भागश्री की बेटी अवंतिका दसानी कर रहीं हैं बॉलीवुड डेब्यू

अवंतिका दसानी वेब सीरीज ‘मिथ्या’ और साउथ की फिल्म ‘नेनू स्टूडेंट सर!’ के बाद अब बॉलीवुड मूवी ‘यू शेप की गली’ में फीमेल लीड शब्बो के कैरेक्टर में दिखाई देंगी। एक के बाद एक प्रोजेक्ट करते जा रहीं अवंतिका किन तैयारियों के साथ इंडस्ट्री में आई हैं, मां से क्या टिप्स मिली है और अब तक स्टार्स के साथ काम करके क्या कुछ सीखा है आदि सवालों के जवाब में बताया-
मैंने अब तक तीन प्रोजेक्ट शूट किया। इन तीनों प्रोजेक्ट की आउटडोर शूटिंग हैदराबाद, दार्जिलिंग और लखनऊ में हुई। ‘यू शेप की गली’ को लखनऊ में शूटिंग करते समय बहुत मजा आया। वहां सेट पर सभी लोग हंसी-मजाक उड़ा रहे थे कि कुछ भी हो, अवंतिका को लखनऊ में शूट करके बड़ा मजा आ रहा है। फिल्म के कास्ट, क्रू, डीओपी, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, राइटर बहुत अच्छे लोग हैं। लखनऊ में एक महीने शूटिंग चली, जिसमें पूरा शूटिंग कम्प्लीट कर ली गई। सिर्फ पैचवर्क बाकी है।

लखनऊ में एक तो अलग-अलग जगह के गोलगप्पे खाने गए। दूसरा लखनऊ की स्पेशली चिकन के कुर्ते, साड़ी और लहंगे की शॉपिंग करके लाई हूं। पिछली बार दिसंबर में लखनऊ गई थी, पर वहां का लंहगा नहीं मिला। इस बार लंहगा मिला, तब बहुत खुश हुई।
हमारा जो कास्ट है वह इनक्रेडिबल है। विवान शाह, जावेद जाफरी, इश्तियाक खान, नमिता लाल, सुशांत सिंह आदि सारे एक्टर की स्टाइल अलग है। सुशांत सिंह और इश्तियाक सर से सीखा है कि मूवमेंट को कैसे कैप्चर करते हैं। छोटी-छोटी चीजों को कैरेक्टर में बखूबी समाहित करते हैं।

जावेद सर से सीखा कि किसी भी रोल में सहजता के साथ ढल जाओ। जावेद सर कैमरे के सामने पहुंचते हैं, तब उनका पूरा बॉडी लैंग्वेज चेंज हो जाता है। मेरा और विवान का कैरेक्टर को समझना बहुत इंटरेस्टिंग रहा। हम दोनों को खुद की एक्पीरियंस से बहुत दूर जाना पड़ा।
यह रोमांटिक म्यूजिकल और सोशल ड्रामा जॉनर की फिल्म है। मेरे किरदार का नाम शबनम है। लोग उसे प्यार से शब्बो बुलाते हैं। मुझे यह किरदार बहुत इंटरेस्टिंग लगा। मैंने ‘मिथ्या’ में जो ग्रे शेड रिया का किरदार निभाया है, उससे शब्बो का कैरेक्टर बिल्कुल अलग है। मेरी पहली बॉलीवुड मूवी है। इसमें सबसे ज्यादा मेरे कैरेक्टर का स्ट्रॉन्ग चेंज होता है। शब्बो बबली टाइप नहीं, बल्कि स्ट्रांग माइंडेड लड़की है।

मैं खुद बेसब्री से इंतजार कर रही हूं कि कब आएगी। मैं खुश हूं कि करियर के शुरुआत में इतना सब देख पाई हूं। लखनऊ का लहजा और बात करने का तौर-तरीका को सीखना पड़ा। हर दिन राइटर के साथ बैठकर स्क्रिप्ट रीडिंग करती थी। इसमें डायलॉग पर काफी काम किया है।
मैंने डांस, वॉइस ट्रेनिंग, बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली है। वाइस ट्रेनिंग तो अभी भी करती हूं। मैंने एक्टिंग के कई सारे अलग-अलग वर्कशॉप किए हैं। अतुल मोंगिया, हेमंत खेर से लेकर केरल में आदिशक्ति नाम से थिएटर वर्कशॉप होता है, वहां से भी ट्रेनिंग ली है। जितना हो सकता है, उतना कंटीन्यूटी के साथ सीखती आई हूं। लेकिन सेट पर जो लर्निंग मिलती है, वह कहीं भी नहीं मिलती है। वह अपना अलग ही स्कूलिंग हो जाता है। मैं लकी रही कि ‘मिथ्या’ में हुमा कुरैशी, परमब्रता, रजत कपूर आदि थे और ‘यू शेप की गली’ में इश्तियाक खान, जावेद जाफरी रहे। दोनों प्रोजेक्ट में अलग-अलग इंटरेस्टिंग लर्निंग रही।
मैं और भैया ट्रेनिंग के लिए वर्कशॉप करने जाते थे, तब सबसे ज्यादा मां एक्साइटेड होती थीं। उनके जमाने में वर्कशॉप कॉन्सेप्ट होती नहीं थी। घर पहुंचते ही वे पूछती थीं कि तुमने क्या-क्या किया, मुझे भी सिखाओ।

मम्मी ने इमोशन पर फोकस करने के लिए बोला है। वे कहती हैं कि अगर इमोशन आंखों से न दिखे, तब एक्टिंग करने का कोई फायदा नहीं। मेरे लिए यह इंपॉर्टेंट टिप्स रही। एक्टिंग को 100 पर्सेंट देना चाहिए। इसे इंजॉय करो, अच्छी बात है। लेकिन काम से प्यार और लगाव नहीं है, तब वह काम नहीं करना चाहिए। एक्टर की लाइफ बहुत मुश्किल लाइफ होती है।