पूर्वोत्तर में विकास और खुशहाली लाने के साथ उसे विश्व पटल पर बढ़ावा देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। यह बात शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर परिषद के 69वें पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि चाहे नैसर्गिक सौंदर्य की बात हो या सांस्कृतिक विरासत की, यह क्षेत्र पर्यटन का बड़ा केंद्र बनने की पूरी क्षमता रखता है।
उन्होंने कहा कि मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर के विकास से ही भारत का विकास होगा। दशकों तक उपेक्षित रहे इस क्षेत्र में मोदी के कार्यकाल में शांति स्थापित हो सकी और विकास को गति मिली। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में विकास परियोजनाएं लाने और लोगों को रोजगार मुहैया कराने में पूर्वोत्तर परिषद का बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा कि यहां के विकास कार्यो का बारीकी से परीक्षण करने पर पता चलता है कि इस क्षेत्र में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में जो काम शुरू हुए वे काफी अहम रहे। केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के विकास के लिए हर संभव कार्य करने को तैयार है। देश को पांच ट्रिलियन (पांच खरब) डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में यह क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। इस क्षेत्र के बहुत से क्षेत्र अभी विकसित नहीं हो पाए हैं। इसके लिए कैबिनेट ने तय किया है कि परिषद को आवंटित राशि का 30 फीसद हिस्सा विकास कार्यो पर खर्च किया जाए।
बैठक से पूर्व शिलांग पहुंचने पर मेघालय के मुख्यमंत्री सीके संगमा और केंद्रीय मंत्री व पूर्वोत्तर परिषद के उपाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने शाह का हेलीपैड पर स्वागत किया। परिषद की बैठक में असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल और राज्यपाल जगदीश मुखी, मिजोरम के सीएम जोरामथंगा को छोड़ अन्य छह राज्यों के राज्यपालों व मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। बैठक में असम और मिजोरम के मंत्री व अधिकारी मौजूद रहे।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