बंगाल ने बढ़ा दी कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीरें

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई। तमिलनाडु को छोड़कर बाकी सभी प्रदेशों में पार्टी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने में भी नाकाम रही। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल थी, पर रुतबा तो दूर पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई। ऐसे में इस हार का खामियाजा कांग्रेस को अगले साल होने वाले छह राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है।

वर्ष 2022 में छह राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब व मणिपुर के साथ हिमाचल प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। पंजाब को छोड़कर बाकी सभी प्रदेशों में भाजपा की सरकार है। उप्र में कांग्रेस लंबे वक्त सत्ता से बाहर है। पार्टी के पास मजबूत संगठन नहीं है। ऐसे में पार्टी को 2017 की तरह एक बार फिर गठबंधन की जरूरत है।

यूपी में अपनी मौजूदगी बनाए रखना आसान नहीं
उप्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वर्ष 2017 में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी। इन चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती तो कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ता। जीत की उम्मीद जगती, पर मौजूदा हालात में पार्टी के लिए अपनी मौजूदगी बनाए रखना आसान नहीं है।

गुजरात में पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं
गुजरात में पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ज्यादातर स्थानीय नेता और विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वर्ष 2017 में युवाओं की जिस तिगड़ी के जरिए कांग्रेस, भाजपा को 100 सीट सीट कम पर रोकने में सफल रही थी, वह हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की तिगड़ी बिखर चुकी है। पटेल कांग्रेस में हैं, पर बहुत खुश नहीं हैं।

उत्तराखंड में भी रणनीति साफ नहीं
उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने अभी अपनी रणनीति साफ नहीं की है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत लगातार यह मांग कर रहे हैं कि पार्टी को अपना चेहरा घोषित कर चुनाव तैयारियां शुरू करनी चाहिए। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, कांग्रेस पूरी तैयारी और रणनीति बनाकर चुनाव लड़े तो उत्तराखंड में भाजपा को शिकस्त देना बहुत मुश्किल नहीं है।

पंजाब में बिगड़ सकती है स्थिति
इन चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से पंजाब में भी स्थिति बिगड़ सकती है। पार्टी की हार से जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मोलतोल की ताकत बढ़ी है। वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू भी बहुत ज्यादा इंतजार करना नहीं चाहते। पार्टी ने जल्द कोई फैसला नहीं लिया तो पंजाब में भी सत्ता बरकरार रखना आसान नहीं होगा। पार्टी के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस को हार के बाद मायूस बैठने के बजाए आत्मचिंतन कर गलतियों को सुधारना चाहिए।

साभार: हिंदुस्तान