अमेरिकी अधिकारी ने शनिवार और रविवार को तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कतर के दोहा में बैठक की। अगस्त महीने में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह इस तरह की पहली बैठक है। दोहा वार्ता के बाद अमेरिका ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि ”तालिबान को उसके शब्दों या उसके किए वादों से नहीं बल्कि उसके किए कामों और एक्शन के आधार पर आंका जाएगा” अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने रविवार को कहा कि अमेरिकी इंटरएजेंसी प्रतिनिधिमंडल ने काबुल के तालिबान प्रतिनिधियों से मिलने के लिए कतर की यात्रा की और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर चर्चा की। नेड प्राइस के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि तालिबान को उसके कार्यों पर नहीं बल्कि उसके शब्दों पर आंका जाएगा।
दोहा वार्ता के बाद अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अधिकारिक बयान देते हुए कहा, “9 और 10 अक्टूबर को अमेरिका के एक अंतर-एजेंसी प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ दोहा में वार्ता की। वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने सुरक्षा और आतंकवाद की चिंताओं पर बात की। इसके साथ ही अमेरिकी नागरिकों अन्य विदेशी नागरिकों और हमारे अफगान भागीदारों के लिए सुरक्षित यात्रा पर भी ध्यान दिया। हमने मानवाधिकार के मुद्दे पर भी बात की, जिसमें अफगान समाज के सभी पहलुओं में महिलाओं और लड़कियों की सार्थक भागीदारी शामिल है।”
नेड प्राइस ने कहा, “दोनों पक्षों ने अफगान के लोगों को मजबूत मानवीय सहायता के संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रावधान पर भी चर्चा की। चर्चा स्पष्ट और पेशेवर थी जिसमें अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि तालिबान को उसके शब्दों पर ही नहीं, बल्कि उसके द्वारा किए गए कामों के आधार पर आंका जाएगा।”
तालिबान और अमेरिका के प्रतिनिधिमंडलों ने कतर की राजधानी दोहा में अफगान में तालिबानी सरकार आने के बाद पहली बैठक आयोजित की थी। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा, “अफगान सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल ने कतर में अपने संबंधों के साथ-साथ अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और दोहा शांति समझौते के कार्यान्वयन पर भी चर्चा की है।”