राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा देश के सबसे बड़े राजनीतिक सूबे उत्तर प्रदेश में पहुंच चुकी है। 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में राहुल की यात्रा महज ढाई दिन ही रहेगी। वह 130 किमी चलेंगे और 3 लोकसभा सीट, 11 विधानसभा सीटों को कवर करेंगे। ये वो सीटें हैं, जहां कांग्रेस का पिछले दो विधानसभा चुनावों (2017 और 2022) में खाता तक नहीं खुला है।कांग्रेस इन सीटों पर अपनी जमानत तक नहीं बच पाई थी। ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल विपक्ष का चेहरा कैसे बन पाएंगे? कांग्रेस सबसे बड़े सूबे में अपनी जड़ मजबूत किए बिना भाजपा को चुनौती कैसे दे पाएगी?
आइए…यूपी में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का पूरा एनालिसिस समझते हैं, आखिर राहुल और कांग्रेस को इस यात्रा के जरिए क्या हासिल होगा? उनका फोकस किस पर है?
राहुल गांधी ने अब तक की अपनी भारत जोड़ो यात्रा में सबसे ज्यादा समय उन राज्यों में दिया है, जहां कांग्रेस ने लोकसभा या विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं, कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव में यहां 15 सीटें जीतीं थीं। यहां राहुल ने 18 दिन का समय दिया।
राहुल ने उन राज्यों पर फोकस किया है, जहां भाजपा कमजोर है या कांग्रेस भाजपा को सीधे टक्कर दे सकती है। राहुल ने मध्य प्रदेश में 16 दिन, राजस्थान में 18 और महाराष्ट्र में 14 दिन का समय दिया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां भी राहुल ने समय दिया है। कर्नाटक में इसी साल अप्रैल में चुनाव होने हैं, यहां राहुल की भारत जोड़ो यात्रा सबसे ज्यादा 21 दिन रही। कर्नाटक में भी भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 28 में 25 सीटें जीती थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा की कांग्रेस से सीधी टक्कर है।
हरियाणा, महाराष्ट्र में भी कांग्रेस मजबूत है, यहां पिछली सरकारें कांग्रेस की ही थीं। ऐसे में इन दोनों राज्यों में भी राहुल ने अपनी यात्रा से धार देने का काम किया है। हरियाणा में दूसरे फेज की यात्रा 6 जनवरी से शुरू होगी।
यूपी में राहुल की इतनी छोटी यात्रा क्यों? इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह का कहते हैं कि यूपी भारत जोड़ो यात्रा रूट का बस हिस्सा लगता है। इसलिए वह यूपी को कवर कर रहे हैं। राहुल दिल्ली से हरियाणा सीधे भी निकल सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया। उन्होंने यूपी को टच किया है। भारत जोड़ो यात्रा का रूट कन्याकुमारी से श्रीनगर है, इसलिए बीच में जो राज्य आ रहे हैं, वहां वह जा रहे हैं।
मुझे लगता है कि वह संदेश देने के लिए भी यूपी को कवर रहे हैं, ताकि ऐसा भी न हो कि इतना बड़ा राज्य उनसे छूट गया। राहुल की ये यात्रा उस इलाके से गुजर रही है, जहां कांग्रेस अपनी पुरानी खोई हुई जमीन हासिल कर सकती है, क्योंकि ये बेल्ट खेती और किसानों की है, मुस्लिम बाहुल्य है। पूर्व में दंगा प्रभावित भी रह चुका है। यात्रा में पूरे प्रदेश से कांग्रेस कार्यकर्ता आए हैं। इसके साथ ही इतने बड़े राज्य के लिए कांग्रेस की भविष्य में जरूर कोई योजना है। ऐसा भी लगता है।
राहुल यूपी के जिन तीन जिलों से गुजर रहे हैं, वो मुस्लिम और जाट बहुल इलाका है। दोनों बिरादरी के लोग वेस्ट यूपी की 120 विधानसभा और 15 लोकसभा सीटें पर जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन इलाकों में ही कांग्रेस ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा ताकत भी लगाई थी। यह इलाका किसान बहुल भी है।
किसान आंदोलन के दौरान भाजपा को सबसे ज्यादा विरोध का सामना यहीं पर करना पड़ा था। वेस्ट यूपी में सपा का समीकरण मुस्लिम, यादव और जाट हैं, रालोद का मुस्लिम जाट, बसपा का मुस्लिम, जाट और दलित है। माना जा रहा है कि यूपी में भले ही राहुल की यात्रा छोटी है, लेकिन उसका सियासी असर ईस्ट यूपी तक होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं और कांग्रेस जहां सबसे कमजोर है, वहां राहुल सिर्फ 130 किमी चल रहे हैं। यदि उन्हें 2024 में विकल्प बनना है तो उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा फोकस करना होगा, क्योंकि दिल्ली की सत्ता का रास्ता UP से ही निकलता है।
फिलहाल UP में कांग्रेस इतिहास में सबसे ज्यादा कमजोर है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की अगुआई में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा, लेकिन इतिहास का सबसे कमजोर प्रदर्शन किया। कांग्रेस 403 में से सिर्फ 2 सीटें जीत पाई। वोट शेयर भी 2.33% रहा। यहां तक कि कांग्रेस का यूपी की 100 सदस्यीय उच्च सदन विधान परिषद में भी एक सदस्य नहीं बचा है। ऐसा पहली बार हुआ है।
हालांकि राहुल गांधी ने अपना सियासी जनाधार बढ़ाने की कवायद जरूर की। उन्होंने अपने पुराने सहयोगियों को भी यात्रा में आने का निमंत्रण दिया। इनमें अखिलेश यादव, जयंत चौधरी जैसे नेता शामिल हैं। हालांकि इन नेताओं ने शुभकामनाएं तो दीं, लेकिन यात्रा से जुड़ने से इनकार कर दिया।
भारत जोड़ो यात्रा सिर्फ 3 जिलों और 11 विधानसभा क्षेत्रों से ही क्यों गुजर रही? यह सवाल हमने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी से किया, तो उन्होंने कहा, “इस यात्रा का जो रूट चार्ट पहले दिन तय किया गया था, उसमें UP में यात्रा के प्रवेश का प्लान नहीं था। यात्रा 150 दिनों में 3570 किलोमीटर की दूरी तय कर कन्याकुमारी से श्रीनगर में समाप्त हो रही थी, लेकिन दिल्ली में ठहराव की वजह से 3 दिनों की यात्रा उत्तर प्रदेश में रखी गई।”