इजराइल और सऊदी अरब के बीच अमेरिका दोस्ती कराने की कोशिश कर रहा है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले हफ्ते दो बार सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) से बातचीत की।
यह बातचीत इजराइल में रहने वाले अरब मूल के लोगों को डायरेक्ट फ्लाइट से हज यात्रा पर भेजने के बारे में हुई। उस वक्त MBS बहरीन में थे। बहरीन के फॉरेन मिनिस्टर अब्दुल्लाहलतीफ बन राशिद अल जयानी ने इस बातचीत में मीडिएटर का रोल प्ले किया।
पिछले दिनों इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा था- बहुत मुमकिन है कि 6 महीने में इजराइल और सऊदी अरब के डिप्लोमैटिक रिलेशन बहाल हो जाएं।
नेतन्याहू और MBS की बातचीत पर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। मुताबिक नेतन्याहू ने MBS के सामने दोनों देशों के बीच नॉर्मल रिलेशन शुरू करने पर जोर दिया। इसको MBS ने नकार दिया। उन्होंने नेतन्याहू से मुलाकात का प्रपोजल भी नहीं माना।
नेतन्याहू और MBS की बातचीत में यह फैसला जरूर हो गया कि इजराइल में रहने वाले अरब मूल के लोगों को तेल अवीव से जेद्दाह के लिए डायरेक्ट फ्लाइट मुहैया कराई जाए। यह फ्लाइट सिर्फ हज यात्रियों के लिए होगी।
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल को पूरी उम्मीद है कि सऊदी अरब सरकार डायरेक्ट फ्लाइट की मंजूरी देगी और इसके बाद नॉर्मल रिलेशन की तरफ एक कदम और बढ़ाया जाएगा।
MBS चाहते हैं कि इजराइल के कब्जे वाले इलाके में मौजूद अल अक्सा मस्जिद का सिक्योरिटी कंट्रोल फिलिस्तीन की सिक्योरिटी फोर्सेज के हवाले किया जाए। इजराइल सिर्फ पश्चिमी हिस्सा संभाले। इस पर भी सहमति नहीं बन सकी है।
पिछले हफ्ते इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने मीडिया से बातचीत में कहा था- हमारे और सऊदी अरब के हित एक जैसे हैं। उम्मीद है, नॉर्मल रिलेशन भी शुरू होंगे। हालांकि मैं ये नहीं कह सकता कि ये काम कब और कैसे होगा।
कोहेन ने माना था कि व्हाइट हाउस के मिडिल ईस्ट मामलों के कोऑर्डिनेटर एमोस होचेस्टन ने इसी महीने की शुरुआत में MBS से मुलाकात की थी। इस दौरान इजराइल और सऊदी अरब के बीच नॉर्मल रिलेशन शुरू करने पर लंबी बातचीत हुई थी। इसके बाद इजराइली फॉरेन मिनिस्टर का एक और बयान आया। उन्होंने इशारों में उम्मीद जताई कि इजराइल और सऊदी अरब के बीच 6 महीने या एक साल में डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू हो सकते हैं।
कहा जा रहा है कि सऊदी अरब चाहता है कि इजराइल सरकार फिलिस्तीन के मामलों पर नर्म रवैया अपनाए। अमेरिका भी इजराइल पर सऊदी से बातचीत का दबाव बना रहा है। हालांकि इजराइल की कट्टरपंथी सरकार फिलिस्तीन को क्या और कितनी रियायत देगी, यह साफ नहीं है।
इजराइल को पूरी उम्मीद है कि तेल अवीव से जेद्दाह या मक्का तक डायरेक्ट फ्लाइट की मंजूरी मिल जाएगी। इन फ्लाइट्स में सिर्फ इजराइली मुस्लिम जाएंगे। पिछले साल 2700 इजराइली मुस्लिम हज यात्रा पर गए थे। इस साल यह आंकड़ा 4500 हो सकता है। अब तक सभी इजराइली मुस्लिम किसी तीसरे देश के जरिए हज यात्रा पर जाते हैं।
ज्यादातर इजराइली मुस्लिम जॉर्डन के रास्ते मक्का जाते हैं। पिछले साल कतर ने फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए इजराइल से डायरेक्ट फ्लाइट्स की मंजूरी दी थी। बहरीन और UAE पहले ही इजराइल के साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू कर चुके हैं
पिछले साल UN में सऊदी अरब के परमानेंट रिप्रेजेंटेटिव अब्दुल्ला अल मोआलिमिनी ने एक इंटरव्यू में कहा था- सऊदी अरब ने अपना स्टैंड नहीं बदला है। अगर इजराइल हमारी मांगों को पूरा कर देता है तो सिर्फ सऊदी अरब ही क्यों, सभी 57 मुस्लिम देश उसे मान्यता देने तैयार हैं। वक्त सही या गलत का फैसला नहीं करता। फिलिस्तीन की जमीन पर इजराइली कब्जा पहले भी गलत था और आज भी गलत है।
अब्दुल्ला कुछ भी कहें, लेकिन ये तय है कि सऊदी अरब और इजराइल के बीच बैकडोर डिप्लोमैसी चलती रही है। इजराइली मीडिया में कई रिपोर्ट्स भी आईं। माना जाता है कि इजराइल और अमेरिकी नेताओं के सीक्रेट रियाद दौरे होते रहे हैं। सभी का मकसद एक ही था कि रियाद और तेल अवीव के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन शुरू कराए जाएं।
ये इसलिए भी अहम है क्योंकि UAE, सूडान, मोरक्को और बहरीन इजराइल को मान्यता दे चुके हैं। कुवैत और जॉर्डन ये पहले ही कर चुके थे। पिछले साल तब के इजराइली प्रधानमंत्री नफ्टाली बेनेट ने UAE का दौरा किया था। अबुधाबी जाने वाले वो पहले इजराइली प्रधानमंत्री थे।
2020 में खबर आई थी कि खाड़ी के पांच देशों ने इजराइल की टेक कंपनी एनएसओ से फोन हैकिंग और जासूसी में इस्तेमाल किए जाने वाला सॉफ्टवेयर ‘पेगासस’ और दूसरे उपकरण खरीदे थे। यूएई और सऊदी अरब में इनका इस्तेमाल विरोधियों पर नजर रखने के लिए किया गया।