बैटर ट्रैविस हेड ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट में ‘किंग पेयर’ बनाया

ऑस्ट्रेलिया के बैटर ट्रैविस हेड ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट में ‘किंग पेयर’ बनाया। यानी वे टेस्ट की दोनों पारियों में पहली बॉल पर जीरो पर आउट हो गए। पहली पारी में उन्हें केमार रोच और दूसरी पारी में शमार जोसेफ ने पवेलियन भेजा।
क्रिकेट में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी बैटर ने किंग पेयर बनाया। ऑस्ट्रेलिया के ही एडम गिलक्रिस्ट 2001 में ऐसा कर चुके हैं। भारत के सूर्यकुमार यादव को तो पिछले साल ही 3 लगातार पारियों में जीरो पर आउट हो चुके हैं। जिसे क्रिकेट में ‘बैटिंग हैट्रिक’ कहते हैं।
क्रिकेट में बगैर खाता खोले आउट होने या जीरो पर आउट होने को डक कहते हैं। ट्रैविस हेड ने वेस्टइंडीज के खिलाफ डक बनाया। टेस्ट में सबसे ज्यादा 43 डक वेस्टइंडीज के कर्टनी वॉल्श के नाम हैं। वनडे में श्रीलंका के सनथ जयसूर्या (34 डक) और टी-20 में आयरलैंड के पॉल स्टर्लिंग (13 डक) ने सबसे ज्यादा डक बनाए हैं।
पहली ही बॉल पर आउट होने को गोल्डन डक कहते हैं। ट्रैविस हेड भी अपनी पारी की पहली ही बॉल पर आउट हुए, इसलिए उन्होंने पहली पारी में गोल्डन डक बनाया था। टेस्ट में 1770, वनडे में 2174 और टी-20 में 1804 बार खिलाड़ी गोल्डन डक का शिकार हुए हैं।
दूसरी बॉल पर जीरो पर आउट होने को सिल्वर डक कहते हैं। भारत के शुभमन गिल भी इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में दूसरी बॉल पर जीरो पर आउट हुए, इसीलिए उन्होंने सिल्वर डक बनाया।
अब तक टेस्ट में 1292, वनडे में 1497 और टी-20 में 966 बार खिलाड़ी सिल्वर डक का शिकार हुए हैं। साउथ अफ्रीका के खिलाफ जनवरी में दूसरे टेस्ट में भारतीय खिलाड़ियों ने सिल्वर डक बनाया था। तब टीम इंडिया ने बगैर रन बनाए ही 6 विकेट गंवा दिए थे।
पारी में तीसरी बॉल पर जीरो पर आउट होने को ब्रॉन्ज डक कहते हैं। अब तक टेस्ट में 926, वनडे में 965 और टी-20 में 538 बार खिलाड़ियों ने ब्रॉन्ज डक बनाया है।
बगैर गेंद खेले आउट होने को डायमंड डक कहते हैं। बैटर रन आउट, टाइम आउट, फील्ड ऑब्स्ट्रक्शन से डायमंड डक हो सकता है। बगैर खाता खोले वाइड बॉल पर स्टंपिंग आउट होकर भी खिलाड़ी डायमंड डक का शिकार हो सकता है।
टेस्ट में 33, वनडे में 166 और टी-20 में 122 बार खिलाड़ी डायमंड डक का शिकार हुए हैं। वनडे वर्ल्ड कप में श्रीलंका के एंजलो मैथ्यूज टाइम आउट करार दिए गए थे। तब वह बगैर गेंद खेले ही आउट हो गए थे, यानी उन्होंने डायमंड डक बनाया था।
2023 के IPL में रविचंद्रन अश्विन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ बगैर गेंदें खेले रन आउट हुए थे। वह राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहे थे।
बैटर के जीरो पर आउट होने के साथ ही अगर पारी खत्म हो जाए तो उसे लाफिंग डक कहते हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ जोश हेजलवुड दूसरे टेस्ट में लाफिंग डक हुए थे। वह 6 गेंदें खेलने के बाद शमार जोसेफ की गेंद पर बगैर खाता खोले बोल्ड हुए। उनके विकेट के साथ ही वेस्टइंडीज ने टेस्ट जीत लिया था।
