बंगाल और केंद्र सरकार किस रेत माफिया की लड़ाई में उलझी , जानिए

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बागतुई गांव के रेत माफिया की लड़ाई अब ममता सरकार और केंद्र के लिए नाक की लड़ाई में तब्दील हो चुकी है। इस लड़ाई में CID और CBI आमने-सामने हैं। ये सब 21 मार्च 2022 को इलाके के एक रेत माफिया की हत्या से शुरू हुआ। एक घंटे बाद ही पूरा गांव जल उठा। भीड़ ने कई घरों के गेट बंद कर आग लगा दी। अगले दिन इन घरों से महिलाओं और बच्चों समेत 7 लोगों के जले हुए शव मिले। तीन लोगों की बाद में हॉस्पिटल में मौत हुई।
ये कहानी बागतुई के रेत माफिया गैंग्स की है। इसमें तीन किरदार हैं। एक भादू शेख, जिसकी 21 मार्च को हत्या हुई। दूसरा भादू का सौतेला भाई जहांगीर, जिसे हिंसा का मास्टरमाइंड बताया गया। तीसरा जहांगीर का मददगार लालन शेख। तीनों में अब सिर्फ जहांगीर जिंदा है। लालन शेख की 12 दिसंबर को CBI की कस्टडी में मौत हो गई।
हिंसा के बाद इस मामले में BJP की एंट्री हुई और हाईकोर्ट के आदेश के बाद ये केस CBI के पास चला गया। CBI ने झारखंड के पाकुड़ से 4 दिसंबर को लालन शेख को गिरफ्तार किया। 12 दिसंबर को CBI ने बताया कि लालन ने बाथरूम में सुसाइड कर लिया है। लालन की पत्नी रेशमा रामपुरहाट पुलिस के पास पहुंची और उसी दिन CBI के 7 अफसरों के खिलाफ हत्या समेत दूसरी धाराओं में FIR दर्ज कर ली गई।
FIR में विलास म्हादगुत, भास्कर मोंडल, राहुल, स्वरूप डे और सुशता भट्टाचार्य के अलावा एक DIG और एक SP शामिल हैं। FIR में DIG और SP का नाम नहीं लिखा गया है। हाईकोर्ट ने CID को CBI अफसरों की जांच करने की इजाजत दी है, हालांकि कार्रवाई करने पर रोक लगाई है। इस मामले में सेंट्रल एजेंसी Vs स्टेट एजेंसी फिर आमने-सामने हैं।
अब ‘गैंग्स ऑफ बागतुई’ पर आते हैं। बागतुई पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आता है। यह झारखंड बॉर्डर से एकदम सटा हुआ है। गांव की आबादी करीब 5 हजार है, जिनमें 80% से ज्यादा मुस्लिम हैं। कई साल से ये आपस में ही लड़ रहे हैं। वजह है रेती-बजरी की खदानें। जो भी यहां माइनिंग करता है और गांव से माल लेकर जाता है, उसे गांव के ताकतवर लोगों को रिश्वत देना पड़ती है।
इस नेक्सस में लोकल लीडर्स और पुलिस भी शामिल हैं। सभी तक उनका हिस्सा पहुंचता है। BJP के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि गांव से हर रोज 75 लाख रुपए थाने और 24 लाख स्थानीय नेता के पास भेजे जाते थे।
ये लड़ाई इसी पैसे की है। इसी के लिए गांव में दो गुट बन गए। रिश्वत के अमाउंट के लिए मारपीट और हत्या आम बात हो गई। दोनों ही गुटों में मुस्लिम शामिल हैं। जो ग्रुप ताकतवर होता है, वही उगाही कर पाता है। गांव का उप-प्रधान भादू शेख इनमें सबसे मजबूत खिलाड़ी था। कभी चिकन बेचने वाला भादू ममता की पार्टी TMC से जुड़ा और देखते ही देखते करोड़पति हो गया।
आगजनी में 10 लोगों की मौत के 3 दिन बाद CM ममता बनर्जी भी बागतुई पहुंची थीं। उन्होंने मारे गए लोगों के परिवार को 5 लाख और घायलों को 3 लाख रुपए की मदद का ऐलान किया। साथ ही पुलिस को अपनी ही पार्टी के ब्लॉक प्रेसिडेंट अनारुल शेख को अरेस्ट करने का इंस्ट्रक्शन दिया। आरोप है कि पीड़ितों ने फोन पर अनारुल से मदद मांगी थी, लेकिन उन्होंने न मदद की और न ही पुलिस को घटना के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही पुलिस ने अनारुल के घर पर छापा मारा, जहां से बम और हथियार मिले। इसके बाद अनारुल को अरेस्ट कर लिया गया। इस घटना के बाद BJP ने खूब प्रदर्शन किए। इससे TMC दबाव में थी। राज्य सरकार ने जांच के लिए SIT बनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंप दी।21 मार्च को भादू शेख की पेट्रोल बम मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद दावा किया गया था कि भादू शेख के गुट ने घरों में आग लगा दी। हालांकि एक CCTV फुटेज ने पूरी कहानी बदल दी। इसमें भादू के सौतेले भाई जहांगीर का करीबी लालन शेख ही भादू पर बम फेंकते दिखा। CBI ने अपनी चार्जशीट में हिंसा का जिम्मेदार जहांगीर को ही बताया है।
