अनिल कपूर 67 साल के हो गए हैं। हाल ही में वो फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर के पिता के रोल में दिखे थे। उनकी अगली फिल्म ‘फाइटर’ है जिसमें ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण भी नजर आएंगे। इतने लंबे करियर के बावजूद अनिल कपूर बॉलीवुड में खुद को रिलेवेंट बनाए हुए हैं। टॉप फिल्मों में उनकी परफॉरमेंस सराही जा रही है। दिलचस्प बात ये है कि इस उम्र में भी उनकी फिटनेस जबरदस्त है।
अनिल आज भी 2 घंटे जिम में वर्कआउट करते हैं। साइकिलिंग से लेकर जॉगिंग और मॉर्निंग वॉक से खुद को फिट भी रखते हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को तकरीबन चार दशक दिए हैं, लेकिन इतना लंबा सफर तय करना भी उनके लिए आसान नहीं था।
स्पॉटबॉय से एक्टर बने अनिल कपूर कभी थिएटर के बाहर ब्लैक में फिल्मों के टिकट बेचा करते थे। काफी मशक्कत के बाद सफलता का स्वाद चखा। अपकमिंग फिल्म ‘फाइटर’ के लिए उनकी फीस 7 करोड़ है।
अनिल कपूर का जन्म 24 दिसंबर 1956 को चेंबूर, मुंबई महाराष्ट्र में हुआ था। ये फिल्म प्रोड्यूसर सुरिंदर कपूर और निर्मल कपूर के बेटे हैं। सुरिंदर कपूर पृथ्वीराज कपूर के कजिन थे। ऐसे में जब वो मुंबई आए तो कुछ सालों तक पृथ्वीराज कपूर के गैरेज में रहते थे। बाद में उन्होंने एक इलाके में एक कमरा किराए पर लिया जहां काफी वक्त गुजारा।
माली हालत खराब होने के बावजूद सुरिंदर कपूर ने अपने परिवार की अच्छे से देखभाल की। वो पृथ्वी थिएटर में काम करते थे।
अनिल कपूर ने जब पढ़ाई पूरी की तो इसी दौरान उन्हें पता चला कि उनके पिता को दिल की बीमारी है। ऐसे में उन्होंने घरवालों की आर्थिक मदद करने के लिए नौकरी करने की ठानी। उस समय वो 17-18 साल के रहे होंगे।
अनिल ने जॉब सर्च करनी शुरू की। एक दिन वो किसी फिल्म के सेट पर पहुंचे। जहां उन्हें स्पॉटबॉय के तौर पर काम मिल गया। इसमें उन्हें एक्टर्स को नींद से उठाना, एयरपोर्ट पर पिक और ड्रॉप करना और फिर उन्हें लोकेशन पर छोड़ना जैसे काम करने होते थे।
कुछ समय तक ये काम करने के बाद अनिल कपूर कास्टिंग डायरेक्टर भी बन गए। उन्होंने फिल्म ‘हम पांच’ की कास्टिंग की। इसी दौरान उनके मन में एक्टिंग करने की इच्छा जागी। इसके बाद उन्होंने ऐसे प्रोजेक्ट्स ढूंढने शुरू किए जिसमें उन्हें बतौर एक्टर काम करने का मौका मिले।
अनिल ने बतौर लीड एक्टर 1980 में तेलुगु फिल्म ‘वामसा वृक्षम’ से डेब्यू किया था। हालांकि इससे पहले वे 1979 में डायरेक्टर उमेश मेहरा की फिल्म ‘हमारे-तुम्हारे’ में कैमियो में नजर आए थे।
उन्होंने 1979 से 1982 तक बॉलीवुड की चार फिल्मों ‘हमारे तुम्हारे’ (1979), ‘एक बार कहो’ (1980), ‘हम पांच’ (1980) और ‘शक्ति’ (1982) में बतौर सपोर्टिंग एक्टर काम किया। 1983 में फिल्म ‘वो सात दिन’ के जरिए उन्होंने बतौर लीड एक्टर बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने कई यादगार फिल्मों में अपनी एक्टिंग से फैंस को प्रभावित किया।
