अपमिश्रित खाद्य पदार्थों, नकली अधोमानक एवं मिथ्या छाप औषधियों के निर्माण एवं विक्रय की प्रभावी रोकथाम हेतु जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र की अध्यक्षता में वृहस्पतिवार को देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की जिला स्तरीय समिति की बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना, पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर विनय द्विवेदी, डीआईओएस डॉ. चन्द्रपाल, दुग्ध विकास अधिकारी नाथू सिंह, उपायुक्त उद्योग महेश कुमार शर्मा, जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पाण्डेय, जिला पूर्ति अधिकारी अनन्त प्रताप सिंह, बीएसए अजय कुमार, सहायक आयुक्त (खाद्य) विनोद कुमार शर्मा सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक के दौरान डीएम डॉ. चन्द्र ने निर्देश दिया कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के कार्यों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं एकरूपता लाने हेतु स्टेक होल्डर्स एवं जन सामान्य की सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु कार्यशाला/संगोष्ठी के आयोजन के साथ-साथ अन्य माध्यमों के द्वारा भी प्रचार-प्रसार किया जाय। डीएम ने निर्देश दिया कि समिति द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं प्रशासन के उद्देश्यो की प्राप्ति हेतु जनपद में कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग भी प्राप्त किया जाय। खाद्य पदार्थों एवं औषधि में मिलावट और अधोमानकता के प्रति जन सामान्य में जागरूकता बढ़ाये जाने के उद्देश्य से उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की जानकारी दिये जाने तथा अन्य महत्वपूर्ण सूचना एवं तथ्यों का भी प्रचार प्रसार कराया जाय।
सहायक आयुक्त (खाद्य) विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि अपमिश्रित खाद्य पदार्थों के निर्माण एवं विक्रय की रोकथाम हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में माह मार्च तक 152 दुकानों में सन्देह के आधार पर छापेमार कार्यवाही कर 195 नमूने संग्रहीत किये गये। वित्तीय वर्ष 2021-22 में माह मार्च तक 243 नमूनों की जांच रिपोर्ट में 68 नमूने अधोमानक, 38 नमूने असुरक्षित एवं 35 नमूने मिथ्याछाप एवं नियमों का उल्लंघन पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। औषधि सुरक्षा के अन्तर्गत नकली, अधोमानक एवं मिथ्याछाप औषधियों के निर्माण एवं विक्रय की रोकथाम हेतु वर्ष 2021-22 में माह मार्च तक 99 दुकानों का निरीक्षण किया गया। सन्देह के आधार पर 113 नमूने संग्रहीत किये गये। जिसमें 02 अधोमानक, 01 मिथ्याछाप पाये गये जिन पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। डीएम ने निर्देश दिया कि जो भी कार्यवाही की जाय उसमें पारदर्शिता परिलक्षित होनी चाहिए।
सवांददाता : अनिल मौर्य