अब 12 दिसंबर को लालन की लाश मिलने के बाद CBI जहां सुसाइड की बात कह रही है, वहीं लालन की पत्नी कस्टडी में हत्या का आरोप लगा रही है। सूत्रों के मुताबिक जिस दिन लालन की मौत की बात कही जा रही है, उस दिन जहांगीर भी मौके पर मौजूद था।
लालन की पत्नी रेशमा बीवी ने CBI के अफसरों पर पति की हत्या करने का आरोप लगाया है। रेशमा का कहना है कि CBI वाले मेरे पति को धमका रहे थे। वे 50 लाख रुपए रिश्वत मांग रहे थे। 12 दिसंबर को लालन की मौत के अगले दिन रेशमा ने इसकी लिखित शिकायत पुलिस को दी। इसके बाद CBI अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए 13 दिसंबर को मेघालय पहुंचीं ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि CBI बहुत स्मार्ट है तो उसकी कस्टडी में मुख्य आरोपी की मौत कैसे हुई।
इस पर BJP नेता शुभेंदु अधिकारी सवाल उठाते हैं कि लालन शेख की पत्नी को CBI के उन अधिकारियों के नाम कैसे मालूम हैं, जो गौ तस्करी के मामले की जांच कर रहे हैं, जबकि ये अधिकारी बागतुई में हुई हिंसा की जांच में शामिल ही नहीं हैं। वे आरोप लगाते हैं- बीरभूम के विधायक आशीष बनर्जी ने उन्हें ये नाम रटवाए हैं।
हमने इस मामले में बीरभूम SP नागेंद्र नाथ त्रिपाठी को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि जांच CID के पास है। केस का स्टेटस वही बता सकती है। इसके बाद हमने CID के IGP सुनील कुमार चौधरी को फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
बीरभूम जिला परिषद के सभापति बिकास रॉय चौधरी का कहना है कि सेंट्रल एजेंसियों के जरिए BJP तृणमूल कांग्रेस की इमेज खराब करने की कोशिश कर रही है। लालन की पत्नी ने बताया कि CBI के अधिकारी उन पर कुछ नेताओं का नाम लेने का दबाव बना रहे थे। जहां भी BJP की सरकारें नहीं हैं, वहां ED और CBI ज्यादा एक्टिव हैं।
BJP के जनरल सेक्रेटरी जगन्नाथ चट्‌टोपाध्याय का कहना है कि बीरभूम, मुर्शिदाबाद और मालदा के लिए जाना जाता है कि कैसे यहां की पुलिस किसी को भी झूठे केस में जेल में डाल देती है। चुनाव के पहले अपोजिशन लीडर्स को धमकाती है। अपोजिशन लीडर्स को मीटिंग तक की परमिशन नहीं देती। हमें लगता है कि लालन की मौत के पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है और बंगाल सरकार CBI और ED से डरी हुई है।
पॉलिटिकल एनालिस्ट अशोक बासू कहते हैं कि बंगाल में एजेंसीज के बीच लड़ाई चल रही है, इसमें कोई शक नहीं। शायद BJP के नेताओं को लगता है कि CBI और ED यहां का चुनावी समीकरण बदल सकती हैं। कुछ नेता BJP से TMC में शामिल भी हुए हैं। पुलिस हमेशा से सरकार के साथ खड़ी होती है। बंगाल में ये अंग्रेजों के जमाने से लेकर लेफ्ट और TMC की सरकार तक में होता आया है।
फिलहाल 14 दिसंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने CID को CBI के उन 7 अफसरों के खिलाफ जांच करने की इजाजत दी है, जिनके नाम FIR में दर्ज हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि पुलिस उन पर कोई सख्त एक्शन नहीं लेगी। CBI ने कोर्ट में दलील दी थी कि पुलिस ने हमारे अफसरों के खिलाफ इसलिए शिकायत दर्ज की है, क्योंकि हम गो तस्करी वाले मामले की जांच कर रहे हैं, जिसमें बीरभूम जिले के TMC प्रेसिडेंट अनुब्रत मंडल आरोपी हैं।
इसी बीच CID की एक टीम बुधवार को IGP सुनील कुमार चौधरी के नेतृत्व में CBI के रामपुरहाट वाले दफ्तर पहुंची और अफसरों से सवाल-जवाब किए। CID ने रामपुरहाट पुलिस स्टेशन से इस मामले में दर्ज FIR की केस डायरी ली है।