व्यापार-हथियार नियंत्रण-जलवायु परिवर्तन पर बाइडेन-पुतिन के बीच हुई बातचीत, बैठक से पहले तक US को हिदायतें देता रहा रूस

17 जून से दिल्ली में आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस की शुरुआत होगी. दो दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे करेंगे और इसमें सेना की सभी सातों कमान के कमांडर और सेना मुख्यालय में तैनात सभी महानिदेशक स्तर के प्रिसिंपल स्टाफ ऑफिसर हिस्सा लेंगे. अब जानिए कि इस बैठक का एजेंडा क्या होगा? संक्षेप में समझिए तो इस मीटिंग में उत्तरी यानी चीन और पश्चिमी यानी पाकिस्तानी सीमा के ऑपरेशनल हालात की समीक्षा की जाएगी. इस कॉन्फ्रेंस में भारतीय सेना की अगले एक साल की तैयारियों का रोड-मैप भी तैयार होगा. इसके अलावा भारतीय सेना की सर्दियों में तैनाती पर भी बातचीत होगी. थिएटर कमांड को कैसे सेना के लेवल पर लागू करना है इस पर भी चर्चा होगी. एकीकृत युद्ध समूह की रूप रेखा यानी इसे अगले साल तक कैसे लागू करना है, इस पर भी चर्चा होगी. इसके अलावा सैन्य स्तर पर किस-किस जंग में कौन-कौन सी चीज की जरूरत है. इसका भी रिव्यू किया जाएगा. साथ ही फॉरवर्ड लोकेशन पर नई स्वास्थ्य व्यवस्था और नए फील्ड हॉस्पिटल तैयार करना भी इस मीटिंग के एजेंडे में शामिल है.

कुछ समय पहले ही स्विटजरलैंड के जेनेवा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच मीटिंग खत्म हुई. ये शिखर सम्मेलन करीब 4 घंटे तक चला. भारतीय समय के मुताबिक शाम करीब पांच बजे मुस्कुराते चेहरों के साथ दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर इस सम्मेलन की शुरुआत की. आपको बता दें कि ये बैठक ऐसे समय में हो रही जब दोनों देशों संबंधों में तल्खी चरम पर है. पिछले चार महीनों से दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी की है. बाइडेन ने अमेरिकी हितों पर रूस समर्थित हैकरों के साइबर हमलों को लेकर पुतिन की कई बार आलोचना की. दोनों देशों में एक-दूसरे के एम्बेसडर तक नहीं हैं. ऐसे में रूस और अमेरिका की ये मीटिंग काफी महत्वपूर्ण है.

व्यापार और हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दों पर हुई चर्चा

बताया जा रहा है कि इस बैठक में अमेरिका और रूस के बीच व्यापार और हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. सामरिक स्थिरता, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन भी बातचीत हुई. मीटिंग में कोरोना महामारी और आर्कटिक जैसे विषय पर भी चर्चा हुई. पुतिन और बाइडेन के बीच यूक्रेन, सीरिया और लीबिया जैसे क्षेत्रीय संकट पर विचार-विमर्श हुआ. साथ ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अफगानिस्तान पर भी चर्चा हुई. कहा जाता है कि राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त होता है, ना ही दुश्मन. अंतरराष्ट्रीय राजनीति के मंच पर भी इस वक्त यही देखा जा रहा है. क्योंकि 20 जनवरी को प्रेसिडेंट बनने के बाद से जो बाइडेन लगातार रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर हमलवार रहे.

एक इंटरव्यू में बाइडेन ने पुतिन को हत्यारा तक कहा. लेकिन जेनेवा शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जब बेल्जियम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाइडेन से ये सवाल पूछा गया कि- क्या वो अब भी पुतिन को हत्यारा मानते हैं? तो उन्होंने इस सवाल को हंसी में टाल दिया और कहा कि हमारी अगली मुलाकात के पहले ये बातें बहुत मायने नहीं रखतीं. लेकिन इस मीटिंग से पहले तक रूस के तेवर ढीले नहीं पड़े और वो इशारों ही इशारों में अमेरिका को हद में रहने की हिदायतें देता रहा.

