मिट्टी की हांडी में खाना पकाना प्रेशर कुकर से ज्यादा अच्छा

आज के समय में आप जो खा रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है और ना ही हरी सब्जियों की कोई गारंटी। मतलब साफ है कि साइंस के इस युग में किसी के स्वास्थ का कोई मोल नहीं है। जबकि हम लोग खाना इसलिए खाते हैं ताकी हमारे शरीर को जरूरी पोषक तत्‍व मिल सकें। हालांकि हमारे आहार में मिनरल्‍स, विटामिन्‍स और प्रोटीन मौजूद होते हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि गुणों बढ़ाने या घटाने में पकाने वाले बर्तन का विशेष स्‍थान होता है। शायद आपको यह बात थोड़ी अजीब से लग रही होगी, लेकिन यह सच है।

प्राचीन काल से ही मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने की प्रथा रही है। आज भले ही साइंस ने कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन स्वास्थ्य के नजरिए से देखा जाए तो आज भी मिट्टी की हांडी में खाना पकाना प्रेशर कुकर की तुलना में कई गुना ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से हर बीमारी को शरीर से दूर रखा जा सकता है। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान ने भी माना है।

क्‍यों फायदेमंद है मिट्टी की हांडी में खाना पकाना

आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श मिलना बहुत जरूरी होता है। लेकिन प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है। भोजन धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। इससे भोजन पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी बनता है। साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना थोड़ा धीमा बनता है पर सेहत को पूरा फायदा मिलता है। और जो खाना जल्दी पकता है वो खतरनाक भी होता है।

इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्षम पोषक तत्व मिलने चाहिए। जो केवल मिट्टी से ही आते हैं। कैल्शियम, मैग्‍नीशियम, सल्‍फर, आयरन, सिलिकॉन, कोबाल्ट, जिप्सम आदि। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहां आज भी कर्इ मंदिरों में मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनता है। लेकिन प्रेशर कुकर एल्यूमीनियम का होता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। जिससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पेरेलिसिस हो सकता है। इसलिए प्रेशर कुकर का ज्यादा इस्तेमाल शरीर के लिए हानिकारक है। आइये जानें मिट्टी के बर्तनों में खाना क्‍यों पकाना चाहिए।

स्‍वादिष्‍ट बनता है भोजन

हालांकि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने में थोड़ा समय ज्‍यादा लगता है लेकिन स्वाद के मामले में मिट्टी के बर्तनों में पके भोजन का कोई जवाब नहीं। प्रेशर कुकर में बनाए भोजन की तुलना में मिट्टी के बर्तनों में पकाया भोजन काफी ज्यादा स्वादिष्ट होता हैं। अगर आपको खाने में सौंधी-सौंधी खुशबू पसंद है, तो मिट्टी के बर्तन में पका हुआ खाना आपको एक अलग स्वाद का अनुभव कराएगा।

माइक्रो न्यूट्रीएंट्स कम नहीं होते

क्‍या आप जानते हैं कि स्‍वादिष्‍ट बनने के साथ मिट्टी के बर्तनों में पकी दाल में माइक्रो न्यूट्रीएंट्स 100 प्रतिशत रहते है जबकि, प्रेशर कुकर में पकाई दाल में 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। पीतल के बर्तन में बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं। कांसे के बर्तन में बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

खाना खराब नहीं होता

मिट्टी के बर्तन में पके भोजन जल्दी खराब नहीं होते। साथ ही मिट्टी के बर्तन में पकाए भोजन आपके पोषक तत्वों को कम नहीं होने देते।

दूध और दूध से बने प्रोडक्‍ट के लिए सबसे उपयुक्त

आपने बंगालियों की सबसे पसंदीदा चीज यानी मिष्टी दोई या दही तो जरूर खाया होगा। अगर आपको भी यह पसंद है तो इसे खाने के लिए आपको बंगाल जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने घर पर मिट्टी की हांडी में इसे बना सकते हैं। इसी तरह आप इसमें नॉर्मल दही भी जमा सकते हैं। अगर आप इसमें गर्म दूध डालकर पिएंगे तो आपको दूध बहुत ही स्वादिष्ट लगेगा और आप हमेशा ऐसे ही दूध पीना चाहेंगे क्योंकि मिट्टी की खुशबू दूध के स्वाद को दोगुना कर देगी।

इस तरह मिट्टी की हांडी में खाना पकाना कितना लाभदायक होता है आप जान चुके हैं। इसलिए हम आपसे यही कहेंगे कि जहां तक हो सके कुकर की तुलना में मिट्टी की हांडी में खाना पकाना ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि इसमें आपका भोजन स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर रहता है! समय थोड़ा ज्यादा तो जरूर लगेगा, लेकिन इसमें पकाए गए भोजन के स्वाद और गुणवत्ता की पूरी गारंटी है। हालांकि बहुत ही कम लोग इस बात को मानेगें लेकिन ये बात सच है कि अगर आप स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करें।