अनिल कपूर ने ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ में खुलासा किया था कि वे फिल्मों में टपोरी का किरदार अच्छे से क्यों निभाते हैं। दरअसल, अनिल असल जिंदगी में कभी टपोरी थे। अनिल की मानें तो बचपन में वे और उनके दोस्त टपोरियों जैसे ही काम किया करते थे। उन्होंने फिल्म की टिकट तक ब्लैक की हैं।
1986 में आई फिल्म ‘चमेली की शादी’ पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर ने न केवल लीड रोल किया, बल्कि इस फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी उन्होंने ही गाया था। बतौर सिंगर भी अनिल का यह पहला मौका था।
1987 में डायरेक्टर शेखर कपूर की फिल्म ‘मि. इंडिया’ में अनिल कपूर के किरदार को खूब सराहना मिली थी, लेकिन इस फिल्म के लिए शेखर कपूर की पहली पसंद अमिताभ बच्चन थे। हालांकि बाद में इस फिल्म में अनिल को कास्ट किया गया।
1988 में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘परिंदा’ में जैकी श्रॉफ ने अनिल के बड़े भाई का किरदार निभाया था। दरअसल, अनिल की ही इच्छा थी कि डायरेक्टर इस फिल्म में जैकी को उनके बड़े भाई का रोल दें। रियल में जैकी श्रॉफ अनिल कपूर से एक साल छोटे हैं। अनिल का जन्म 1956 का है, जबकि जैकी 1957 में पैदा हुए।
जब जैकी और अनिल फिल्म ‘परिंदा’ की शूटिंग कर रहे थे। फिल्म के एक सीन की शूटिंग के दौरान जैकी ने अनिल को 17 बार थप्पड़ मारे थे।
ये बात खुद जैकी ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में बताई थी। दरअसल, फिल्म के एक सीन में जैकी को अनिल को थप्पड़ मारना था। जब जैकी ने ऐसा किया तो डायरेक्टर सीन से संतुष्ट हो गए और उन्होंने सीन ओके कर दिया, लेकिन अनिल कपूर को सीन में कुछ कमी नजर आई। उन्होंने जैकी से कहा कि वो लगातार उन्हें थप्पड़ मारते रहें और कैमरामैन को सीन शूट करने को कहा। इस चक्कर में जैकी ने अनिल को 17 थप्पड़ मारे, तब कहीं जाकर उन्हें लगा कि सीन परफेक्ट हुआ।
1989 में रिलीज हुई फिल्म ‘राम लखन’ में काम करने के दौरान अनिल कपूर और गुलशन ग्रोवर का मनमुटाव हो गया था जिसकी वजह से सालों तक इनके बीच बातचीत बंद हो गई थी। दरअसल, एक फाइट सीन की शूटिंग के दौरान अनिल कपूर को गुलशन ग्रोवर को मुक्का मारना था जो फिल्म में केसरिया विलायती नाम के विलेन की भूमिका में थे।
यह मुक्का गलती से ज्यादा जोर से गुलशन की आंख पर लग गया और उनकी आंख में चोट लग गई। इस बात से गुलशन नाराज हो गए और उन्होंने अनिल को उनके घर जाकर खूब खरी-खोटी सुनाई।
अनिल भी चुप नहीं बैठे और दोनों के बीच झगड़ा हो गया। इसके बाद कई सालों तक इन्होंने एक-दूसरे से बातचीत नहीं की। बाद में अनिल के बड़े भाई बोनी ने दोनों के बीच पैचअप करवाया और फिर इन्होंने साथ में फिल्म ‘लोफर’ में काम किया।
बात उस वक्त की है, जब यश चोपड़ा फिल्म ‘लम्हे’ की कास्टिंग कर रहे थे। मूवी चैनल सेटमैक्स 2 के फिलर शो ‘लाइट कैमरा किस्से’ में शेखर सुमन ने इससे जुड़ा रोचक किस्सा शेयर किया था।
