देर से सही लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय संगठन को आमूलचूल बदल दिया है। गिने चुने चेहरों को छोड़कर उपाध्यक्ष से लेकर महामंत्री और सचिव तक के स्तर पर नड्डा ने ना केवल नए चेहरे लाए हैं वरन हर राज्य को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया गया है। संगठन में नया जोश भर कर नड्डा ने उन क्षेत्रों पर भी नजरें लगा दी हैं जहां भाजपा सत्ता से दूर रही है। पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल इन राज्यों में प्रमुख हैं।
शनिवार को भाजपा संगठन में बहुप्रतीक्षित बदलाव की घोषणा की गई। माना जा रहा था कि छोटा परिवर्तन होगा लेकिन नड्डा ने सबकुछ बदल डाला। महासचिवों की बात हो तो भूपेंद्र यादव, अरुण सिंह और कैलाश विजयवर्गीय को छोड़कर सभी चेहरों को मौका दिया गया है। राममाधव, मुरलीधर राव, अनिल जैन, सरोज पांडे जैसे चेहरे बदले गए हैं। कुछ साल पहले ही भाजपा में शामिल हुई पूर्व केंद्रीय मंत्री डी पुरंदेश्वरी, कर्नाटक के विधायक सीटी रवि, पंजाब के तरुण चुग, असम के दिलीप सैकिया और दिल्ली से राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम को महासचिव बनाया गया है।
अगर उपाध्यक्ष की बात की जाए तो वहां भी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और वसुंधरा राजे के अलावा सभी नए लोग लाए गए जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व कृषि मंत्री एवं सांसद राधामोहन सिंह, पश्चिम बंगाल से आने वाले मुकुल राय खास हैं। संगठन महामंत्री और सह संगठन मंत्री के रूप में बीएल संतोष, वी सतीश, सौदान सिंह और शिवप्रकाश को बरकरार रखा गया है। संगठन में लंबे अरसे बाद कोषाध्यक्ष के लिए औपचारिक नियुक्ति हुई है। उत्तर प्रदेश से आने वाले राजेश अग्रवाल को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि नई टीम के पदाधिकारी भारत के लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करेंगे और समर्पण के साथ पार्टी की गौरवशाली परंपरा को बनाए रखेंगे।
पहली बार सांसद बने कर्नाटक के युवा चेहरे तेजस्वी सूर्या को युवा मोर्चे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महिला मोर्चा के प्रमुख का ऐलान नहीं किया गया है लेकिन अन्य मोर्चों में चेहरे बदल दिये गए हैं। डी. पुरुन्देश्वरी को महासचिव बनाकर भाजपा ने चंद्रबाबू नायडू को साफ संकेत दे दिया है कि फिलहाल तेलगूदेशम के साथ किसी प्रकार की तालमेल की संभावना नहीं है। वहीं पूर्वोत्तर भारत से पहली बार दिलीप सैकिया को महासचिव के रूप में अहम जिम्मेदारी सौंप कर भाजपा ने पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने की कोशिश की है।
अगले साल की शुरूआत में चुनाव में जा रहे पश्चिम बंगाल पर खास ध्यान दिया गया है। तृणमूल कांग्रेस से कुछ वर्षों पहले आए रणनीतिकार मुकुल राय को उपाध्यक्ष बनाया जाना इसलिए खास है क्योंकि अब वह औपचारिक रूप से राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारी हैं। प्रदेश में नेताओं के बीच चल रही खींचतान में अब सामंजस्य बिठाने में मदद मिलेगी। तृणमूल से ही आए अनुपम हजारा को भी सचिव पद दिया गया है। यूपी से सांसद हरीश द्विवेदी और विनोद सोनकर राष्ट्रीय सचिव के रूप संगठन में जगह बनाने में सफल रहे हैं। महाराष्ट्र के तेजतर्रार नेता विनोद तावड़े और गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे भी सचिव बनाई गई हैं।
किसान मोर्चे के अध्यक्ष पद से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की छुट्टी हो गई है। उनकी जगह पर उत्तरप्रदेश के सांसद राजकुमार चाहर को लाया गया है। इसी तरह के लक्ष्मण को ओबीसी मोर्चा, लाल सिंह आर्य को अनुसूचित जाति मोर्चा, समीर ओरांव को अनुसूचित जाति मोर्चा और जमाल सिद्दिकी को अल्पसंख्यक मोर्चा की जिम्मेदारी दी गई है। नई सोच और हर प्रदेश के अनुसार रणनीति का खास ध्यान रखते हुए ही नड्डा ने सांसद अनिल बलूनी के हाथ में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी रखी है। प्रवक्ता की सूची में सुधांशु त्रिवेदी, शाहनवाज हुसैन, संबित पात्रा जैसे नामों के साथ राजीव प्रताप रूड़ी, राजीव चंद्रशेखर समेत अलग अलग राज्य से लगभग दो दर्जन चेहरों को शामिल किया गया है।
केंद्रीय संगठन की घोषणा के साथ ही अब सबकी नजरें संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति पर टिक गई है। संसदीय बोर्ड पार्टी में शीर्ष निर्णायक संस्था है। माना जा रहा है कि इसमें शीर्ष नेतृत्व को भरोसेमंद और सफल महासचिव भूपेंद्र यादव के साथ नरेंद्र मोदी कैबिनेट से एक महिला मंत्री को स्थान मिल सकता है। संसदीय बोर्ड में पिछले कुछ वर्षों में चार स्थान खाली हुए थे। एम वेंकैयानायडू उपराष्ट्रपति बन गए जबकि अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार का निधन हो चुका है। सामान्यतया संसदीय बोर्ड में सचिव का पद किसी महामंत्री को दिया जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह पद भूपेंद्र यादव को मिलेगा जबकि महिला प्रतिनिधित्व की रेस में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण हो सकती हैं।