अमेरिकी सीनेट ने सेम सेक्स मैरिज बिल पास कर दिया है। अब इसे हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव के पास फाइनल अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद प्रेसिडेंट बाइडेन बिल पर साइन करेंगे और इसे कानून बना दिया जाएगा। ये सारी प्रोसेस जनवरी के पहले पूरी हो जाएगी।
इस बिल के कानून बनते ही समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जाएगी। दूसरे शब्दों में कहें तो सेम सेक्स मैरिज करना गलत नहीं होगा। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे देश भर में बैन कर दिया था।सीनेट में इस बिल के पास होने पर खुशी जाहिर करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा- ‘लव इज लव’ और अमेरिका में रहने वाले हर नागरिक को उस व्यक्ति से शादी करने का हक है जिससे वो प्यार करते हैं।
जुलाई में ये बिल हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में पेश हुआ था
जून में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार की रक्षा करने वाले फैसले को पलट दिया था। इसके बाद से अमेरिका में लोगों को ये डर था कि सेम सेक्स मैरिज भी खतरे में आ सकती है। जिसके बाद बाइडेन की सरकार समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला ये बिल लाई।
जुलाई में इस बिल को हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में पेश किया गया था। हाउस ने तय किया था कि इस बिल को कानून बनाने के लिए वोटिंग होगी, जिसके बाद इसे 16 नवंबर को सीनेट भेजा गया था। बिल को पास करने के लिए 100 सदस्यों में से 61 सदस्यों के वोट की जरूरत थी।
राष्ट्रपति बाइडेन को सेम सेक्स मैरिज कानून बनाने के लिए जनवरी 2023 के पहले बिल पर साइन करने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी में हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कंट्रोल में आ जाएगा। इसके बाद बाइडेन को हर बड़ा फैसला लेने के लिए संसद में विपक्ष, यानी डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के भरोसे रहना होगा, क्योंकि हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में जिस भी पार्टी की जीत होती है उस पार्टी का संसद में दबदबा होता है। वही पार्टी कानून बनाने में ज्यादा अहम रोल अदा करती है।
पहला: वो देश जिसने समलैंगिक शादी की इजाजत दी है।
दूसरा: वो देश जहां समलैंगिक संबंधों की इजाजत दी है, लेकिन समलैंगिक शादी की इजाजत नहीं है।
तीसरा: वो देश जहां समलैंगिक संबंध और समलैंगिक शादी दोनों पर रोक है।
द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 120 देशों में समलैंगिकता को अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन सिर्फ 32 देशों में इस वक्त सेम सेक्स में शादी करने की अनुमति है। इसका मतलब ये है कि दुनिया के 88 देश ऐसे हैं, जहां समलैंगिक संबंधों को इजाजत है लेकिन समलैंगिक शादी की नहीं। इसमें एक देश भारत भी है।
2001 में नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश था, जहां समलैंगिक शादी की अनुमति मिली थी। इसके अलावा यमन, ईरान समेत दुनिया के 13 देश ऐसे हैं, जहां सेम सेक्स में शादी तो छोड़िए यहां समलैंगिक संबंध बनाए जाने पर भी मौत की सजा दी जाती है।
भारत में भी समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया कि समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं देना भेदभाव है। यह LGBTQ कपल के अधिकारों का हनन है। कपल ने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 में शामिल करने की मांग की है।