अमेरिका ने आखिरकार 20 साल बाद अफगानिस्तान में अपने सैन्य अभियान के समापन की घोषणा कर दी। हालांकि अमेरिकी सेनाएं ऐसे समय पर अफगानिस्तान से निकली है जब एक बार फिर वहां पहले जैसी स्थिति बन गई है और तालिबान का कब्जा हो गया है।
अमेरिकी सेना भले ही अफगानिस्तान से बाहर निकल गई लेकिन रिपोर्ट के अनुसार अब भी वहां 200 अमेरिकी नागरिक और हजारों अफगान मौजूद हैं जिन्हें अब निकलने के लिए तालिबानी की मर्जी पर निर्भर रहना होगा।
इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने कहा है कि पीछे छूट गए लोगों को अमेरिका निकालने का प्रयास जारी रखेगा। अमेरिका ने कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की मदद से इन लोगों को निकालने का प्रयास होगा।
ब्लिंकन ने कहा, ‘हमें इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि ये काम आसान या तेजी से होगा होगा।’ ब्लिंकन ने संकेत दिया कि अफगानिस्तान में अभी रह रहे और इसे छोड़ने के इच्छुक अमेरिकियों की कुल संख्या 100 के करीब हो सकती है।
काबुल में अमेरिकी दूतावास बंद
पेंटागन की ओर से अमेरिकी सैन्य अभियान के खत्म होने की घोषणा के कुछ देर बाद ब्लिंकन ने कहा कि काबुल में अमेरिकी दूतावास फिलहाल बंद रहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राजनयिक कतर के दोहा में बैठेंगे।
दूसरी ओर यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी सेना मिशन के अंतिम घंटों में 1,500 अफगानों को बाहर निकालने में सफल रही। हालांकि अब यह तालिबान के साथ काम करने वाले विदेश विभाग पर निर्भर करेगा कि वह और लोगों को बाहर निकाले।
मैकेंजी ने कहा कि अमेरिकी सेना के आखिरी विमान के उड़ान के समय हवाई अड्डे पर कोई नागरिक नहीं फंसा था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना ने अंत से ठीक पहले तक अमेरिकियों को बाहर निकालने की क्षमता बनाए रखी, लेकिन इनमें से कोई हवाई अड्डे तक नहीं पहुंच सका।मैकेंजी ने साथ ही कहा, ‘इस प्रस्थान के साथ बहुत सारे दिल टूटे। हम उन सभी को बाहर नहीं निकाल सके जिन्हें निकालना चाहते थे। लेकिन मुझे लगता है कि अगर हम 10 दिन और रुके होते तो भी हम हर उस व्यक्ति को बाहर नहीं निकाल पाते जिसे हम बाहर करना चाहते थे।’