केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने राष्ट्रीय मौसम विभाग (आइएमडी) और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को अपनी तकनीक को अपडेट करने का निर्देश दिया, ताकि भारी बारिश और बाढ़ का सटीक पूर्वानुमान लगाकर जान माल की हानि को कम किया जा सके।
बैठक के दौरान सीडब्ल्यूसी, आइएमडी और एनडीआरएफ ने बारिश और बाढ़ के पूर्वानुमान और इससे निपटने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी दी। सीडब्ल्यूसी और आइएमडी की ओर से बताया गया कि पिछले साल 15 जून को हुई इसी तरह की बैठक में लिए गए फैसले को लागू किया जा चुका है। इस दौरान अमित शाह ने साफ किया कि सटीक पूर्वानुमान को सही वक्त पर निचले स्तर तक पहुंचाने से बाढ़ से होने वाली जान-माल की हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने संबंधित विभागों को राज्य की एजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल से काम करने का निर्देश दिया।
शाह ने कहा कि जलाशयों और नदियों में पानी के स्तर की हर घंटे जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सरकारी अमले से लेकर आम जनता तक समय से इसकी जानकारी पहुंचनी चाहिए, जिससे समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने से लेकर तटबंधों को मजबूत करने का काम पूरा किया जा सके। मानसून के दौरान बाढ़ के साथ ही बिजली गिरने से बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। आइएमडी किसी स्थान पर बिजली गिरने का पूर्वानुमान तीन घंटे पहले जारी करता है, जो उसके दामिनी एप पर उपलब्ध भी होता है।
अमित शाह ने दामिनी एप को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया ताकि लोगों तक सीधी जानकारी पहुंच सके। इसके साथ ही उन्होंने बिजली गिरने के पूर्वानुमान की केवल तीन घंटे तक समय सीमा को देखते हुए इसकी जानकारी तत्काल स्थानीय रेडियो, एफएम, टीवी और अन्य माध्यमों से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था करने को कहा। इसके अलावा उमंग और रेन अलार्म नामक दो अन्य एप भी आइएमडी ने वर्षा और बाढ़ का पूर्वानुमान जारी करने के लिए तैयार किया है।
शाह ने साफ किया कि संबंधित विभागों को मिलकर ऐसा तंत्र तैयार करना होगा, जिससे बाढ़ से होने वाले नुकसान को स्थायी रूप से कम किया जा सके। अमित शाह ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार करने का निर्देश दिया। एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवल ने बताया कि राज्यों की ओर से 67 टीमों की मांग गई थी, जिनमें से 14 को तैनात भी किया जा चुका है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि असम, बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके हर साल भीषण बाढ़ की समस्या से जूझते हैं।