लालच अंधा कर देता है। सात बीघा जमीन की खातिर दो बेटियों ने अपने बाबुल (पिता) को मृत घोषित करा दिया। पिता 16 वर्षों से खुद के जि होने का सुबूत दे रहा है। आखिर मामला एक बार फिर जिलाधिकारी अविनाश कुमार की चौखट पर पहुंचा है। उन्होंने एसडीएम नवाबगंज को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
सत्यनारायण सिरौलीगौसपुर तहसील के ग्राम तुरकानी के मूल निवासी हैं। उनका विवाह बंकी ब्लाक के ग्राम बड़ेल की सरोज कुमारी के साथ हुआ था। दो पुत्रियां प्रीति और ज्योति सैनी हैं। 12 अक्टूबर, 2005 को सरोज कुमारी का निधन हो गया था। प्रीति व ज्योति ने परिवार रजिस्टर की नकल में मां के साथ पिता को भी तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी फतेहबहादुर तिवारी से मिलकर मृत दर्शा दिया था। इसी नकल के आधार पर 23 अक्टूबर, 2005 को करीब सात बीघा जमीन की विरासत बेटियों के नाम तत्कालीन लेखपाल शिवाकांत द्विवेदी ने कर दी। जमीन का बैनामा गणेश शंकर (बिचौलिया) ने बड़ेल के बाबादीन की पत्नी शांति व अनुराग यादव के नाम लिखा दिया।
विरासत निरस्त कराने के लिए सत्यनारायण ने नायब तहसीलदार प्रतापगंज के न्यायालय में 2006 में मुकदमा दाखिल किया था, जो लंबित है। 2013 में तत्कालीन डीएम मिनिस्ती एस ने जांच कराई। 23 अक्टूबर, 2013 को तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ने सत्य नारायण के जीवित होने संबंधी परिवार रजिस्टर की नकल जारी की थी, लेकिन नायब तहसीलदार के मुकदमे में सत्यनारायण को अभी जीवित नहीं माना गया है। नायब तहसीलदार केपी ¨सह का कहना है कि मुकदमे को प्राथमिकता से सुनवाई कर निस्तारित कराया जाएगा। सत्यनारायण ने नगर कोतवाली में जालसाजी का मुकदमा भी क्राइम नंबर 707/13 दर्ज कराया था, जो सिविल कोर्ट में लंबित है। मुकदमे में तत्कालीन ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत अधिकारी फतेहपुर बहादुर तिवारी, लेखपाल शिवाकांत द्विवेदी, गणेश शंकर, बाबादीन व अनुराग यादव तथा ज्योति व प्रीति सैनी को नामजद किया गया था।