बहराइच : मिहिपुरवा तहसील के अंतर्गत नैनिहा 54 नंबर में रामप्रवेश मौर्य द्वारा की जा रही है प्राकृतिक खेती

बहराइच / मिहींपुरवा ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा खडीया नैनिहा 54 नंबर कॉलोनी के रामप्रवेश मौर्या ने गौ आधारित प्राकृतिक खेती करते है और बिना किसी रसायन खाद के तैयार क्या हुआ सब्जियां मिलता है। गौ आधारित प्राकृतिक खेती 5000000 अपने भारत में किया जा रहा है रामप्रवेश मौर्य उन्हीं में से एक है जो अपने उत्तर प्रदेश में कई ऐसे जिला हैं बहराइच, लखीमपुर ,श्रवास्ती ,गोंडा , बलरामपुर, हरदोई, गोरखपुर ,देवरिया, जैसे और भी कई जिले शामिल है । हर एक जिले में ढाई सौ से 300 लोग जुड़े हैं प्राकृतिक खेती से जैसे मिहींपुरवा ब्लाक से रामप्रवेश मौर्य बहराइच जिला ऑलदादपुर से अनिरुद्ध यादव मॉडल किसान, गमन बिहारी पाठक खालेपुरवा ब्लाक तेजवापुर से हैं तीनो लोगो ने अपना कृषि योग्य भूमि को प्राकृतिक खाद का प्रयोग करते हैं और कई हजार किसान भाइयों को गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं हमे इस खेती से बहुत सारा फायदा है जैसे कि इस सब्जियां को खाने से कोई बीमारी नहीं होती

आइए जानते हैं कि कैसे गौ आधारित प्राकृतिक खाद कैसे बनाए जाते हैं
1 वीजाशोधन वीजामृत बीज शोधन के लिए डाला जाता है (गौमूत्र और पौधे के सूखे पत्ते गाय का गोबर मिलाकर बनता है)
2 जीवामृत पौधों पर छिड़काव के लिए होता है यह दवा (गाय का गोबर गोमूत्र गुड या गन्ने की छोटे-छोटे टुकड़े ड्रम में डालकर एक हफ्ते तक रख दिया जाता है)
3 घनजीवामृत खेत के तैयारी के समय डाला जाता है
4 नीमास्त्र मांहो एक कीटाणु है इसकी कीटाणु को मारने के लिए खेतों में छिड़काव किया जाता है
5 अग्निअस्त्र जो पौधों के ऊपर रहते हैं और पत्ते को खा जाते हैं उस कीड़ों को मारने के लिए छिड़काव किया जाता है
6 ब्रह्मास्त्र जो पौधे के जड़ में कीटाणु हो जाते हैं उसे नष्ट करने के लिए डाला जाता है
7 दसपंढरीअर्क पौधों के सब बीमारियों में काम करता है इसे तैयार करने में 40 दिन लग जाते हैं
8 मट्ठास्त्र दही को सड़ा कर 1 हफ्ते में तैयार किया जाता है इस दवा को
आइए जानते हैं की इन दवाइयों को तैयार करने में सिर्फ 1 से 2 दिन लगता है और बाकी दो दवा जो है 1 हफ्ते से 40 दिन लग जाते हैं जो 1 दिन में तैयार होता है दवा उसमें गौ का गोबर और गोमूत्र को एक ही में मिक्स करके 24 घंटे छोड़ दिया जाता है और बने हुए खेत के बेड पर पत्ते और मिक्स किया हुआ दवा को डाल देते हैं उसके बाद जो किसान के भाई केचुआ पैदा होते हैं वह मिट्टी को ऊपर नीचे जुताई करते रहते हैं इस वजह से फसल दा फसल तैयार होता रहता है बाकी जो दवा है प्राकृतिक कीड़े लग जाते हैं तो उसे छिड़काव करना पड़ता है।
द दस्तक 24
जिला ब्यूरो चीफ बहराइच
अनिल कुमार मौर्य