किसी तरह का कट्टरवाद स्वीकार नहीं : ऋषि सुनक

ब्रिटेन में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतों को लेकर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा- किसी भी तरह का कट्टरवाद स्वीकार नहीं है। विरोध करने का मतलब ये नहीं कि इसके नाम पर हिंसा फैलाई जाए। हमारी सरकार बांटने वाली और हिंसक विचारधारा को काउंटर करने के लिए गंभीरता से भारत सरकार के साथ काम कर रही है।
सुनक ने ब्रिटेन के सिक्योरिटी मिनिस्टर से हुई भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक का हवाला दिया। इसमें तय किया गया था कि ब्रिटेन खालिस्तानियों को काबू करने के लिए एक करोड़ रुपए खर्च करेगा। दरअसल, मार्च में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले के बाद ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थकों की हरकतों को लेकर भारत में चिंताएं बढ़ गईं। तब भारत ने ब्रिटेन से सख्त कदम उठाने की मांग की थी।
भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर भी सुनक ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि डील तभी हो पाएगी जब ये ब्रिटेन के हित में होगी। कुछ दिनों पहले दोनों देशों में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर हितों के टकराव से जुड़े सवाल उठाए गए थे।
दरअसल, सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति भारत की इंफोसिस कंपनी में एक बिलियन डॉलर शेयर्स की मालकिन हैं, लेकिन अक्षता के पास अब भी ब्रिटेन की नागरिकता नहीं है। यही वजह है कि सुनक के सियासी विरोधी इस मसले पर सवाल उठाते रहते हैं। इसकी वजह से सुनक को परेशानी भी हुई है। सुनक पर सवाल उठाने वालों का कहना है कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से अक्षता मूर्ति को फायदा पहुंच सकता है।
भारत-ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर डील स्कॉच, कार और वीजा जैसे मुद्दों पर असहमति के कारण अटक गई है। भारत स्कॉच और कारों पर टैक्स में कमी करने को तैयार नहीं है जबकि ब्रिटेन भारतीय प्रोफेशनल्स को अधिक वीजा देने को तैयार नहीं है।भारत इस पर अड़ा है कि ब्रिटेन में निवेश करने वाली भारतीय फर्म के 10 हजार प्रोफेशनल्स को वीजा दिए जाएं। ब्रिटेन का कहना है कि वीजा नियम सबके लिए समान हैं, भारत को विशेष दर्जा नहीं दे सकते।
ब्रिटेन की मांग है कि व्यापार संबंधी विवादों की सुनवाई भारतीय कोर्ट में न होकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में हो। भारत इसके लिए तैयार नहीं है। इसी के साथ एफटीए पर 26 में से 13 मुद्दों जैसे ज्वेलरी, टैक्सटाइल, फूड प्रोडक्ट पर ही सहमति बन पाई है।
मई 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के बीच भारत-यूके शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इस दौरान भारत-ब्रिटेन ने आपसी रिश्तों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया था। शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने व्यापार, अर्थव्यवस्था, रक्षा, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को लेकर 10 साल का रोडमैप तैयार किया था।