The Kandahar Hijack को लेकर फंसे अनुभव सिन्हा, आतंकवादियों के हिंदू नाम रखने पर बवाल ?

अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी वेब सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ विवादों में घिर गई है, जहां क्रिटिक्स इसकी सराहना कर रहे हैं. वहीं, ऑडियंस से लेकर बीजेपी तक इसका विरोध कर रहे हैं और इसे फिक्शन स्टोरी बता रहे है. साथ ही हाईजैकर्स को हिंदू नाम देने की वजह से भी अनुभव सिन्हा को निशाने पर ले रहे हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के प्लेन के हाईजैक में शामिल आतंकवादियों की रियल आईडेंटिटी को छुपाया गया है. बीजेपी ने कहा कि सिनेमा के माध्यम से पाकिस्तानी आतंकवादियों के अपराधों को छुपाना वामपंथियों का एजेंडा है.

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ के फिल्ममेकर ने आतंकवादियों के गैर-मुस्लिम नामों को आगे बढ़ाकर उनके आपराधिक इरादे को वैलिडिटी दी है. वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्रायल के सूत्रों का कहना है, “सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ में काठमांडू से कंधार जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 के हाईजैक की जो घटना दिखाई गई है, उसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.”

सूत्र ने कहा, “सीरीज की स्क्रिप्ट और कैरेक्टर का इस्तेमाल फैक्ट्स को मिटाने और उन्हें काल्पनिकता से बदलने की कोशिश की गई है. हाईजैक की प्लानिंग करने वालों ने जानबूझकर हाईजैकर्स के नकली नाम चुने थे, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो.”

आतंवादियों ने पहचान छुपाने के लिए रखे थे नकली नामः अमित मालवीय

सूत्र ने आगे कहा, ” IC814 विमान अपहरण से सीख लेते हुए अपहरण विरोधी कानून और हाईजैक प्लेन की घटना से निपटने के लिए एक रणनीतिक नीति को बनाया गया, जिससे इस तरह की घटना न हो.” वहीं, भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट में लिखा, “आईसी-814 के हाईजैकर्स खूंखार आतंकवादी थे, जिन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाने के लिए नकली नाम रखे थे. फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा ने उनके गैर-मुस्लिम नामों को आगे बढ़ाकर उनके क्रिमिनल इंटेंट वैलिड बनाया है.”

अमित मालवीय ने अनुभव सिन्हा पर साधा निशाना

अमित मालवीय ने आगे लिखा, “इसक परिणाम क्या होगा? दशकों बाद, लोग सोचेंगे कि हिंदुओं ने आईसी-814 प्लेन को हाईजैक किया. बरसों से पाकिस्तानी आतंकवादियों के अपराधों को छिपाने के लिए वामपंथियों के एजेंडे ने काम किया. कम्युनिस्ट 70 के दशक से ही सिनेमा का आक्रामक तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं. शायद उससे भी पहले. यह न सिर्फ भविष्य में भारत के सुरक्षा तंत्र को कमजोर करेगा बल्कि सभी खून-खराबे के लिए जिम्मेदार एक धार्मिक संगठन से निर्दोष साबित कर देगा.”