ट्वीट कर BJP को कहीं ना कहीं चुनाव कराने को लेकर चुनौती दी है अखिलेश यादव ने

देश में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सियासी सरगर्मी काफी बढ़ गई है। एक तरफ केंद्र सरकार ने जहां एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। वहीं 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र भी बुलाया गया है। अब सियासी दलों का इस पर मिक्स रिएक्शन सामने आ रहा है।
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो 80 लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर वार पलटवार देखने को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर BJP को कहीं ना कहीं चुनाव कराने को लेकर चुनौती दी है। अखिलेश की चुनौती पर बीजेपी ने कहा कि सपा मुखिया चुनाव हारकर भी भ्रम में हैं। वह सिर्फ ट्विटर के नेता रह गए हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार सुबह 10:24 बजे जो ट्वीट किया। उसमें लिखा… “हर बड़े काम से पहले एक प्रयोग किया जाता है। इसी बात के आधार पर हम यह सलाह दे रहे हैं कि एक देश एक चुनाव करवाने से पहले भाजपा सरकार इस बार लोकसभा के साथ-साथ देश के सबसे अधिक लोकसभा और विधानसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लोकसभा-विधानसभा के चुनाव साथ कर कर देख ले। इससे एक तरफ चुनाव आयोग की क्षमता का भी परिणाम सामने आ जाएगा और जनमत का भी। साथ ही भाजपा को यह भी पता चल जाएगा कि जनता किस तरह भाजपा के खिलाफ आक्रोशित है और उसको सत्ता से हटाने के लिए कितनी उतावली है।”

दरअसल अपने ट्वीट में अखिलेश यादव एक तरफ वन नेशन वन इलेक्शन का सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ वो बीजेपी को चुनौती देते भी नजर आ रहे हैं।
अखिलेश यादव के इस ट्वीट को लेकर दैनिक भास्कर ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से बात की। उनका कहना था कि अखिलेश यादव को जितने भी सुझाव देने हैं, वो बनी कमेटी के सामने दें। उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा के हमारे जो सर्वोच्च नेता हैं, वह देश के विकास के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। फिर चाहे एक देश एक चुनाव हो, एक देश एक वोटर लिस्ट हो, या फिर एक देश एक टैक्स हो।

उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। जब संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो तो डिंपल को वो सुझाव संसद में रखना चाहिए। वहीं अखिलेश यादव पर केशव ने कहा कि जो ट्वीट उन्होंने किया है, उसका रिजल्ट अभी उन्हें घोसी से ही मिल जाएगा। जनता किसे लेकर आक्रोशित है और किसके साथ प्रसन्न है। पता चल जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने साफ तौर पर यही कहा कि 2014 से लेकर 2022 तक 4 चुनाव वो हार गए हैं । अखिलेश यादव की जमीन खिसक चुकी है, लेकिन फिर भी न जाने किस बात का गुमान है। उन्हें भ्रम में नहीं रहना चाहिए। 2024 में भी प्रचंड बहुमत से बीजेपी आ रही है।
सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर का कहना है कि अखिलेश यादव के पास अब ट्वीट करने के अलावा कोई काम नहीं बचा है। वह केवल ट्विटर के नेता हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अखिलेश जी को अपनी एक टीम आज घोसी भेज कर चेक करना चाहिए कि यहां जनता किसके साथ है। यहां रैली नहीं बल्कि रैला हो रहा है। पूरे घोसी का जनमानस यहां उमड़ा है।

