करीब 20 साल तक अफगानिस्तान में रहने के बाद अमेरिकी सेना जैसे ही वापस लौटी, तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. 2001 के बाद तालिबान सबसे मजबूत स्थिति में है. दावा किया जा रहा है कि तालिबान के लड़ाकों के साथ अमेरिका के कई आधुनिक हथियार भी लगे हैं. इसकी जानकारी खुद व्हाइट हाउस ने दी है. इसके बाद से चिंता बढ़ गई है. कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें साफ देखा जा सकता है जिन हथियारों का इस्तेमाल अमेरिका की सेना करती थी, वह अब तालिबानी लड़ाकों के हाथ में देखे जा रहे हैं.
हाल ही में एक वीडियो सोशन मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें तालिबानी लड़ाकों के हाथ में एडवांस यूएच-60 ब्लैक हॉक देखे गए थे. इस हथियार को अमेरिका ने अफगानिस्तान को सेना को दिया था. इसका इस्तेमाल खुद अमेरिका के सैनिक भी करते हैं. वहीं कंधार एयरपोर्ट पर दूसरे उपकरणों पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है.
व्हाइट हाउस में बढ़ी चिंता
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बताया, ‘जाहिर है कि हमारे पास पूरी तस्वीर नहीं है कि रक्षा सामग्री का पूरा सामान कहां गया, लेकिन यह बात साफ है कि इसका काफी हिस्सा तालिबान के हाथों में चला गया है.’ उन्होंने कहा, ‘जाहिर सी बात है, हमें यह नहीं पता कि वे इसे आसानी से हमें सौंपेंगे या नहीं.’ उन्होंने पाया कि तालिबान विद्रोह का सामना करने के लिए ब्लेक हॉक्स अफगान सरकार को सौंपे गए थे. लेकिन सरकार ने इस्लामी विद्रोहियों के सामने घुटने टेक दिए बड़े स्तर पर हथियारों हेलीकॉप्टरों पर नियंत्रण छोड़ दिया.
सैनिकों की कम संख्या से हुआ तालिबान का कब्जा
बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना के गिरने का बड़ा कारण उसकी वास्तविक संख्या है. वहीं इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बार-बार कह रहे थे कि तीन लाख सैनिकों वाली अफगान सेना ने सैकड़ों मिलियन डॉलर के उपकरण ट्रेनिंग प्राप्त की है. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि अफगानिस्तान में सैनिकों की असल संख्या 50 हजार के करीब थी.