शेखर सुमन के मुताबिक, डायरेक्टर यश चोपड़ा की फिल्म ‘लम्हे’ 1991 में रिलीज हुई थी, लेकिन इसका ख्याल यश को तब आया था, जब वे ‘सिलसिला’ (1981) कर रहे थे। लम्हे के लिए यश की पहली पसंद अमिताभ बच्चन और रेखा थे, लेकिन बाद में उन्हें महसूस हुआ कि कहानी के लिहाज से अमिताभ उम्र में बड़े दिखाई देंगे। इसलिए उन्होंने अमिताभ का ख्याल मन से निकाल दिया और नए चेहरे की तलाश करने लगे।
एक दिन फिल्म की राइटर हनी ईरानी ने यश को फोटोज से भरा एक लिफाफा दिया, जिस पर लिखा हुआ था, ‘एक न्यूकमर, जो आपकी फिल्म करना चाहता है।’ फोटोज देखने के बाद यश चौंक गए, क्योंकि वे अनिल कपूर की थीं। उस वक्त अनिल बहुत बड़े स्टार हुआ करते थे। फोटोज देखने के बाद यश चोपड़ा ने अनिल कपूर को मिलने के लिए बुलाया।
अनिल ने यश को कहा कि वे हर कीमत पर उनकी फिल्म करना चाहते हैं। यश ने बहुत समझाने की कोशिश की कि वे फिल्म में कैरेक्टर के हिसाब से बड़े दिखाई देंगे, लेकिन अनिल मानने के लिए तैयार नहीं थे।
अनिल बार-बार यही कह रहे थे कि वे इस रोल के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। तब यश पूछ बैठे कि क्या वे अपनी मूंछें हटवा सकते हैं? काफी विचार के बाद अनिल मूंछें हटवाने के लिए तैयार हो गए। यश ने उन्हें दूसरे दिन फोटोशूट के लिए बुला लिया और बिना मूंछों के अनिल और श्रीदेवी की जोड़ी यश चोपड़ा को पसंद आ गई।
सिल्वर स्क्रीन पर अनिल कपूर और श्रीदेवी की जोड़ी हिट थी। दोनों ने तकरीबन 16 फिल्मों में साथ काम किया था। इनकी सबसे सफल फिल्मों में से एक मिस्टर इंडिया भी थी जिससे जुड़ा एक किस्सा मशहूर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म की शूटिंग के दौरान अनिल कपूर का भाई और फिल्म के प्रोड्यूसर बोनी कपूर से झगड़ा हो गया था। दरअसल, फिल्म में बोनी ने श्रीदेवी को कास्ट करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।
जब बोनी कपूर श्रीदेवी को फिल्म मिस्टर इंडिया (1987) के लिए कास्ट करने पहुंचे तो श्रीदेवी की मां ने कह दिया कि साइन करना है तो 10 लाख देने होंगे, बोनी कपूर ने श्रीदेवी को कास्ट करने की उत्सुकता दिखाई और कह दिया कि मैं आपको 11 लाख दूंगा।
इस तरह श्रीदेवी फिल्म से जुड़ गई थीं, लेकिन अनिल कपूर को ये बात बुरी लग गई थी। वो बोनी द्वारा श्रीदेवी को इतना पैसे दिए जाने से नाखुश थे क्योंकि उन्होंने भी फिल्म प्रोडक्शन में कुछ पैसे लगाए थे। बोनी से उनका झगड़ा भी हुआ था। हालांकि कुछ समय बाद दोनों की सुलह हो गई थी।
कई हिट फिल्मों में काम करने वाले अनिल की लव स्टोरी काफी इंटरेस्टिंग है। उन्होंने सुनीता से साल 19 मई, 1984 में शादी की थी। स्ट्रगलिंग के दिनों में अनिल कपूर के पास पैसे नहीं हुआ करते थे, तो सुनीता ही उनका खर्च उठाती थीं। जब दोनों की पहली मुलाकात हुई थी, तब अनिल कपूर एक स्ट्रगलिंग एक्टर थे और सुनीता एक जानी-मानी मॉडल।
अनिल, सुनीता को देखकर उन्हें अपना दिल दे बैठे थे, लेकिन उनके पास सुनीता तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था। फाइनली, उनके दोस्तों ने उन्हें टेलीफोन नंबर दिलवाया। इसके बाद दोनों की बातचीत शुरू हो गई। अनिल, सुनीता की आवाज के दीवाने हो गए थे। कई उतार-चढ़ावों के बाद इनका रिश्ता शादी तक पहुंचा था।