नीले रणक्षेत्र में ये रूस की हुंकार है. विश्वशक्ति अमेरिका को पुतिन के नौसेनिकों की यलगार है. सीक्रेट वर्ल्ड पावर ने एक साथ ब्लू बैटल ग्राउंड में सैकड़ों जंगी जहाज़ों को उतारा, दुश्मनों के बेड़े को ललकारा और वतन से 4000 किमी दूर समंदर में रूस ने अपनी धमक दिखाई. गाइडेड मिसाइलों से लैस युद्धपोतों ने समुद्र के नीचे छिपी पनडुब्बियों की टोह ली. AK-630 नौसैनिक तोपों ने गोलाबारी करके अपनी ताकत का जोरदार प्रदर्शन किया. समंदर में शक्ति-प्रदर्शन की तस्वीरें प्रशांत महासागर में रूसी नौसैनिकों के जोरदार युद्धाभ्यास की हैं, जिसे सोवियत संघ के समय हुए शीतयुद्ध के बाद रूस का सबसे बड़ा जंगी अभ्यास कहा जा रहा है. इस नेवल एक्सरसाइज में रूसी नौसैनिक जहाजों को शत्रु की पनडुब्बी का शिकार करते हुए देखा जा रहा है.

युद्धाभ्यास के जरिए ताकत दिखाता रहा रूस

रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक इस युद्धाभ्यास में डिस्ट्रॉयर, कॉर्वेट्स, एम्फिबियस शिप्स, पनडुब्बियां समेत सैकड़ों जंगी जहाज शामिल हैं. आसमान से दुश्मनों की हरकत पर नजर रखने के लिए Tu-142MZ पनडुब्बी रोधी युद्धक बमवर्षक और मिग-31BM इंटरसेप्टर सहित लगभग 20 विमान हिस्सा ले रहे हैं. पानी के अंदर रूस की कई पनडुब्बियां गश्त कर रही हैं. रसद और गोला-बारूद की पहुंच बनाए रखने के लिए कई दूसरे जहाजों को भी लगाया गया है. मतलब जेनेवा में बाइडेन-पुतिन मुलाकात से ठीक पहले रूस ने घरेलू जल-क्षेत्र से 4000 किमी दूर अपनी ताकत नुमाइश की है, जिसका सीधा मैसेज है कि रूस किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं है. अब यहां ये भी जान लीजिए कि इस सबसे बड़े युद्धाभ्यास में रूसी नौसेना ने कौन-कौन से समंदर सम्राटों की नुमाइश की.

रूसी नौसेना के इस प्रशांत बेड़े की अगुवाई एंटी सबमरीन शिप ए‍डमिरल पंटलीव ने किया. वर्याग मिसाइल क्रूजर ने भी हिस्सा लिया. इसके अलावा मार्शल क्रायलोव मिसाइल ट्रैकिंग जहाज भी इस युद्धाभ्यास में शामिल हैं. रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक, 10 जून को ही रूसी वायुसेना के Su-35 लड़ाकू विमान ने प्रशांत महासागर के ऊपर अमेरिकी वायु सेना के एक RC-135 रणनीतिक टोही विमान को पकड़ लिया था. अमेरिका का यह जहाज रूसी सीमा के पास घुसपैठ का प्रयास कर रहा था. रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अमेरिका अपने जासूसी विमानों, टोही ड्रोन और बमवर्षकों को उड़ाकर अक्सर पूर्व की तरफ लेकर जाता है. मतलब रूस ने एक साथ यहां दोनों हित साध लिए हैं. नीले रणक्षेत्र में शक्ति का प्रदर्शन भी कर रहा है और उसके हाथ दुश्मनों की कमजोरी के ताजा सबूत भी हैं. यानी जेनेवा में बाइडेन-पुतिन मुलाकात से पहले रूस का पलड़ा थोड़ा भारी दिख रहा था