पिता स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर सवाल उठा तो भाजपा सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य नाराज हो गईं। उन्होंने कहा कि पिता-पुत्री से आगे बढ़कर सवाल करने चाहिए। यह सवाल सुनकर दो-ढाई वर्ष से परेशान हो चुकी हूं। मैं भाजपा की कार्यकर्ता हूं, पदाधिकारी हूं। पार्टी के लिए कार्य कर रही हूं। इससे संबंधित कोई सवाल हो तो पूछिए। विधानसभा चुनाव के दौरान उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में गए, उस समय उनके पक्ष में तीखे बयान दिए थे। अब लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राजनीतिक परिदृश्य बदला है। उनके पिता सपा भी छोड़ चुके, उन्होंने नई पार्टी बना ली है। सोमवार को बदायूं में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया ने सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य से सवाल किया कि आपके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी बना ली है। ऐसे में बेटी होने के नाते आप क्या कहना चाहेंगे?
सवाल पर सांसद ने कहा कि एक ही प्रकार का सवाल बार-बार किया जा रहा है, इससे परेशान आ चुकी हूं। गत लोकसभा चुनाव के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में थे, इसलिए डॉ. संघमित्रा चुनाव मैदान में आ गईं। भाजपा के टिकट पर सांसद बनने के बाद स्थितियां बदलती गईं। स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में गए, तब डॉ. संघमित्रा भी भाजपा से अंदरखाने नाराज थीं।
उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को लेकर टिप्पणी की थीं। विस चुनाव के दौरान जिले के पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करती नहीं दिखीं थीं। धीरे-धीरे परिस्थितियां संभलनी शुरू हुईं, लोकसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले में वह पार्टी के मंचों पर सक्रिय हो गईं। इस बीच नए राजनीतिक घटनाक्रम में उनके पिता ने नई पार्टी बना ली। सपा ने बदायूं से शिवपाल यादव को प्रत्याशी बना दिया। इसके बाद संघमित्रा के सामने नई चुनौती आ गई है। भाजपा शिवपाल के सामने अधिक मजबूत प्रत्याशी तलाशेगी। डॉ. संघमित्रा के लिए यह चुनौती है।