लाहौर के डॉन अमीर सरफराज की हत्या कर दी गई है।कि अमीर को लाहौर में कुछ लोगों ने गोली मार दी थी। इसके बाद उसकी मौत हो गई। माना जाता है कि अमीर सरफराज और उसके साथी ने ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर साल 2013 में लाहौर जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
दिसंबर 2018 में पाकिस्तान की एक कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सरबजीत की हत्या के 2 आरोपियों को रिहा कर दिया था। उनमें अमीर सरफराज और मुद्दसर शामिल थे। किसी ने इन दोनों के खिलाफ गवाही नहीं दी थी। दरअसल, पंजाब का सरबजीत 1990 में गलती से बॉर्डर क्रॉस कर पाकिस्तान चला गया था। पाकिस्तानी फौज ने उसे भारत का जासूस कहकर बंधक बना लिया था।
पाकिस्तान में सरबजीत के हत्यारे की मौत की खबर उस वक्त आई है, जब हाल ही में पाकिस्तान ने भारत पर टारगेट किलिंग के आरोप लगाए हैं। पाकिस्तान ने कहा था कि भारत गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान में उसके नागरिकों को मार रहा है। पाकिस्तान ने ये आरोप ब्रिटिश मीडिया हाउस द गार्डियन की उस रिपोर्ट का हवाला देते हुए लगाए थे जिसमें कहा गया था कि “भारत के इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स विदेशी धरती पर रहने वाले आतंकवादियों को खत्म करने की रणनीति के तहत पाकिस्तान में कई लोगों की हत्या करवा रहे हैं।”
इस पर विदेश मंत्री एस जयशकंर ने कहा था, “टारगेट किलिंग करना भारत की विदेश नीति में नहीं है।” विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि आरोप झूठे हैं और भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है।
सरबजीत सिंह पंजाब के तरनतारन के भिखीविंड गांव में रहने वाले किसान थे। लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके का आरोपी बनाकर सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की जेल में बंद कर दिया गया। 1991 में हुए बम धमाकों के आरोप में सरबजीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
23 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद 2013 में जेल में कई पाकिस्तानियों ने उन्हें बेरहमी से पीटा। इसके बाद उन्होंने लाहौर के जिन्ना अस्पताल में दम तोड़ दिया था। सरबजीत पर जेल में हमला भारत में आतंकी अफजल गुरु को फांसी देने के कुछ समय बाद हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैदियों ने ईटों से उनके सिर पर वार किए थे। मौत के बाद उनके शव को भारत भेज दिया गया था।
सरबजीत ने जेल में रहते हुए खत लिखा था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें धीमा जहर दिया जा रहा है। उन्होंने लिखा था- ‘जब भी मेरा दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है, मैं जेल अधिकारियों से दर्द की दवा मांगता हूं। मेरा मजाक उड़ाया जाता है, मुझे पागल ठहराने की पूरी कोशिश की जाती है।’
सरबजीत ने लिखा था- ‘मुझे एकांत कोठरी में डाल दिया गया और मेरे लिए रिहाई का एक दिन भी इंतजार करना मुश्किल हो गया है।’