पाकिस्‍तान के वो बैंक जहां पर कस्‍टमर को शेयर करना पड़ता है अपना प्रॉफिट

पाकिस्‍तान के केंद्रीय बैंक, स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍तान (एसबीपी) ने सोमवार को इस्‍लामिक बैंकिंग इंडस्‍ट्री के लिए पांच साल का एक रणनीतिक प्‍लान का ऐलान किया है. एसबीपी की तरफ से यह तीसरा प्‍लान है जो इस्‍लामिक बैंकिग से जुड़ा है. पाकिस्‍तान की मीडिया की तरफ से बताया गया है कि इस योजना का मकसद इस्‍लामिक बैंकों की संपत्ति के हिस्‍से को बढ़ाना और बैंकिंग इंडस्‍ट्री में डिपॉजिट्स को 30 फीसदी तक बढ़ाना है.

अखबार डॉन की तरफ से बताया गया है कि साल 2021 से 2025 तक के लिए आए इस प्‍लान में बैकिंग इंडस्‍ट्री में इस्‍लामिक बैंकों को 35 फीसदी की हिस्‍सेदारी मिलेगी. 10 फीसदी हिस्‍सा स्‍मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज और 8 फीसदी शेयर एग्रीकल्‍चर फाइनेंसिंग में होगा. वहीं अगर बात प्राइवेट सेक्‍टर की करें तो उसके लिए भी ये बैंक फाइनेंसिंग करेंगे. अगर बात वर्तमान स्थिति की करें तो इस्‍लामिक बैंकिंग इंडस्‍ट्री ने 17 फीसदी मार्केट शेयर और 18.3 फीसदी शेयर एसेट्टस और डिपॉजिट्स में अपने पास रखे हैं. ये आंकड़ा दिसंबर 2020 का है.

एसबीपी की तरफ से कहा गया है कि उसकी कोशिश इस्‍लामिक बैंकिंग को साल 2025 तक बैंकिंग इंडस्‍ट्री में एक तिहाई तक पहुंचाना है. एसबीपी के मुताबिक इस्‍लामिक बैंकिंग उसकी प्राथमिकता में प्रॉयरिटी पर है. स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍तान के मुताबिक इस्‍लामिक बैकिंग इंडस्‍ट्री ने देश की बैकिंग सिस्‍टम में तेजी से कदम बढ़ाए हैं.

इस समय देश में 22 इस्‍लामिक बैंकिंग इंस्‍टीट्यूशंस हैं जिसमें से 5 बैंक और 17 पारंपरिक बैंक ऐसे हैं जिकनी इस्‍लामिक बैकिंग ब्रांच है. ये बैंक और वित्‍तीय संस्‍थान शरिया पर आधारित उत्‍पाद और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. देश में 3,456 ब्रांच और 1,638 इस्‍लामिक बैंकिंग विंडोज हैं जो देश के 124 जिलों में फैली हैं.

एक मुसलमान देश होने के नाते पाकिस्‍तान कई वर्षों से सफल इस्‍लामिक बैकिंग सिस्‍टम को लाने की कोशिशें कर रहा है. इस दिशा में पूर्व में कई कदम भी उठाए गए हैं. पाक में विशेषज्ञों की मानें तो इस्‍लामिक बैकिंग सिस्‍टम धीरे-धीरे मजबूत होता जा रहा है. उनका कहना है कि इस भविष्‍य देश में काफी उज्‍जवल है. पारंपरिक बैकिंग की जड़ेंआजादी के समय से यानी सन् 1947 से पाकिस्‍तान में काफी गहरी हैं. पाकिस्‍तान की सरकार इस्‍लामिक बैंकिंग सिस्‍टम को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रही है.

सन् 1950 में पाकिस्‍तान ने एक प्रयोग किया था जिसमें पारंपरिक बैकिंग सिस्‍टम को इस्‍लामिक में बदलने की कोशिश की गई थी. लेकिन कई वजहों से यह बुरी तरह से फेल हो गया. सन् 1992 में पाकिस्‍तान के सुप्रीम कोर्ट और फेडरल कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश के बाद पारंपरिक बैकिंग सिस्‍टम को इस्‍लामिक में बदलने के लिए कहा गया था.

इसके बाद सन् 2002 में देश में पहले इस्‍लामिक बैंक मीजान बैंक की स्‍थापना हुई. कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान के इस्‍लामिक बैंकों की 1314 ब्रांचेज में 1016 अरब रुपए बतौर असेट और 872 अरब रुपए का डिपॉजिट था. 12 साल के अंदर इस्‍लामिक बैंकों ने 15 से 20 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल की थी. साथ ही कुल बैंकिंग नेटवर्क का 10 फीसदी हिस्‍सा भी इनके पास आया.

इस्‍लामिक बैकिंग को शरिया आधारित वित्‍त या इस्‍लामिक वित्‍त भी कहा जाता है. इसका मतलब ऐसी बैकिंग से है जो शरिया के कानून पर ही आधारित होगी. इस्‍लामिक बैंकिंग के दो सिद्धांत है, पहला फायदा और नुकसान सबकुछ शेयर होगा और दूसरा-इंट्रेस्‍ट यानी पैसे लेने और निवेश करने वालों के लिए ब्‍याज प्रतिबंधित है. इस्‍लामिक बैंक इक्विटी के जरिए फायदा कमाते हैं यानी जिसने उधार लिया है उसे बैंक को ब्‍याज तो नहीं देना होगा मगर अपना फायदा शेयर करना पड़ेगा.

इस समय पूरी दुनिया में 300 इस्‍लामिक बैंक और 250 म्‍युचुअल फंड्स ऐसे हैं जो इस्‍लाम के सिद्धांत को मानने के लिए मजबूर हैं. साल 2016 में आई रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2007 और 2017 के बीच इस्‍लामिक बैंकों की पूजी 200 बिलियन डॉलर से बढ़कर दो ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. इस वर्ष तक इसके 3.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. इस्‍लामिक बैंकों की तरक्‍की में पाकिस्‍तान जैसे कई मुसलमान देशों का खासा योगदान है.