मैच या पारी की पहली ही बॉल पर आउट होने वाले ओपनर्स के लिए रॉयल डक टर्म का उपयोग होता है। इसे प्लेटिनम डक भी कहते हैं। वनडे में 153, टेस्ट में 124 और टी-20 में भी 153 बार ओपनर्स पारी की पहली ही बॉल पर आउट हो चुके हैं। भारत के दिग्गज सुनील गावसकर टेस्ट करियर में 5 बार रॉयल डक बना चुके हैं। जो भारतीय ओपनर्स में अब तक कोई हासिल नहीं कर सका।
टेस्ट की दोनों पारियों में जीरो पर आउट होने को पेयर कहते हैं। न्यूजीलैंड के क्रिस मार्टिन टेस्ट में सबसे ज्यादा 7 पेयर बना चुके हैं। भारत से बीएस चंद्रशेखर 4 बार पेयर का शिकार हुए हैं।साउथ अफ्रीका के डीन एल्गर ने 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट में ही पेयर बनाया था।
टेस्ट की दोनों पारियों में पहली गेंद पर आउट होने को किंग पेयर कहते हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ ट्रैविस हेड ने किंग पेयर ही बनाया था। वह दोनों पारियों में पहली बॉल पर ही आउट हुए। अब तक 23 खिलाड़ी टेस्ट में किंग पेयर बना चुके हैं। भारत के वीरेंद्र सहवाग 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम टेस्ट में इस अनचाहे रिकॉर्ड को अपने नाम कर चुके हैं।
लगातार 3 पारियों में जीरो पर आउट होने को बैटिंग हैट्रिक कहते हैं। वनडे में 68 और टी-20 में 31 खिलाड़ी बैटिंग हैट्रिक बना चुके हैं। 2023 में सूर्यकुमार यादव ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के लगातार 3 मुकाबलों में जीरो पर आउट हुए थे। 2 बार उन्हें मिचेल स्टार्क और एक बार एश्टन एगर ने पवेलियन भेजा था।
लगातार 4 पारियों में जीरो पर आउट होने को बैटिंग डबल हैट्रिक कहते हैं। टेस्ट में 28 और वनडे में 5 खिलाड़ी बैटिंग डबल हैट्रिक बना चुके हैं। टी-20 में पाकिस्तान के अब्दुल्लाह शफीख बैटिंग डबल हैट्रिक का शिकार होने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं।
लगातार 5 पारियों में जीरो पर आउट होने को ट्रिपल बैटिंग हैट्रिक कहते हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में 3 ही खिलाड़ी ट्रिपल बैटिंग ​​​​​​हैट्रिक का शिकार हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के बॉब हौलेंड 1985 में, भारत के अजीत अगरकर 1999 में और पाकिस्तान के मोहम्मद आसिफ 2006 में लगातार 5 पारियों में जीरो पर आउट हो चुके हैं। तीनों ने टेस्ट में ट्रिपल बैटिंग हैट्रिक बनाई।
लगातार 6 पारियों में जीरो पर आउट होने को क्वाड्रपल बैटिंग हैट्रिक कहते हैं। भारत के अजीत अगरकर टेस्ट करियर में इस अनचाहे रिकॉर्ड को बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। वह दिसंबर 1999 से जनवरी 2000 तक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार 6 नहीं 7 पारियों में जीरो पर आउट हुए थे।
अगरकर टेस्ट करियर में 9 बार जीरो पर आउट हुए और 3 बार उन्होंने टेस्ट की दोनों पारियों में डक बनाया। हालांकि अगरकर लॉर्ड्स स्टेडियम में सेंचुरी भी लगा चुके हैं, जो सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली जैसे बैटर्स कभी नहीं कर सके।
डक की कहानी बहुत सिम्पल है। डक यानी बतख का अंडा ओवल शेप का होता है, जो ‘0’ (जीरो) की तरह दिखता है। बैटर खाता खोले बगैर आउट होता है तब स्कोरकार्ड में ‘0’ ही लिखा होता है। इसलिए क्रिकेट में जीरो पर आउट होने को डक कहते हैं। इसके पीछे और कोई कहानी नहीं है।
इन 13 तरह के डक से बचना है तो बेहतर है कि बैटिंग करते हुए खाते में कम से कम एक रन जमा जरूर कर लें। नहीं तो 0 बैलेंस के नाम पर 13 अलग-अलग तरह की पेनल्टी लग सकती है।