अर्जुन तेंदुलकर… सचिन तेंदुलकर के बेटे। 9 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहे हैं। छोटी-मोटी उपलब्धियां मिल रही थीं पर डंका बजा 14 दिसंबर 2022 को। जब अर्जुन ने रणजी के डेब्यू मैच में शतक लगाया। ठीक वैसे ही, जैसे पिता सचिन ने 34 साल पहले लगाया था। सचिन ने भी 1988 में डेब्यू पर सेंचुरी मारी थी। महीना भी दिसंबर था।
अर्जुन की इस कामयाबी के पीछे पिता सचिन का अनुभव ही नहीं, कई लोगों की मेहनत है। उनमें से एक हैं देश को युवराज जैसा क्रिकेटर देने वाले योगराज सिंह। युवी के पिता ने रणजी से पहले अर्जुन को ट्रेनिंग दी। उनसे कहा था- भूल जाओ कि तुम्हारे पिता सचिन तेंदुलकर हैं। तुम्हें अपने आपको उभारना है।
युवराज सचिन के छोटे भाई की तरह हैं। सचिन ने युवी की बहुत केयर की। मेरा दायित्व है, कि मैं अर्जुन को मदद करूं। गोवा की टीम चंडीगढ़ मेरी अकादमी में आने वाली थी (अर्जुन गोवा से खेल रहे हैं)। सचिन का फोन आया, बोले कि अर्जुन आ रहा है। चंडीगढ़ जितने भी दिन रहेगा, आपको उसे ट्रेन करना है। इसके बाद युवी का भी फोन आया। मैं अर्जुन के साथ 10-12 दिन रहा। हमने साथ में ट्रेनिंग की और जिम भी गए।
मैंने अपने सेंटर पर देखा कि अर्जुन आड़ा-टेढ़ा शॉट मार रहा था। सबसे पहले उसे इस तरह का शॉट खेलने से रोका। उससे कहा V में खेलोगे (सामने खेलोगे) और पंच मारोगे। वी शेप में खेलोगे और पंच मारोगे। जब वह पंच मार रहा था, यकीन मानो मुझे युवी और सचिन की याद आ रही थी। वह लंबा और हट्टा-कट्टा है। उसकी काबिलियत को निखारने के लिए पूरी तरह से एक आदमी लगाना पड़ेगा।
ट्रेनिंग के दौरान एक गेंद अर्जुन के एंकल पर लगी। इतनी जोर से लगी कि वह बाहर आ गया और आइसिंग करता रहा। मैं उसे डॉक्टर के पास लेकर गया। उसका पैर सूज गया था। डॉक्टर बोला सब ठीक-ठाक है। मुझे डर था कि कहीं उसके एंकल की हड्डी न टूट गई हो। जब वो गाड़ी में आ रहा था तो बोला कि सर होटल में अपने रूम चला जाऊं। मैंने मना कर दिया। कहा िक तुम ग्राउंड में जाओगे, पैड करोगे और बैटिंग करोगे। उसने मुझसे कहा कि सर मै चल नहीं पा रहा। मैंने कहा कि तुम चलोगे।
मेरे कहने पर अर्जुन सीधा ग्राउंड में आया। मेरी तरफ देखा और पैड किया। अर्जुन ने शानदार बल्लेबाजी की। उसने आधे घंटे में डीएवी कॉलेज के पेड़-पौधे छान दिए। चारों तरफ शॉट जमाए और लंबे- लंबे छक्के भी लगाए। फिर मैंने उससे कहा कि आइस करो और उसके बाद फिर बॉलिंग करो। उसने फिर करीब आधे घंटे बॉलिंग की।
चोट लगने के बाद करीब डेढ़ घंटे तक प्रैक्टिस की। मैंने अर्जुन को बताया कि बेटा बात सिर्फ माइंड सेट की है। अगर तुम होटल चले जाते तो दिन बेकार हो जाता। चोट तो दोस्त और बीवी की तरह होती है, उसे पालना पड़ता है। या तो तुम चोट से प्यार करोगे या मैं तुमसे ऐसा करवाऊंगा। उसने कहा कि मैं करूंगा। अर्जुन के साथ मैंने वैसी ही सख्ती बरती जैसी युवी के साथ बरतता था।
सोने को आग में डालना पड़ता है, तब वह निखरता है
अगर सोने को पिघलाना हो और उसे चमकाना हो तो उसे आग के दरिया में लेकर जाना पड़ता है। फौज में कमांडो स्पेशल होते हैं, क्योंकि वह सख्त ट्रेनिंग करते हैं। मैं समझता हूं, अगर आपको आगे जाकर वर्ल्ड चैंपियन नंबर वन बनना है तो डिसिप्लिन, डिवोशन, डिटरमिनेशन और डेडिकेशन जरूरी है। इसके लिए टाइम से सोना पड़ेगा। जब बच्चा चलने लगे तो उसके लिए एक सपना देखो।
अगर बच्चा खुद ब खुद सब कर सकता तो मां-बाप की क्या जरूरत? जिसे भी मां-बाप अकेला छोड़ देते हैं वे कुछ नहीं कर पाते। भले ही मैंने युवराज को टफ ट्रेनिंग दी, लेकिन आज युवी कहता है कि डैडी हर बच्चे को आप जैसा पिता मिलना चाहिए। यह मेरे लिए बहुत बड़ा कॉम्प्लिमेंट है।
मैंने अर्जुन से कहा कि तुम सचिन तेंदुलकर के बेटे हो, यह दिमाग में रखना ही नहीं है। तुम एक इंडिविजुअल हो। तुमको अपने को आप को उभारते रहना है। मैंने उसे अपने रूम में लेकर गया और कहा कि मेरे रूम में सचिन और युवराज की फोटो हैं। मैं चाहता हूं कि तीसरा फोटो आपका हो। मेरी अपील है कि सचिन के साथ अर्जुन की तुलना न करें। वह अलग है। मुझे विश्वास है कि वह एक दिन दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनेगा और क्रिस गेल जैसा बल्लेबाज बनेगा।
अर्जुन की गेंदबाजी अच्छी है, लेकिन बल्लेबाजी में कुछ सुधार की जरूरत थी। बैटिंग करते वक्त अर्जुन की लोअर बॉडी ठीक से मूव नहीं हो रही थी। मैंने महसूस किया कि अगर इस खामी को दूर कर लिया जाए तो अर्जुन काफी अच्छा बल्लेबाज बन जाएगा। मैंने सचिन से भी बात की है और कहा कि अगर आपको लगता है कि अर्जुन के लिए मुझे आने की जरूरत है, तो मैं मुंबई शिफ्ट हो जाऊंगा।
एक किताब एरोगेंट मास्टर योगराज सिंह आ रही है। हां मैं एरोगेंट हूं। कामयाब होने के लिए एरोगेंट मास्टर योगराज सिंह चाहिए। मेरे पास कई पैरंट्स के फोन आते हैं और उन्हें मार्गदर्शन करते हैं। मैं 70 साल का हो चुका हूं। मैं चाहता हूं कि ईश्वर मुझे 20 साल और दे, ताकि मैं अपने पोते को भी क्रिकेटर बना सकूं।