जिस समय अनिल सुनीता को डेट कर रहे थे उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि सुनीता से मिलने टैक्सी या कैब से जा सके इसलिए वो बस से उनसे मिलने जाते थे।
अनिल ने कभी सुनीता से नहीं कहा था कि वो उनकी गर्लफ्रेंड बन जाएं, लेकिन कुछ समय बाद दोनों को एहसास हो गया था कि ये सिर्फ दोस्ती नहीं है। इसके बाद दोनों 11 साल तक एक साथ रहे।
अनिल को फिल्म ‘जंग’ मिली जिसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वो अब घर भी खरीद सकते हैं और घर बसा भी सकते हैं। उन्होंने सुनीता को कॉल किया और कहा, चलो शादी कर लेते हैं क्योंकि कल नहीं तो कभी नहीं। अगले ही दिन 19 मई 1984 को दोनों ने शादी कर ली। शादी में महज 10 लोग ही मौजूद थे।अनिल कपूर को फिल्म इंडस्ट्री में 43 साल हो चुके हैं। अपने इतने लंबे फिल्मी करियर पर उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, मुझे कई झटके लगे, कई निराशाएं मिलीं और अवसाद के पल भी आए। अगर मैं सुपर ह्यूमन होता तो शायद ये स्थितियां नहीं आतीं, लेकिन मैं सुपर ह्यूमन तो हूं नहीं।
मुझे लगता है कि एक अभिनेता को लगातार मोटिवेशन की जरूरत होती है, इसलिए हर समय नए लोगों के साथ काम करना जरूरी है। आपको हमेशा अपने दिल की सुनकर निर्णय लेने होंगे। मनोरंजन की दुनिया में बदलाव लगातार होते रहते हैं।
मैंने ‘राम लखन’ में जैकी श्रॉफ के छोटे भाई और ‘त्रिमूर्ति’ में शाहरुख के बड़े भाई की भूमिका निभाई थी। ‘विरासत’ में एक जमींदार अमरीश पुरी के बेटे की भूमिका निभाई तो कई सालों के बाद मैं जोया अख्तर की ‘दिल धड़कने दो’ में प्रियंका चोपड़ा के पिता की भूमिका में था।
सिनेमा हर पल बदल रहा है और हमें भी इसके साथ बदलना होगा। हो सकता है स्टारडम एक जैसा न हो, लेकिन वह कभी खत्म होने वाली चीज नहीं है।’सीए नॉलेज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल कपूर की नेटवर्थ तकरीबन 134 करोड़ रु. है। एक फिल्म के लिए उनकी फीस 5 से 10 करोड़ के बीच है। फिल्म जुग जुग जियो के लिए उन्होंने 10 करोड़ की फीस ली थी। अपकमिंग फिल्म ‘फाइटर’ के लिए उनकी फीस 7 करोड़ है।
ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए अनिल कपूर 50-55 लाख रु. की फीस चार्ज करते हैं। पब्लिक इवेंट्स में हिस्सा लेने की उनकी फीस 15 लाख रु. के आसपास है। अनिल कपूर के पास मुंबई में तीन घर हैं।
ये तीनों घर करीब 35 करोड़ के हैं। कार कलेक्शन की बात करें तो अनिल कपूर के पास पोर्शे, बेंटले, BMW, जैगुआर और ऑडी जैसी गाड़ियां ह
अनिल कपूर फिनेस फ्रीक हैं। 67 साल की उम्र में भी वो रोजाना 2 घंटे जिम में बिताते हैं। अपकमिंग मूवी में रोल के हिसाब से वर्कआउट को बदलते रहते हैं। इस दौरान वे 10 मिनट कार्डियो करते हैं। जिम में सिट-अप्स, क्रंच, चेयर स्क्वॉट्स और पुश-अप्स करते हैं। सप्ताह में 3 दिन जिम और 3 दिन आउटडोर एक्टिविटीज को देते हैं।