सिफारिश की गई है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग इन सुधारों को लेकर कानून मंत्रालय को कई बार अपने सुझाव देता रहा है। चुनाव सुधारों के तहत लोकसभा से लेकर विधानसभा और पंचायत आदि के चुनाव एक साथ कराने का भी सुझाव है, लेकिन इस पर फिलहाल अभी चुप्पी है।
उल्लेखनीय है आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने की कवायद फरवरी 2015 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा के कार्यकाल के दौरान आयोग द्वारा शुरू की गई थी। हालांकि, आधार-वोटर आइडी लिंकिंग प्रक्रिया को अगस्त 2015 में निलंबित कर दिया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड के उपयोग को एलपीजी और केरोसिन वितरण और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) तक सीमित कर दिया था।