जर्मनी (Germany) में इस साल सितंबर में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव (National Election) से पहले एक प्रांत में हुए चुनाव में चांसलर एंजेला मर्केल (Chancellor Angela Merkel) की मध्यमार्गी पार्टी ने सोमवार को जीत दर्ज की. इसके बाद पार्टी में आगामी राष्ट्रीय चुनाव को लेकर उत्साह बढ़ गया है. हालांकि पूर्वी सैक्सोनी अनाल्ट राज्य में रविवार को हुए चुनाव में जीत मिलने का ज्यादातर श्रेय लोकप्रिय गवर्नर रीनर हैसलॉफ को जाता है.
सैक्सोनी अनाल्ट राज्य में मर्केल की ‘क्रिस्चन डेमोक्रेटिक यूनियन'(सीडीयू) को अति दक्षिणपंथी पार्टी ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ से चुनौती मिल रही थी लेकिन सोमवार को घोषित हुए नतीजों में सीडीयू को 37.1 फीसदी वोट मिले हैं जबकि ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ को 20.8 मत हासिल हुए.
जर्मनी के 16 राज्यों में होने वाले चुनावों पर अक्सर स्थानीय मुद्दे ही हावी रहते हैं, फिर भी नतीजों को राष्ट्रीय रूझान के संकेत के रूप में देखा जाता है. सैक्सोनी अनाल्ट में जीत ने सीडीयू के नए नेता अरमिन लैशेट को जश्न मनाने की वजह दी है. वह इस साल चांसलर पद के उम्मीदवार होंगे.
सीडीयू के नेताओं की बैठक के बाद लैशेट ने पत्रकारों से कहा कि बिल्कुल इसने संघीय पार्टी को हवा का रूख बताया है. यह बताता है कि मूड और ‘ऑपिनियन पोल्स’ चुनाव तय नहीं करते हैं, बल्कि मतदाता अपना नतीजे बताते हैं.
विश्लेषक बताते हैं कि अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी को भले ही हार का समना करना पड़ा हो लेकिन उसके नजरिए यह एक बड़ी कामयाबी है क्योंकि जर्मनी में पार्टी की छवि एक उग्रवादी दल की है. साथ ही मुख्यधारा की राजनीति में पार्टी को बाहरी माना जाता है. ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ चरमपंथ के आरोपों की जांच का सामना भी कर रही है. इसके बावजूद जनता का समर्थन मिलना उसके लिए एक बड़ी कामयाबी है.एएफजी 20.8 फीसदी वोट हासिल कर मुख्य विपक्षी दल बनी है. बात करें वामपंथी पार्टियों की तो तमाम दल चुनाव में सिर्फ संघर्ष करते नजर आए. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) जैसी पार्टियों का वोट शेयर खिसककर सिर्फ 8.4 फीसदी रह गया. इन चुनाव के नतीजों ने सितंबर में होने वाले आगामी राष्ट्रीय चुनाव में सीडीयू को संभावित जीत के संकेत दिए हैं.