वह भी रैली करके गए थे, लेकिन यहां जो लोग आए हैं वह केवल घोसी के ही हैं। अलग-अलग जिलों के नहीं। उनकी पार्टी वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करती है। चाहे चुनाव एक साथ हो या फिर अलग-अलग हो 2024 में समाजवादी पार्टी का सफाया होगा।
वहीं, निषाद पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने कहा, ”अखिलेश यादव केवल सपना देख रहे हैं। जनता अपना काम कर रही है। जनता के हक का 85% खाने वालों को जनता अब गद्दी से हटा रही है। 2004 से 2014 तक सपा बसपा ने कमजोर सरकार केंद्र में बनवाई और कमजोरों का हिस्सा लूट लिया। लेकिन अब जनता समझदार है। इसीलिए लगातार इन्हें सत्ता से खदेड़ रही है। उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पार्टी वन नेशन वन इलेक्शन का सपोर्ट करती है। ये देश के विकास के लिए यह आवश्यक भी है।
NDA के सहयोगी दल अपना दल (एस) के MLC और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि प्रदेश की जनता ने 2014, 2017, 2019 और 2022 में मोदी जी के नेतृत्व वाले NDA का साथ देकर ही अखिलेश को जवाब स्वयं ही दे दिया है। उन्होंने कहा कि 2024 में भी NDA उत्तर प्रदेश में 80 की 80 लोकसभा सीटें जीतेगा। अखिलेश यादव ने जो ट्वीट किया है घोसी उपचुनाव उनके उस ट्वीट का जवाब देगा।
केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव को लेकर भले ही अब समिति बनाई हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2018 में ही वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर उस वक्त कैबिनेट मंत्री रहे सिद्धार्थ नाथ सिंह की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। मार्च 2018 में ये कमेटी बनाई गई थी और जून 2018 में इस कमेटी ने 23 पन्नों की अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी।
दरअसल नेशनल लॉ कमीशन के एक देश एक चुनाव और समान मतदाता के सुझाव पर अध्ययन के लिए 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 7 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने दूसरे देशों में चुनाव प्रणाली का भी संदर्भ लिया था, इसमें ब्रिटेन और जर्मनी की भी चुनाव प्रणाली शामिल थी
कमेटी ने जो सिफारिश की थी, उसमें वन नेशन वन इलेक्शन की नई व्यवस्था दो चरणों में लागू कराए जाने की थी। पहले चरण में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ करने की सिफारिश थी तो दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के इसमें जोड़ने की थी
दूसरे चरण में 2029 तक स्थानीय निकाय के चुनाव को इसे जोड़ दिया जाए, ऐसा सुझाव दिया गया था। इसके साथ ही महापौर की तरह जिला पंचायत अध्यक्षों का भी चुनाव हो। वहीं चुने हुए ग्राम प्रधानों को ही क्षेत्र पंचायत सदस्य बना दिया जाए। इसी तरह जो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुना जाए उसे ही जिला पंचायत सदस्य भी माना जाए। इस तरह के सुझाव कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उस वक्त दिए थे ।
रिपोर्ट में सभी चुनाव के लिए एक मतदाता सूची बनाने की भी बात कही गई थी। लोकसभा विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए एक ही मतदाता सूची बने इसके लिए सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण की जरूरत होगी ।
सुझाव ये भी था कि अगर मतदाता परिचय पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए तो नकली कार्ड नहीं बनाया जा सकेंगे अगर ऐसा संभव न हो तो इलेक्टर्स फोटो आईडेंटिटी कार्ड बनवाए जाएं, जो यूनिक नंबर पर आधारित हो और एक नंबर पर दूसरा कार्ड बनते ही उसे निरस्त कर दिया जाए। इसके अलावा इसमें मोबाइल नंबर को भी जोड़े जाने का सुझाव दिया गया था।
साथ ही ये भी सुझाव था कि 16 वर्ष तक के प्रत्येक नागरिक का डेटाबेस तैयार किया जाए। 18 साल का होते-होते कुछ जरूरी सत्यपनों के बाद उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो जाए जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कम्प्यूटराइज्ड हो। उन्हें मतदाता सूची में केंद्रीय डेटाबेस से जोड़ा जाए ताकि मृत्यु के बाद सूची से नाम अपने आप हट जाए।
उस वक्त कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें इस बात का साफ तौर पर जिक्र किया था कि वन नेशन वन इलेक्शन से चुनाव के बजट में बहुत कमी आएगी। विकास कार्यों को गति मिलेगी। अभी अलग-अलग चुनाव कराने से बहुत अधिक धनराशि खर्च होती है। वहीं एक साथ चुनाव कराए जाने पर व्यवस्था को संभालना भी आसान होगा।