अरुणाचल और असम सीमा विवाद भी सुलझने के करीब : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद इस साल सुलझ जाने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का प्रयास पूरे पूर्वोत्तर को उग्रवाद मुक्त बनाना है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से आठ साल में पूर्वोत्तर में नौ हजार उग्रवादियों ने सरेंडर किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले में नरोत्तम नगर स्थित रामकृष्ण मिशन स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ कानून मंत्री किरण रिजिजू भी थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘असम और मेघालय के बीच लगभग 60 प्रतिशत अंतरराज्यीय सीमा विवाद सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझ गया है। मुझे यकीन है कि अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच विवाद भी 2023 से पहले सुलझ जाएगा। दोनों सरकार इस दिशा में काम कर रही हैं।’शाह ने कहा कि केंद्र पूर्वोत्तर में शांति और विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर के युवा अब बंदूक और पेट्रोल बम लेकर नहीं चलते। उनके पास अब लैपटाप होता है और वे स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं। यह विकास का मार्ग है, जिसकी परिकल्पना केंद्र ने क्षेत्र के लिए की है।’
अरुणाचल प्रदेश के दो दिन के दौरे पर पहुंचे गृह मंत्री ने नामसाई जिले में पार्टी की प्रदेश इकाई के कोर ग्रुप, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक की अध्यक्षता की। रविवार को वह यहां सामाजिक संगठनों के साथ मुलाकात करेंगे और गोल्डेन पगोड़ा मंदिर में पूजा अर्चना भी करेंगे। वह सेना, आइटीबीपी, एसएसबी, असम राइफल्स, बीआरओ और नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लि. के लोगों से भी बातचीत करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहले मणिपुर में साल में 200 से ज्यादा दिनों तक बंद और नाकेबंदी ही रहती थी, लेकिन पिछले पांच साल में भाजपा के शासनकाल में सबकुछ बदल गया है और अब कोई बंद और नाकेबंदी नहीं होती। इसी तरह असम में बोडो शांति समझौते के जरिये असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में शांति स्थापित की गई है।
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में उग्रवादी समूहों का सरेंडर और ब्रू शरणार्थी मुद्दे का समाधान मोदी सरकार द्वारा किया गया। असम के कर्बी आंगलांग जिले में भी शांति स्थापना के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहल की है।
गृह मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का उद्देश्य युवाओं को हर क्षेत्र के लिए सक्षम बनाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ मानवीय मूल्यों और शिक्षा पर आधारित एनईपी की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में रामकृष्ण मिशन के संस्थापक और श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद के विचारों और सिद्धांतों को शामिल किया गया है

शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के दर्शन का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि यह लोगों को बुद्धिमान बनाने, उनकी आंतरिक शक्ति को बाहर लाने और उसे एक दिशा देने का माध्यम है। उन्होंने मरीजों का इलाज करने से लेकर बेहतरीन शिक्षा देने के लिए रामकृष्ण मिशन की सराहना की और कहा कि मिशन ने जो अनुकरणीय प्रतिबद्धता दिखाई है उसके लिए राष्ट्र उसे प्रणाम करता है।