सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता शनिवार को मिल गया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने डॉक के जरिए निमंत्रण पत्र भेजा है। निमंत्रण पत्र पाने के बाद शनिवार रात अखिलेश यादव ने भी पत्र के जरिए प्रतिक्रिया दी है। चंपत राय ने नाम धन्यवाद लेटर लिखा। जिसमें लिखा था- अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण के लिए धन्यवाद। समारोह के सकुशल संपन्न होने की हार्दिक शुभकामनाएं।
अखिलेश ने आगे लिखा- हम प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के बाद परिवार के साथ दर्शन करने आएंगे। आज मिले निमंत्रण के लिए एक बार फिर धन्यवाद…। बता दें कि बीते सात दिनों से अखिलेश यादव से निमंत्रण मिलने पर मीडिया लगातार सवाल कर रही थी। जिस पर अखिलेश ने अलग-अलग बयान भी दिए थे। मीडिया के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा- मुझे राम मंदिर समारोह के लिए आमंत्रण अब तक नहीं मिला है। मुझे पता चला है कि मेरे लिए 22 जनवरी को निमंत्रण कोरियर के माध्यम से भेजा गया। लेकिन, यह कोरियर मुझे आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। मीडिया के लोग ही मुझे भेजे गए कोरियर की रसीद उपलब्ध करवा दें। इस तरह मुझे अपमानित किया जा रहा है।
अखिलेश ने यह भी कहा कि अयोध्या राम मंदिर में दिव्यांगों, बुजुर्गों और बच्चों को जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि दुनिया में सभी जगह बड़े भवन को बनाने में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है। अखिलेश यादव ने कहा- हमें निमंत्रण नहीं मिला है। जिस पर विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार ने कहा है कि हमने अखिलेश यादव को निमंत्रण भेजा है। फिर अखिलेश यादव ने कहा कि मैं इनको नहीं जानता। जिनको जानते हैं, उनसे ही निमंत्रण लेते हैं। हम उनको ही निमंत्रित भी करते हैं। जब भगवान बुलाएंगे तब हम जाएंगे।
डिंपल यादव: सपा की मैनपुरी से सांसद और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के सवाल पर कहा था कि भगवान राम एक हैं। आमंत्रण मिलेगा तो जाएंगे। अगर नहीं मिलेगा तो बाद में दर्शन करने जरूर जाएंगे।
शिवपाल यादव: सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने 9 जनवरी को भाजपा को घेरते हुए कहा था कि भाजपा को मंदिर के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा। हम सभी लोग भगवान श्रीराम को मानते हैं। हमें तो लगता है कि सबसे अधिक गरीब, पिछड़े, दलित और उपेक्षित लोग भगवान राम को मानते हैं। जितने पैसे वाले लोग हैं, वह दिन में एक बार भी भगवान का नाम नहीं लेते होंगे।
इटावा में मीडिया से बातचीत करते हुए शिवपाल ने यह भी कहा था कि भगवान राम केवल भाजपा के ही नहीं हैं, सभी के हैं। लेकिन, प्रचार ऐसा हो रहा है कि जैसे भगवान राम केवल भाजपा के हैं। भाजपा बे-फिजूल का खर्चा कर रही है। इस खर्चे को गरीबों और उपेक्षितों की मदद के लिए करना चाहिए था। लेकिन, केवल पूंजीपतियों के लिए काम किया जा रहा है। सरकार विदेश से कर्जा ले रही है।
शनिवार यानी 13 जनवरी को अखिलेश यादव को निमंत्रण का लेटर मिला। इसी दिन दोपहर में लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में अखिलेश ने प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट की बैठक बुलाई। अखिलेश यादव ने बैठक की शुरुआत में ही राम मंदिर का मुद्दा उठाया। अखिलेश ने कहा कि BJP इसके बहाने राजनीति कर रही है। धर्म हम सबकी आस्था का मामला है। हम सब भगवान राम की पूजा करते हैं। राम तो सबके हैं। वे किसी राजनीतिक दल के नहीं है। उन्होंने प्रवक्ताओं से इस मुद्दे पर सावधानी से पार्टी का स्टैंड रखने को कहा। सलाह दी कि धर्म से जुड़ा ऐसा कोई बयान न दें जिससे किसी की आस्था को ठेस पहुंचे।
वैसे तो अखिलेश को दिल्ली में INDI गठबंधन की मीटिंग में शामिल होना था, लेकिन अखिलेश नहीं गए। यही नहीं बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के किसी भी नेता को INDI गठबंधन की मीटिंग में नहीं जाने दिया। यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के स्टैंड से अखिलेश यादव थोड़ा नाराज हैं। पार्टी प्रवक्ताओं की मीटिंग में उन्होंने कहा कि कांग्रेस चालाक पार्टी है। वो सिर्फ अपना फायदा देखती है।
अखिलेश ने प्रवक्ताओं से कहा- BJP को रोकने के लिए हमने उनके साथ गठबंधन किया है, लेकिन उनकी नीयत ठीक नहीं है। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि BJP के खिलाफ हमने हमेशा आगे बढ़ कर… कभी कांग्रेस तो कभी बसपा से गठबंधन किया। गठबंधन का धर्म निभाने की पूरी कोशिश की। लेकिन, बदले में हमें हमेशा धोखा मिला। कांग्रेस अब बसपा से गठबंधन का हवा बना रही है। फिलहाल ये उनका फैसला है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को शहडोल दौरे पर रहे। उन्होंने विपक्षी दलों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो लोग 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को नकार रहे हैं। उन्हें फिर से विचार करना चाहिए। अभी बहुत समय है। आमंत्रण ठुकरा कर वे फिर गलती कर रहे हैं