मिहींपुरवा(बहराइच)- मिहींपुरवा विकास खण्ड के ग्राम सर्राकला निवासी एक ग्रामीण की बेटी का विवाह मंगलवार को है। लेकिन सोमवार को आए आंधी पानी में पिता के साथ बेटी के अरमान भी तेज आंधी के झोंकों के साथ उड़ गए । गांव से गुजरने वाले मिहींपुरवा बलाईगांव मुख्य मार्ग से होकर अक्सर गुजरने वाले जिम्मेदार अधिकारी भी ग्रामीण को आवास नहीं दिला सके । एक दिन पहले आए आंधी में जहां सब कुछ बिखर गया वहीं दूसरे दिन ही वह शादी को लेकर तैयारियों में दोबारा जुट गया है ।
जिले में जहां अपात्रों को आवास आसानी से मिल जाता है। वहीं गरीबों को आवास मिलने में लाले पड़ जाते हैं। जबकि उसी मार्ग से एसडीएम, खंड विकास अधिकारी बॉर्डर डेवलपमेंट के तहत हो रहे निर्माण का जायजा लेने पहुंचते हैं। फिर भी गरीब की तरफ नजरें इनायत नहीं कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला सोमवार को गांव के लोगों ने देखा। मिहिंपुरवा विकास खंड अंतर्गत ग्राम सभा सर्रा कला के मजरा भरिया निवासी धनेश मौर्या और उनका परिवार पिछले लगभग 30 वर्ष से निवास करता है। परिवार में धनेश अकेला मेहनत मजदूरी करने वाला परिवार का मुखिया है । जो अपने चार बेटियां, दो बेटे व पत्नी के साथ फूस के मकान में रहता है। लेकिन कहा जाय तो, अभी तक कोई सरकारी योजना आवास, शौचालय, बिजली या अन्य कोई भी सरकारी लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। सोमवार को तेज आंधी पानी में धनेश का फूस का मकान धराशाई हो गया। जबकि मंगलवार आज धनेश की इनकी बेटी की शादी है। फूस और टीन का उड़ जाने से बेटी के शादी मे जो सामान देने थे सारा भीग गया। स्थानीय लोगो द्वारा किसी तरह इस टूटे फूटे आशियाने को स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से फिर से सही कर दिया गया । शादी भी बेटी की हो जायेगी। लेकिन अधिकारियों की शिथिलता से गरीब आज भी योजना का लाभ पाने में वंचित हैं। जबकि अपात्र योजना का लाभ जल्दी पा जाते हैं। जबकि ग्रामीण कई बार आवास के लिए आवेदन भी कर चुका है। इस मामले में खंड विकास अधिकारी रामेन्द्र कुशवाह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सूची में नाम होगा और जब नंबर आएगा तो आवास जरूर मिलेगा। बाकी आपदा में नुकसान सभी का होता है।
जिम्मेदार जन प्रतिनिधि भी बने अंजान
बहराइच सांसद अक्षयवर लाल गोंड मिहींपुरवा के ही निवासी हैं। जिनका विभिन्न कार्यक्रमों में अक्सर बलाईगांव आदि क्षेत्रों में जाना होता रहता है । बलहा विधायक सरोज सोनकर, मिहींपुरवा ब्लॉक प्रमुख सौरभ वर्मा सहित जिम्मेदार जन प्रतिनिधियों से लेकर एसडीएम और ग्राम विकास अधिकारी भी उसी मार्ग से गुजरते हैं । लेकिन अधिकारियों के साथ जन प्रतिनिधियों की नजर भी कभी इस गरीब की झोपड़ी पर नहीं पड़ी ।