पाकिस्तान में नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) ने सरकार से मांग की है कि उसे राजनीतिक नेताओं, अधिकारियों और उनके परिवार के लोगों के टैक्स रिकॉर्ड देखने की अनुमति दी जाए। ये टैक्स रिकॉर्ड समुद्री खनन ठेकों से संबंधित हैं। भ्रष्टाचार निरोधी इकाई की यह मांग कानून में संशोधन कर पूरी की जा सकती है। एनएबी ने आयकर अध्यादेश 2001 में चार महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग की है। ये संशोधन 2021 के वित्त विधेयक के जरिये भी किए जा सकते हैं।
यह विधेयक अभी संसद में लंबित है। सरकार ने यदि एनएबी का अनुरोध मान लिया तो पिछले 20 साल के रिकॉर्ड देखे जा सकेंगे। इससे नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आ सकते हैं। पाकिस्तान में सरकारी अधिकारी पहले भी कई बार एनएबी की सक्रियता को लेकर सवाल उठा चुके हैं जबकि विपक्षी नेता इसे बदले की कार्रवाई के लिए सरकारी हथियार करार देते रहे हैं।
एनएबी अन्य मामलों में भी विवादों में रहा है। उस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन, चरित्र हनन करने और पूछताछ की प्रक्रिया के बीच ही गिरफ्तार करने के आरोप लगते रहे हैं। एनएबी ने कहा है कि खनन फर्मों के टैक्स रिकॉर्ड को गोपनीय रखने के नियम को खत्म किया जाना चाहिए। इस नियम में सांसदों, अन्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को टैक्स रिकॉर्ड दिखाने से छूट मिली हुई है। सूत्रों के अनुसार सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोग एनएबी के अनुरोध की समीक्षा कर रहे हैं। इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री इमरान खान लेंगे।